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UP में बड़े लेवल पर हुए IAS अफसरों के ट्रांसफर्स, मुख्य सचिव SP गोयल से IIDC का चार्ज लिया गया वापस
योगी सरकार ने यूपी में बड़े पैमाने पर IAS अधिकारियों के तबादले किए हैं। मुख्य सचिव एसपी गोयल से IIDC और CEO यूपीडा का चार्ज वापस लिया गया, वहीं कई अधिकारियों को नई जिम्मेदारियां सौंपी गईं। यह बदलाव सरकार की परफॉर्मेंस आधारित नीति को दर्शाता है।
UP IAS Transfers: उत्तर प्रदेश की राजनीति और प्रशासन में एक बड़ा भूचाल आ गया है। योगी सरकार ने एक बड़ा प्रशासनिक फेरबदल करते हुए IAS अफसरों के बड़े पैमाने पर तबादले किए हैं। इस फेरबदल में सबसे चौंकाने वाली खबर यह है कि मुख्य सचिव एसपी गोयल से IIDC (इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कमिश्नर) और CEO यूपीडा का चार्ज हटा लिया गया है। अब उनके पास कोई विभाग नहीं रहेगा। यह फैसला दिखाता है कि सरकार अब काम की रफ्तार को और बढ़ाना चाहती है और 'परफॉर्मेंस' के आधार पर ही अधिकारियों को जिम्मेदारियां दी जाएंगी।
इन अधिकारियों को मिलीं 'नई' जिम्मेदारियां
इस प्रशासनिक फेरबदल में कई अधिकारियों को नई और महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं।
दीपक कुमार: यूपी के नए IIDC बनाए गए हैं और उनके पास CEO यूपीडा का चार्ज भी रहेगा। उन्हें नागरिक उड्डयन का ACS भी बनाया गया है।
पार्थ सारथी सेन शर्मा: प्रमुख सचिव बेसिक और माध्यमिक शिक्षा बने हैं।
अमित कुमार घोष: प्रमुख सचिव स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा बनाए गए हैं।
मुकेश मेश्राम: प्रमुख सचिव पशुपालन और मत्स्य बने हैं।
अमृत अभिजात: प्रमुख सचिव पर्यटन और संस्कृति बने हैं।
संजय प्रसाद: प्रमुख सचिव गृह और मुख्यमंत्री सूचना बने रहेंगे।
पी गुरुप्रसाद: प्रमुख सचिव नगर विकास और आवास का चार्ज दिया गया है।
मनीष चौहान: प्रमुख सचिव सचिवालय प्रशासन बने हैं।
रणवीर प्रसाद: प्रमुख सचिव राजस्व और खाद्य रसद का अतिरिक्त चार्ज दिया गया है।
क्यों हुआ यह 'बड़ा' बदलाव?
राजनीतिक गलियारों में इस तबादले को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। यह माना जा रहा है कि सरकार अब योजनाओं और परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी चाहती है। मुख्य सचिव से महत्वपूर्ण विभागों का चार्ज हटाने का फैसला इस बात का संकेत है कि अब सिर्फ 'उच्चतम' स्तर पर ही नहीं, बल्कि 'जमीनी' स्तर पर भी काम में तेजी लाई जाएगी।
यह भी माना जा रहा है कि इन तबादलों के जरिए सरकार ने विभिन्न विभागों में 'नए' अधिकारियों को लाकर एक नई ऊर्जा लाने की कोशिश की है। यह फेरबदल दिखाता है कि योगी सरकार 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले अपनी प्रशासनिक टीम को पूरी तरह से मजबूत करना चाहती है। यह फेरबदल सिर्फ अधिकारियों की तैनाती नहीं, बल्कि सरकार की नीतियों और प्राथमिकताओं का भी एक प्रतिबिंब है। अब देखना यह है कि ये नए अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को कैसे निभाते हैं और क्या उत्तर प्रदेश में काम की रफ्तार सच में दोगुनी होती है।
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