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Mainpuri News: महंत सुरेंद्र दास की अंत्येष्टि को लेकर मैनपुरी में बवाल, पुलिस ने किया लाठीचार्ज
Mainpuri News: महंत रघुनंदन दास के अनुयायी अंत्येष्टि को आश्रम के अंदर नहीं होने देना चाहते थे। शनिवार सुबह जब सुरेंद्र दास का शव अंदर लाने की कोशिश की गई तो दोनों पक्षों में जबरदस्त भिड़ंत हो गई।
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Mainpuri News: किशनी क्षेत्र के जटपुरा चौराहे पर स्थित रामजानकी आश्रम में शनिवार सुबह उस समय भारी बवाल हो गया जब 80 वर्षीय महंत सुरेंद्र दास की मृत्यु के बाद उनके अनुयायी उनका अंतिम संस्कार आश्रम के भीतर करना चाहते थे। प्रशासनिक हस्तक्षेप के बाद अंत्येष्टि बाहर कराई गई, और भारी तनाव के चलते मंदिर को सील कर दिया गया।
महंत रघुनंदन दास के अनुयायी अंत्येष्टि को आश्रम के अंदर नहीं होने देना चाहते थे। शनिवार सुबह जब सुरेंद्र दास का शव अंदर लाने की कोशिश की गई तो दोनों पक्षों में जबरदस्त भिड़ंत हो गई। हाथापाई और पथराव में तीन लोग घायल हो गए। पुलिस ने स्थिति को संभालने के लिए लाठीचार्ज किया और दोनों पक्षों के 10 लोगों को हिरासत में लिया।
घायल और हिरासत में लिए गए लोग
इस झड़प में रघुनंदन पक्ष के रणवीर और सुभाष तथा दूसरे पक्ष के जितेंद्र उर्फ मुखिया घायल हुए। सभी घायलों को इलाज के लिए भेजा गया है। पुलिस ने रघुनंदन पक्ष से प्रवेश यादव को और दूसरे पक्ष से कुंतेश कुमार, जितेंद्र सिंह, विजय प्रकाश, रामचंद्र, आनंद, राधा मोहन, अंकुर, रामनरेश व आसाराम को हिरासत में लिया है।
विवाद की पृष्ठभूमि
महंत सुरेंद्र दास का निधन गुरुवार रात हुआ था। उनके अनुयायी शुक्रवार को शव को आश्रम में लाकर अंत्येष्टि करना चाहते थे, लेकिन रघुनंदन पक्ष ने आश्रम में ताला लगाकर शव को अंदर लाने से मना कर दिया, जिससे तनाव बढ़ गया। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा और लौटने पर अनुयायी आश्रम के बाहर धरने पर बैठ गए।
महंत के अनुयायियों का आरोप है कि आश्रम और उससे जुड़ी 18 बीघा जमीन पर कब्जे की साजिश के चलते महंत की मृत्यु हुई। उन्होंने एक हिस्ट्रीशीटर के आश्रम में मौजूद होने और कार्रवाई न होने का भी आरोप लगाया।
राजनीतिक हस्तक्षेप और भू-माफियाओं की भूमिका
किशनी क्षेत्र में चर्चा है कि उक्त 18 बीघा जमीन को लेकर पांच वर्षों से विवाद चल रहा है। तहसीलदार को आश्रम ट्रस्ट का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था। आरोप है कि कुछ भाजपा नेताओं ने इस मामले में एक पक्ष का समर्थन किया और प्रशासन पर दबाव डाला। दावा है कि इस जमीन को व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए कब्जा कर दुकानों में बदलने की साजिश रची जा रही है।
महंत सुरेंद्र दास का योगदान
अनुयायियों के अनुसार महंत सुरेंद्र दास ने 1960 में तपस्वी जीवन अपना कर इस जर्जर आश्रम में प्रवेश किया और तब से इसका नव निर्माण व संरक्षण कराया। उनका कहना है कि आश्रम की भूमि पर लगातार अराजक तत्व कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं।
प्रशासन की कार्रवाई
सीओ भोगांव सत्यप्रकाश शर्मा ने कहा कि उपद्रव करने वालों को चिन्हित कर उनके खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा। मौके पर शांति व्यवस्था कायम है और पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।
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