×

UP News: कान्हा गौशालाओं की व्यवस्थाएं होंगी दुरुस्त! यूपी सरकार ने शुरू की खास पहल, सिर्फ सरकारी नहीं... समाज की भागीदारी से होगी 'गौसेवा'

UP News: उत्तर प्रदेश सरकार ने कान्हा गौशालाओं को पारदर्शी और जनसहभागिता आधारित बनाने के लिए नई योजना शुरू की है। अब समाजसेवी, एनजीओ और संस्थान गौशालाएं गोद ले सकेंगे।

Hemendra Tripathi
Published on: 23 July 2025 8:20 PM IST (Updated on: 23 July 2025 8:20 PM IST)
Lucknow news
X

UP Government Launches Public Partnership Model for Kanha Gaushalas Across Municipal Corporations

UP News: उत्तर प्रदेश में संचालित हो रही कान्हा गौशालाओं के रखरखाव व उनकी व्यवस्थाओं को लेकर प्रदेश की योगी सरकार लगातार नई-नई पहल की शुरुआत करते हुए अधिकारियों को सख्त निर्देश देती नजर आ रही है। इसी बीच उत्तर प्रदेश में अब कान्हा गौशालाएं सिर्फ सरकारी निगरानी में ही नहीं, बल्कि समाज की सहभागिता से संचालित होंगी। बुधवार को नगर विकास विभाग की एक अहम राज्यस्तरीय बैठक में निर्णय लिया गया है कि नगर निगमों की गौशालाओं की निगरानी व्यवस्था और संचालन को पूरी तरह पारदर्शी, जवाबदेह और मानवीय बनाया जाएगा। इसके तहत अब निजी संस्थान, एनजीओ और गौप्रेमी इन गौशालाओं को 'गोद' ले सकेंगे।

नगर निगमों को मिला जिम्मा, होगा फिजिकल निरीक्षण

राज्य की सभी नगर निगमों के नगर आयुक्तों को आदेश दिए गए हैं कि वे अपनी-अपनी कान्हा गौशालाओं का भौतिक निरीक्षण करें। निरीक्षण में गौवंशों की संख्या, चारा-पानी, ईयर टैगिंग, टीकाकरण, सफाई व्यवस्था, चिकित्सा सुविधा, सीसीटीवी, शेड की स्थिति और कर्मचारियों की उपस्थिति जैसे बिंदुओं की जांच की जाएगी। प्रत्येक निरीक्षण की रिपोर्ट नगरीय निकाय निदेशालय को भेजी जाएगी, ताकि निगरानी और मूल्यांकन की एक पुख्ता प्रणाली विकसित की जा सके।

निगरानी होगी डिजिटल और पारदर्शी

सरकार की मंशा है कि गौशालाओं के संचालन में तकनीक और पारदर्शिता का समावेश हो। इसके तहत ईयर टैगिंग सिस्टम को और मजबूत किया जाएगा जिससे हर गौवंश का डेटा ट्रैक किया जा सके। सीसीटीवी निगरानी से शेड की सफाई और देखरेख पर नज़र रखी जाएगी। जल निकासी और अपशिष्ट निस्तारण को प्राथमिकता दी जाएगी।

समाज को मिलेगा सीधा जुड़ाव, गौशाला गोद लेने की योजना

प्रमुख सचिव ने कहा कि गौशालाओं को गोद लेने की योजना के ज़रिए अब समाजसेवी संस्थाएं, गौभक्त और कॉर्पोरेट संस्थान गौसेवा से सीधे जुड़ सकेंगे। इससे संसाधनों की कमी दूर होगी और प्रशासनिक बोझ भी घटेगा। गौशालाओं को गोद लेने वालों की ज़िम्मेदारी होगी कि वे पशुओं के लिए चारे, दवाइयों, कर्मचारियों, मेडिकल कैंप जैसी बुनियादी ज़रूरतें पूरी करें। इसके बदले में उन्हें सरकारी स्तर पर मान्यता और सहयोग भी मिलेगा।

प्रचार-प्रसार और जनसहभागिता पर विशेष जोर

नगर निकायों को निर्देशित किया गया है कि इस योजना का अधिकतम प्रचार-प्रसार किया जाए। इसके तहत:

- सोशल मीडिया, वेबसाइट और सूचना पट्टों पर प्रचार

- जनप्रतिनिधियों और क्षेत्रीय नेताओं की भागीदारी

- स्कूलों, मंदिरों और स्थानीय आयोजनों में जनजागरूकता


इस तरह यह अभियान सिर्फ सरकारी प्रयास नहीं रहेगा, बल्कि जनभावनाओं और सामाजिक संवेदनाओं का संगम बनेगा।

गौसेवा अब बनेगी संस्कृति और प्रतिबद्धता का प्रतीक

सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि कान्हा गौशालाएं सिर्फ संरक्षित गौवंश की देखरेख तक सीमित नहीं रहेंगी, बल्कि वे प्रशासनिक प्रतिबद्धता और जनसंवेदना के संयुक्त प्रयास का मॉडल बनेंगी। गौसेवा अब सिर्फ ‘ड्यूटी’ नहीं, बल्कि ‘संस्कार’ और संस्कृति का हिस्सा होगी।

Start Quiz

This Quiz helps us to increase our knowledge

Hemendra Tripathi

Hemendra Tripathi

Lucknow Reporter

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!