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Prayagraj News: कांवड़ यात्रा में दिव्यांग और नन्हे शिवभक्तों का उत्साह, आस्था की अद्भुत मिसाल
Prayagraj News: इस वर्ष, कांवड़ यात्रा में दिव्यांगजनों और छोटे बच्चों की उत्साही भागीदारी एक प्रेरणादायक दृश्य प्रस्तुत कर रही है, जो सभी के लिए आस्था और दृढ़ संकल्प का अद्भुत उदाहरण बन गई है।
कांवड़ यात्रा में दिव्यांग और नन्हे शिवभक्तों का उत्साह (photo: social media )
Prayagraj News: सावन के पावन महीने में चल रही कांवड़ यात्रा पूरे देश में आस्था का सैलाब उमड़ रहा है। इस धार्मिक यात्रा में लाखों शिवभक्त अपनी श्रद्धा व्यक्त करने के लिए गंगाजल लेकर शिवालयों की ओर बढ़ रहे हैं। इस वर्ष, कांवड़ यात्रा में दिव्यांगजनों और छोटे बच्चों की उत्साही भागीदारी एक प्रेरणादायक दृश्य प्रस्तुत कर रही है, जो सभी के लिए आस्था और दृढ़ संकल्प का अद्भुत उदाहरण बन गई है।
दिव्यांग कांवड़िया श्याम की अटूट आस्था:
प्रयागराज के दशाश्वमेध घाट से जल भरकर विभिन्न शिवधामों की ओर प्रस्थान कर रहे अनेक कांवड़ियों में, प्रतापगढ़ जिले के एक शिवभक्त श्याम विशेष रूप से ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। दोनों पैरों से दिव्यांग होते हुए भी, श्याम के मन में बाबा भोलेनाथ के प्रति अटूट आस्था और विश्वास है। "बोल बम" का जयकारा लगाते हुए वे बाबा धाम को रवाना हो गए हैं। श्याम बताते हैं कि वे पिछले पांच सालों से बाबा को जल चढ़ाते आ रहे हैं और उन्हें ऐसा करके बेहद खुशी मिलती है। उन्होंने कहा कि वे अपने परिवार की सुख-समृद्धि और देश की रक्षा की कामना के साथ हर साल यह यात्रा करते हैं। उनका यह जज्बा और समर्पण अन्य भक्तों के लिए एक बड़ी प्रेरणा है।
नन्हे कांवड़ियों का उत्साह:
दशाश्वमेध घाट पर जल भरने पहुंच रहे कांवड़ियों में नन्हे-नन्हे बच्चे भी बड़ी संख्या में शामिल हो रहे हैं। ये बच्चे भी कांवड़ लेकर शिवधाम जलाभिषेक करने के लिए जा रहे हैं। एक माह तक चलने वाले इस धार्मिक आयोजन में इन बच्चों का उत्साह देखते ही बनता है। मन में आस्था और विश्वास के साथ "बोल बम" का नारा लगाते हुए, ये नन्हे शिवभक्त भोलेनाथ के प्रति अपनी आस्था प्रकट कर रहे हैं। वे अपने घर-परिवार की सुख-समृद्धि और अपनी पढ़ाई में सफलता की कामना लेकर बाबा धाम की ओर बढ़ रहे हैं। उनकी मासूमियत और श्रद्धा का यह संगम कांवड़ यात्रा को और भी विशेष बना देता है।
यह कांवड़ यात्रा सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय समाज में व्याप्त आस्था, सहनशीलता और सामूहिक उत्साह का प्रतीक है। दिव्यांगों और बच्चों की यह भागीदारी दर्शाती है कि भगवान शिव के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के लिए कोई शारीरिक या आयु सीमा नहीं होती, केवल शुद्ध हृदय और अटूट विश्वास की आवश्यकता होती है।
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