TRENDING TAGS :
Lucknow News: जीवन के यथार्थ से रूबरू कराती है पुस्तक 'अमिय'- डॉ दिनेश शर्मा
Lucknow News: सीएमएस गोमती नगर में ‘अमिय’ पुस्तक का विमोचन, डॉ. दिनेश शर्मा बोले– बदलती डेमोग्राफी ने लोगों को परिवार और संस्कृति से दूर कर दिया है।
जीवन के यथार्थ से रूबरू कराती है पुस्तक 'अमिय'- डॉ दिनेश शर्मा (Photo- Newstrack)
Lucknow News: लखनऊ। सिटी मॉन्टेसरी स्कूल सभागार, गोमती नगर में वरिष्ठ पत्रकार और लेखक नरेंद्र भदौरिया की नई कृति ‘अमिय’ का विमोचन राज्यसभा सांसद एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने किया। समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख स्वान्त रंजन, संयुक्त क्षेत्र प्रचार प्रमुख कृपाशंकर जी, प्रांत प्रचारक कौशल जी, और दिव्य प्रेम सेवा संस्थान के संस्थापक आशीष जी सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।
बदलती डेमोग्राफी ने लोगों को परिवार की भावना से दूर कर दिया
डॉ. शर्मा ने कहा कि ‘अमिय’ पुस्तक व्यक्ति को जीवन के यथार्थ से रूबरू कराती है। उन्होंने कहा कि एक श्रेष्ठ लेखक की विशेषता होती है कि हर पंक्ति अगली पंक्ति के प्रति जिज्ञासा उत्पन्न करे — यही गुण नरेंद्र भदौरिया की लेखनी में झलकता है। उन्होंने समाज में आती डेमोग्राफिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों पर चिंता जताते हुए कहा कि आज का व्यक्ति परिवार की भावना से दूर होता जा रहा है और पाश्चात्य प्रदर्शनवाद की ओर बढ़ रहा है।
राष्ट्रभक्ति से ओत प्रोत होते है नरेंद्र भदौरिया जी के लेख
डॉ. शर्मा ने कहा कि भदौरिया जी की लेखनी राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत है और भारतीय इतिहास की सही दिशा दिखाती है। उन्होंने वामपंथी इतिहासकारों पर आरोप लगाया कि उन्होंने भारत के गौरवशाली अतीत को गुलामी के रूप में प्रस्तुत किया, जबकि देश का इतिहास संघर्ष और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का इतिहास है।
सभागार गोमती नगर, लखनऊ में वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक नरेंद्र भदौरिया जी की सद्य प्रकाशित कृति 'अमिय' के विमोचन समारोह में डॉ शर्मा ने कहा कि नरेंद्र भदौरिया जी के लेख में भारत की बढ़ती जनसंख्या का विश्लेषण किया है। वास्कोडिगमा द्वारा भारत की खोज के संबंध में कई तथ्यों को छिपाया गया है।
उन्होंने कहा कि 'वामपंथी इतिहासकारों ने जानबूझकर भारत के इतिहास को गुलामी का इतिहास बताया था। आक्रांताओं ने देश को लूटने का काम किया। भदौरिया जी की लेखनी बताती है कि देश का इतिहास गुलामी का नहीं बल्कि संघर्षों का इतिहास है। ये अपनी सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखने का इतिहास है। देश ने कभी गुलामी को स्वीकार नहीं किया। आक्रांताओं के शिखा काटने , जनेऊ जलाने , पांडुलिपियों को जलाने जैसी प्रताड़नाओं के बाद भी देश की संस्कृति को नुकसान नहीं हुआ।'
जीवन को आनंदमय बनाने की दिशा भारत की संस्कृति और संस्कारों में
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख आदरणीय स्वान्त रंजन जी के मुख्य आतिथ्य में एवं संयुक्त क्षेत्र के प्रचारक प्रमुख कृपाशंकर जी, माo प्रांत प्रचारक कौशल जी, दिव्य प्रेम सेवा संस्थान के संस्थापक आशीष जी, वरिष्ठ प्रचारक वीरेंद्र जी की विशिष्ट उपस्थिति में सम्मिलित होकर पुस्तक में वर्णित सनातन संस्कृति एवं भारतीय परंपराओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अमेरिका की एक शोध में कहा गया है कि बच्चों को दादा दादी नाना नानी के साथ रखना चाहिए। वहाँ पर बाज़ार व्यवस्था आने से समाज में कमियाँ पैदा हुई। पति पत्नी दोनों के नौकरीपेशा होने से घर के बुजुर्गों को वृद्धाश्रम जाना पड़ा।
पारिवारिक व्यवस्था समाप्त सी हो चली जिसने बच्चों के माता पिता के प्रति लगाव को कम कर दिया। आज भारत में भी यही व्यवस्था आ रही है। आज देश में भी सामाजिक बदलाव आ रहे है। बच्चों की शादियों में देरी हो रही है मानव जीवन मुश्किल से मिलता है। इस जीवन को आनंदमय बनाने की दिशा भारत की संस्कृति और संस्कारों में है। राष्ट्र निर्माण के लिए संघ की शाखाओं की जरूरत है। हर सनातनी का एक कुआँ एक मंदिर एक शमशान होना चाहिए जिससे वह अलगाववाद क्षेत्रवाद से बचता हुआ राष्ट्रवाद की तरफ़ बढ़े।
इस अवसर पर माननीय स्वान्त रंजन जी, माननीय कृपा शंकर जी माननीय आशीष जी का उद्बोधन प्रेरणादाई रहा उन्होंने सामाजिक विषमताओं के साथ-साथ भारतीय संस्कृति की विशेषताओं को रेखांकित करते हुए आत्मनिर्भर भारत की तरफ बढ़ाने का आवाहन किया और स्वदेशी को इसका मूल मंत्र बताया ।
इस अवसर पर उपस्थित रहे
इसके अतिरिक्त सुश्री शशि जी, प्रोफेसर प्रियंका सिंह जी, शिक्षाविद श्री मनमोहन तिवारी जी, मा. विधायक श्री अमीत सिंह जी, डॉ. पूनम जी एवं कार्यक्रम संयोजक श्री वेणु रंजन भदौरिया जी आदि उपस्थित रहे।
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!