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Meerut News: सौर ऊर्जा से दमक उठा मेरठ साउथ नमो भारत स्टेशन, हर साल बनेगी 8 लाख यूनिट से ज्यादा बिजली
Meerut News: इस प्लांट में कुल 1304 सोलर पैनल लगाए गए हैं, हर पैनल की क्षमता 550 वाटपीक है। अनुमान है कि यह संयंत्र सालाना करीब 8,15,000 यूनिट सौर ऊर्जा उत्पन्न करेगा।
सौर ऊर्जा से दमक उठा मेरठ साउथ नमो भारत स्टेशन (photo: social media )
Meerut News: नमो भारत कॉरिडोर पर एक और स्टेशन अब ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो चला है। मेरठ साउथ नमो भारत स्टेशन की छत पर अब सूरज की किरणें सिर्फ रोशनी ही नहीं, बिजली भी बना रही हैं। एनसीआरटीसी ने यहां 717 किलोवाट पीक (kWp) क्षमता वाला सोलर रूफटॉप पावर प्लांट स्थापित किया है, जो न केवल पर्यावरण को राहत देगा, बल्कि स्टेशन की ऊर्जा ज़रूरतों का भी बखूबी ख्याल रखेगा।
इस प्लांट में कुल 1304 सोलर पैनल लगाए गए हैं, हर पैनल की क्षमता 550 वाटपीक है। अनुमान है कि यह संयंत्र सालाना करीब 8,15,000 यूनिट सौर ऊर्जा उत्पन्न करेगा। इससे स्टेशन की बिजली जरूरतों में बड़ी हिस्सेदारी पूरी होगी और हर साल करीब 750 टन कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन से भी छुटकारा मिलेगा।
हर स्टेशन बनेगा सोलर सेनानी
एनसीआरटीसी की योजना सिर्फ मेरठ साउथ तक सीमित नहीं है। इससे पहले साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई स्टेशन और डिपो में भी सोलर प्लांट लगाए जा चुके हैं। अब मेरठ साउथ भी इस 'ग्रीन क्रांति' का हिस्सा बन गया है। वर्तमान में पूरे कॉरिडोर पर मिलाकर 4.7 मेगावाट पीक सौर ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है।
यह सब कुछ यूं ही नहीं है — इसके पीछे है एनसीआरटीसी का एक बड़ा विज़न: 82 किमी लंबे दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर को 11 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य तक ले जाना। और अगर यह लक्ष्य पूरा होता है, तो हर साल 11,500 टन CO₂ का उत्सर्जन रोका जा सकेगा।
गाजियाबाद बना सोलर का सरताज
इस सौर यात्रा का सिरमौर फिलहाल गाजियाबाद स्टेशन है, जहां 965 किलोवाट पीक (kWp) का सबसे बड़ा रूफटॉप प्लांट लगाया गया है। बाकी स्टेशनों पर भी काम तेजी से जारी है। हर जगह सूरज की रोशनी को पकड़कर बिजली में बदलने की दौड़ लगी है।
स्टेशन नहीं, सस्टेनेबिलिटी सेंटर हैं ये
सिर्फ सोलर ही नहीं, एनसीआरटीसी हर मोर्चे पर हरित ऊर्जा के लिए काम कर रहा है। स्टेशनों और डिपो में रेन वाटर हार्वेस्टिंग, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, हरित क्षेत्र, प्राकृतिक रौशनी का प्रयोग और एलईडी लाइटिंग जैसी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई हैं।
साहिबाबाद और गुलधर स्टेशन तो इस मामले में एक कदम आगे निकल चुके हैं। इन्हें IGBC Net-Zero Energy (Operations) की मान्यता मिल चुकी है — और यह देश में अपनी तरह की पहली उपलब्धि है।
ट्रेनें भी बन गईं ऊर्जा योद्धा
नमो भारत की ट्रेनें भी ऊर्जा बचाने की रेस में पीछे नहीं हैं। ये लैस हैं रीजेनेरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम से, जो ब्रेकिंग के दौरान ट्रेन की गतिज ऊर्जा को वापस बिजली में बदल देता है। इससे ऊर्जा की बचत तो होती ही है, ट्रेन की मरम्मत और स्पेयर पार्ट्स पर खर्च भी घटता है।
11 स्टेशन, 55 किमी सेक्शन और एक हरित भविष्य
फिलहाल दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर पर न्यू अशोक नगर से मेरठ साउथ तक 55 किमी का सेक्शन चालू है, जिसमें 11 स्टेशन शामिल हैं। ये स्टेशन अब सिर्फ ट्रेनों का इंतजार नहीं करते, बल्कि हर सुबह सूरज का स्वागत कर ऊर्जा पैदा करते हैं।
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