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Meerut News: जाति रैली बैन को लेकर सियासी हलकों में भूचाल
मेरठ में संगठनों और नेताओं ने दी तीखी प्रतिक्रियाएं
Ban on Caste Rallies ( image from Social Media)
Meerut News: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जाति-आधारित राजनीतिक रैलियों और जाति के नाम के सार्वजनिक प्रदर्शन पर लगाई गई रोक को लेकर सियासी हलकों में भूचाल आ गया है। मेरठ में विभिन्न जातीय संगठनों के पदाधिकारियों और नेताओं ने इस फैसले को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं दीं। जहां कुछ संगठनों ने इसे समाज में वैमनस्य खत्म करने की दिशा में उठाया गया सही कदम बताया, वहीं कई संगठनों ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन करार देते हुए योगी सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाया।
पथिक सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुखिया गुर्जर ने सरकार के आदेश को "हिटलरशाही फरमान" करार दिया। उन्होंने बुधवार को न्यूज़ट्रैक से बातचीत में तंज कसते हुए कहा, "अगर जातियां नहीं हैं, तो जनगणना किस आधार पर होगी? सरकार का अगला कदम शायद जातिगत जनगणना को ही रोकना होगा। मेरा नाम मुखिया गुर्जर है, कहीं ऐसा न हो कि सरकार मेरे नाम से 'गुर्जर' ही हटा दे।"
जाट महासभा के प्रदेश अध्यक्ष रोहित जाखड़ ने बीजेपी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि जब पार्टी खुद जाति के आधार पर टिकट बांटती है और संगठन में पद देती है, तो जनता को जाति विमुख होने का संदेश क्यों दिया जा रहा है। उन्होंने कहा, "जाति भारतीय संस्कृति का अटल सत्य है। अगर ये जाति खत्म करने की बात करते हैं तो कल क्या ये अनुसूचित जाति के व्यक्ति को मंदिर में पुजारी बना देंगे? बीजेपी को डर है कि देश की प्रमुख जातियां एकजुट होकर उनकी नीतियों का विरोध न कर दें।"
वहीं युवा ब्राह्मण समाज संगठन के जिला अध्यक्ष अश्वनी कौशिक ने इस कदम का स्वागत किया। उन्होंने कहा, "जहां जाति विशेष से समाज में वैमनस्यता फैलती हो, वहां रोक लगाना जरूरी है। समाज की उन्नति के लिए संगठन होने चाहिए, न कि एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए।"
त्यागी भूमिहार ब्राह्मण समाज समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष मांगेराम त्यागी ने आदेश का समर्थन तो किया, लेकिन सरकार को आईना भी दिखाया। उन्होंने कहा, "जाति देखकर ही लोकसभा-विधानसभा के टिकट बांटे जाते हैं, मंत्रियों की नियुक्ति होती है और गांवों में राशन तक जाति देखकर दिया जाता है। सरकार को सबसे पहले अपने भीतर सुधार लाना चाहिए।"
गौरतलब है कि योगी सरकार ने हाल ही में जाति आधारित राजनीतिक रैलियों के साथ-साथ वाहनों और साइनबोर्ड पर जाति के नाम लिखने और पुलिस रिकॉर्ड में जाति का उल्लेख करने पर भी प्रतिबंध लगाया है। इस फैसले से प्रदेश में राजनीति का पारा चढ़ गया है।
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