TRENDING TAGS :
Electricity privatization: बिजली निजीकरण पर प्रदेश में घमासान, टेंडर होते की कट होगी बिजली!
Electricity privatization: उत्तर प्रदेश के बिजलीकर्मी 194 दिन से बिजली निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन कर रहे है। जिसकी नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी आफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स ने सराहना की है।
बिजली निजीकरण पर प्रदेश में घमासान (photo: social media )
Electricity privatization: लखनऊ में 22 जून को बिजलीकर्मियों ने महापंचायत बुलाई है। महापंचायत में किसान, उपभोक्ता और कोऑर्डिनेशन कमेटी के राष्ट्रीय पदाधिकारी भी शामिल होंगे। उत्तर प्रदेश के बिजलीकर्मी 194 दिन से बिजली निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन कर रहे है। जिसकी नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी आफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स ने सराहना की है।
प्रदेश में आंदोलन की चेतावनी
उन्होंने साथ ही पावर कार्पोरेशन प्रबंधन द्वारा कर्मचारियों, संविदा कर्मियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं के दमन की निंदा की है। उन्होंने कहा कि यदि बिजली कर्मियों का दमन न रुका तो देश के तमाम 27 लाख बिजली कर्मी मूक दर्शक नहीं रहेंगे। वह लोकतांत्रिक ढंग से आंदोलन करेंगे। जिसकी सारी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार की होगी।
टेंडर होते ही होगी हड़ताल
नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ़ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स की राष्ट्रीय कोर कमेटी की दिल्ली में बैठक में यह निर्णय लिया गया कि उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण का टेंडर होते ही पूरे देश के 27 लाख बिजली कर्मी हड़ताल शुरू कर देंगे। इसके साथ ही कोऑर्डिनेशन कमेटी ने निर्णय लिया है कि प्रदेश में चल रहे बिजली के निजीकरण के विरोध में दो जुलाई को पूरे देश में व्यापक विरोध प्रदर्शन भी किया जाएगा।
दो जुलाई को होगी हड़ताल
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने बताया कि यह भी निर्णय लिया कि उत्तर प्रदेश में चल रही बिजली की निजीकरण की प्रक्रिया के विरोध में आगामी दो जुलाई को देशभर के तमाम बिजली कर्मी निजीकरण के विरोध में राष्ट्रव्यापी हड़ताल करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि किसानों, आम घरेलू उपभोक्ताओं और गरीब उपभोक्ताओं के हित में केंद्र सरकार हस्तक्षेप करके बिजली निजीकरण की प्रक्रिया को निरस्त कराएं।
राष्ट्रपति-पीएम को लिखा पत्र
प्राइवेटाइजेशन के विरोध में प्रदर्शन कर रहे संगठनों ने अधिकारियों पर कमीशनखोरी का आरोप लगाते हुए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग भी की है। इस पत्र के साथ राष्ट्रपति और पीएमओ को साक्ष्य भी अटैच कर भेजे गए हैं। इसके लिए तर्क दिया गया है कि जब केंद्र और राज्य सरकार बिजली व्यवस्था सुधारने के लिए आरडीएसएस योजना के तहत हजारों करोड़ रुपये खर्च कर चुकी हैं।
बिजली सुधार पर 43,454 करोड़
तब निजीकरण किया जा रहा है। उसमें ऊर्जा सेक्टर के कुछ नौकरशाह की भूमिका संदिग्ध बताई गई है। आरडीएसएस योजना में बिजली कंपनियों पर लगभग 43,454 करोड़ खर्च हो रहा है, उसका ज्यादातर हिस्सा केंद्र सरकार के खजाने से जा रहा है। विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि परिषद की तरफ से एक साक्ष्य आधारित प्रस्ताव राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा है।
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!