मिर्जापुर में तीन मासूमों की कुल्हाड़ी से हत्या करने वाले दोषी को मिली उम्र कैद की सजा

Mirzapur News: चार साल पुराने नृशंस हत्याकांड में अदालत का फैसला, आरोपी राम नरायण को आजीवन कारावास

Brijendra Dubey
Published on: 17 Sept 2025 10:01 PM IST
मिर्जापुर में तीन मासूमों की कुल्हाड़ी से हत्या करने वाले दोषी को मिली उम्र कैद की सजा
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Mirzapur Murder Case

Mirzapur News: चार साल पहले मिर्ज़ापुर के कटरा कोतवाली क्षेत्र में हुए एक खूनी पारिवारिक विवाद का आज दुखद अंत हुआ। उस नृशंस हत्याकांड के दोषी, जिसने अपनी ही भाभी और दो मासूम भतीजे-भतीजी को कुल्हाड़ी से काट कर मार डाला था, को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यह फैसला सिर्फ एक सजा नहीं, बल्कि उन तीन बेकसूर जिंदगियों के लिए न्याय का प्रतीक है, जिन्हें एक पल में छीन लिया गया था।

परिवार में छिपी थी बर्बरता

20 नवंबर 2021 की वो रात आज भी डंगहर मोहल्ले के लोगों को सिहरा देती है, जब एक घर में हँसी-खुशी का माहौल अचानक मातम में बदल गया। परिवार के ही सदस्य राम नरायण मिश्रा ने पारिवारिक विवाद के चलते इंसानियत की सारी हदें पार कर दीं। उसने अपनी भाभी रेनू (35), मासूम भतीजी हर्षिका (7) और छोटे भतीजे आरुष (5) की बेरहमी से कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी।

इस भयानक घटना ने पूरे इलाके को सदमे में डाल दिया था। रेनू के पति यज्ञ नरायण ने थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।

न्याय की धीमी मगर मजबूत राह

पुलिस और अभियोजन पक्ष ने इस मामले की गहनता से जाँच की और हर सबूत को बड़ी सावधानी से अदालत के सामने पेश किया। गवाहों और साक्ष्यों ने इस जघन्य अपराध की पूरी कहानी बयां कर दी। अदालत में जब यह मामला चल रहा था, तो हर किसी की नज़र इस बात पर थी कि क्या इन मासूमों को न्याय मिल पाएगा।

आज, जनपद न्यायाधीश अरविंद कुमार मिश्रा ने फैसला सुनाते हुए आरोपी राम नरायण को आजीवन कारावास और ₹20,000 के अर्थदंड की सजा सुनाई। यह निर्णय यह साबित करता है कि चाहे अपराध कितना भी छिपा हो, और गुनहगार कितना भी करीब का क्यों न हो, कानून की लंबी बाहें आखिरकार उस तक पहुँच ही जाती हैं।

डीजीसी क्रिमिनल आलोक राय ने बताया कि यह फैसला समाज में यह संदेश देगा कि ऐसे क्रूर और नृशंस अपराध करने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। यह सजा सिर्फ आरोपी को नहीं मिली है, बल्कि उन सभी लोगों को मिली है जो यह मानते हैं कि पारिवारिक विवाद हिंसा का बहाना हो सकते हैं। आज, रेनू, हर्षिका और आरुष की आत्मा को शायद थोड़ी शांति मिली होगी।

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Shalini Rai

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