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Meerut News: स्वरांजलि में गूंजा आज़ादी का जज़्बा, अमर शहीदों को दी संगीतमय श्रद्धांजलि
Meerut News: मेरठ के सर छोटू राम इंजीनियरिंग कॉलेज के अटल सभागार में 1857 की क्रांति के अमर बलिदानियों को समर्पित इस संगीतमय संध्या ने न केवल इतिहास को जीवंत किया बल्कि युवा दिलों में देशभक्ति की मशाल भी जला दी।
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में ऐतिहासिक कार्यक्रम गौरवगाथा का आयोजन (Photo- Social Media)
Meerut News: जब सुरों में बसी हो शहादत की गूंज और लय में बहता हो आज़ादी का जज़्बा, तो वह शाम सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, एक ऐतिहासिक अहसास बन जाती है। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के सर छोटू राम इंजीनियरिंग कॉलेज के अटल सभागार में शुक्रवार को ऐसी ही एक शाम जगी — स्वरांजलि के नाम। 1857 की क्रांति के अमर बलिदानियों को समर्पित इस संगीतमय संध्या ने न केवल इतिहास को जीवंत किया, बल्कि युवा दिलों में देशभक्ति की मशाल भी जला दी।
जब शब्दों से निकली क्रांति, और सुरों से बही श्रद्धांजलि
कार्यक्रम का आयोजन स्टूडेंट कॉन्शियस क्लब व संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला के मार्गदर्शन में हुआ। मुख्य अतिथि ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) एम.एस. ढाका ने अपने सैन्य और प्रशासनिक अनुभव साझा कर युवाओं से रक्षा सेवाओं को अपनाने का आह्वान किया।
इतिहास विभाग के प्रो. के.के. शर्मा ने अपने प्रभावशाली प्रेजेंटेशन के माध्यम से मेरठ की क्रांति के भूले-बिसरे नायकों—शहीद धन सिंह कोतवाल, शाहमल और कदम सिंह—की गौरवगाथा सुनाई। उन्होंने बताया कि पांचली और गगोल जैसे गांवों ने कैसे 1857 की चिंगारी को ज्वाला में बदला।
गीतों में बहा जुनून, सुरों में जागा स्वाभिमान
दिल्ली से आई रामराज प्रोडक्शन की टीम ने जब सूफियाना अंदाज़ में देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति दी, तो हर दिल देश के लिए धड़कने लगा। सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर इन गायकों की आवाज़ और प्रस्तुति ने सभागार को तालियों से गूंजा दिया।
विचारों में दिखा विवेक, शब्दों में झलकी संवेदना
विशिष्ट अतिथि श्री देवेंद्र चौधरी (पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष, भाजपा) ने 1857 से लेकर आज तक की देशभक्ति की निरंतरता पर बात की और आतंकवाद के विरुद्ध एकजुटता की ज़रूरत बताई।
राजनीतिक विश्लेषक एवं सांसद टीवी के वरिष्ठ पत्रकार श्री राजवीर सिंह ने युवाओं को सिर्फ पढ़ने-पढ़ाने तक सीमित न रहकर सामाजिक नेतृत्व की प्रेरणा दी। डॉ. स्नेहीवीर पुंडीर ने याद दिलाया कि आज़ादी केवल लड़ाइयों से नहीं, आम जनता की जागरूकता और भागीदारी से संभव हुई थी।
जब तकनीक और तिरंगा साथ चले
संस्थान के निदेशक प्रो. नीरज सिंघल ने युवाओं को तकनीकी दक्षता के साथ राष्ट्रीय चेतना से ओतप्रोत होने की सलाह दी और स्वरांजलि जैसे आयोजनों को नई पीढ़ी के लिए संजीवनी बताया।
युवाओं की टोली ने रचा स्वराज का सुर
क्लब के संस्थापक इंजीनियर आकाश त्रिपाठी ने क्लब की भूमिका समझाई — जहां पर्यावरण से लेकर देशप्रेम तक सब जुड़ता है। अध्यक्ष शिवांश मिश्रा, शैलजाकांत शुक्ला और प्रताप सिंह की सक्रिय भागीदारी भी सराही गई।
प्रशासनिक अधिकारी डॉक्टर केपी सिंह समेत अनेक शिक्षक, छात्र और अतिथि कार्यक्रम में मौजूद रहे। ज्ञान अन्वेषण की ओर से डॉ. लक्षिता भंडारी और मीडिया पार्टनर भारत श्री की ओर से श्री हर्ष कुमार भी विशेष रूप से उपस्थित रहे।
यह केवल संध्या नहीं, एक ज्वाला थी
स्वरांजलि एक संगीतमय कार्यक्रम से कहीं ज़्यादा थी — यह 1857 की आग को 2025 की चेतना में बदलने वाला एक प्रयास था। एक ऐसी संध्या, जो शहीदों के नाम से शुरू हुई और देश के नाम पर खत्म हुई।
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