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अफगान मंत्री मुत्तकी का बयान- देवबंद ने इस्लामी शिक्षा को नई दिशा दी, स्वागत से अभिभूत
Saharanpur News: अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी ने देवबंद दारुल उलूम की इस्लामी शिक्षा की प्रशंसा की और कहा कि यह शिक्षा क्षेत्र में नई दिशा दे रही है। उन्होंने देवबंद में मिले गर्मजोशी भरे स्वागत पर अपनी खुशी व्यक्त की।
Saharanpur News: देवबंद दारुल उलूम पहुंचे अफगानिस्तान की विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी ने कहा आज इस अजीम मरकज के दीदार की ख्वाहिश पूरी हुई है लेकिन वह बिना स्पीच दिए ही ढाई बजे ही देवबंद से रवाना हो गए उनके यहां पर स्पीच होनी थी और उसके बाद उन्हें 4:00 बजे देवबंद से रवाना होना था लेकिन माना जा रहा है जरूरत से ज्यादा भीड़ होने के कारण स्पीच कैंसिल हो गई हालांकि इसका कोई आधिकारिक तौर पर बयान नहीं आया है। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार में विदेश मंत्री आमिर खान मुतकी आज देवबंद पहुंचे जहां उनका जोरदार स्वागत किया गया स्वागत के लिए इतनी ज्यादा भीड़ उमड़ी हुई थी कि विदेश मंत्री का गार्ड ऑफ ऑनर नहीं हो सका। और उन्हें कुछ देर तक कर में ही इंतजार करना पड़ा बाद में पुलिस ने लाठियां फटकार कर भीड़ को हटाया उसके बाद में कर से बाहर निकले अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के मध्य नजर अफगानिस्तान की विदेश मंत्री का यह दौरा भारत के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है देवबंद में लगभग उन्हें 5 घंटे रहना था परंतु ढाई घंटे बाद ही वह यहां से रवाना हो गए गोलाकार निर्मित लाइब्रेरी में उनका स्वागत हुआ उनकी अगवाई और स्वागत के लिए पहले से ही 15 उलमा का नाम तय हो चुका था जिनकी लिस्ट जा चुकी थी उन्होंने ही उनकी अगुवाई की। सुरक्षा की दृष्टि के मध्य नजर भी देवबंद को हाईलाइट में रखा गया था खुद जिलाधिकारी और एसएसपी देवबंद में मौजूदरहे। अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद तालिबान के किसी विदेश मंत्री का भारत का पहला दौरा है। इससे पहले 1988 में यानी 27 वर्ष पूर्व अफगानिस्तान के बादशाह देवबंद पहुंचे थे यह दौरा राजनीतिक कारणों से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
मुत्तकी के पहुंचते ही छात्र और शिक्षक तालियों की गूंज के बीच उनका इस्तकबाल करने लगे। उनकी कर पर गुलाब की पंखुड़ियां से वर्षा की गई और स्वागत किया गया विदेश मंत्री मुत्ताकी ने संस्था प्रबंधन और विद्यार्थियों के स्नेह से अभिभूत होकर कहा मेरी हमेशा से ख्वाहिश रही कि मैं इस अजीम मरकज के दीदार करूं, आज अल्लाह ने यह ख्वाहिश पूरी कर दी। उन्होंने देवबंद की शिक्षा और उसके प्रभाव की सराहना करते हुए कहा कि दारुल उलूम की विचारधारा ने इस्लामी शिक्षा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है और पूरी दुनिया में इसका सम्मान है। उन्होंने कहा कि मैं इस गर्म जोशी भरे स्वागत के लिए देवबंद के उलेमा और क्षेत्र के लोगों का शुक्रगुजार हूं भारत अफगानिस्तान का संबंधों का भविष्य बहुत उज्ज्वल दिखाई देता है। उन्होंने संस्था प्रबंधन और विद्यार्थियों के स्नेह से अभिभूत हुए। इस मौके पर जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी समेत कई वरिष्ठ उलेमा मौजूद रहे
मुत्तकी की स्पीच कैंसिल होने पर जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने बताया कि विदेश मंत्री की दारुल उलूम में आने वाले छात्रों से बातचीत हो चुकी है लेकिन उनके साथ आए मंत्रालय के अधिकारियों ने उन्हें जल्दी लौट की बात कही है जिस पर उन्होंने भी कह दिया कि आप जल्दी जाना चाहते हैं तो जा सकते हैं और वह निर्धारित समय से ढाई घंटे पहले ही देवबंद से रवाना हो गए।
सहारनपुर दारुल उलूम देवबंद के कुलपति मौलाना अरशद मदनी ने अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर ख़ान मुत्तक़ी से मुलाक़ात के बाद कहा,
"अफ़ग़ानिस्तान के साथ हमारे सदियों पुराने रिश्ते हैं। वहाँ से कई लोग यहाँ आए हैं और यहाँ से कई लोग वहाँ गए हैं... मैंने उनसे कहा कि जिस तरह आपने बड़ी ताकतों को हराकर अपना शासन स्थापित किया, वह आपने भारत से सीखा है, और उन्होंने इससे इनकार नहीं किया। हमने उनका स्वागत किया और कहा कि आपको हमारा संदेश अपने साथ ले जाना चाहिए। अफ़ग़ानिस्तान के लोगों ने सबसे शक्तिशाली देश के शासन को स्वीकार नहीं किया है, और मेरा मानना है कि ऐसे देश के साथ संबंध रखना हम दोनों के लिए फ़ायदेमंद है... हमने महिलाओं की शिक्षा और उनके अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर बात नहीं की है..."सहारनपुर: दारुल उलूम देवबंद के कुलपति मौलाना अरशद मदनी ने कहा, "चाहे भारत हो, पाकिस्तान हो, बांग्लादेश हो, अमेरिका हो या स्विट्ज़रलैंड - हमारे मदरसे, उनमें कोई अंतर नहीं है।"
दिल्ली स्थित दूतावास में आयोजित अफ़ग़ान विदेश मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कथित तौर पर महिला पत्रकारों को आमंत्रित न किए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए मदनी ने कहा, "यह झूठा प्रचार फैलाया जा रहा है और लोगों ने मुझे बताया है कि उन्होंने (अफ़ग़ानिस्तान पक्ष ने) कल की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को प्रवेश नहीं दिया; यह सिर्फ़ एक संयोग था।"
मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मैंने अफगानिस्तान के विदेश मंत्री से बातचीत में कहा कि हमारे ताल्लुकात का विषय केवल इल्मी नहीं है, बल्कि हिंदुस्तान की आजादी में आपके योगदान का इतिहास भी अहम है। यहां के आला उलमा ने हिंदुस्तान की स्वतंत्रता संग्राम में जो भूमिका निभाई, उसकी झलक अफगानिस्तान की सरज़मीन में भी देखने को मिली।
हिंदुस्तान और अफगानिस्तान के संबंधों को लेकर उन्होंने कहा कि इस दौर में दोनों देशों के रिश्ते और मजबूत होंगे। उन्होंने बताया कि अफगानिस्तान के विदेश मंत्री से हमारी बातचीत में यह स्पष्ट हुआ कि हिंदुस्तान के मुसलमान और दारुल उलूम के साथ उनका गहरा नाता है।
जब हिंदुस्तान और अफगानिस्तान में मुसलमानों की स्थिति पर सवाल किया गया, तो मौलाना अरशद मदनी ने स्पष्ट किया कि हमारी किसी भी प्रकार की सियासी बातचीत नहीं हुई, बातचीत केवल धार्मिक मुद्दों तक सीमित रही।
उन्होंने दोनों देशों के संबंधों पर कहा कि पहले यह धारणा थी कि यहां पर सक्रिय आतंकवादी अफगानिस्तान से आते हैं, लेकिन अब यह स्पष्ट हो गया है कि अफगानिस्तान से किसी भी प्रकार की मदद भारत में आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं पहुँच रही है।
कार्यक्रम में मौजूद महिला पत्रकारों से दारुल उलूम प्रशासन ने अनुरोध किया कि वे परंपरागत इस्लामी नियमों का पालन करते हुए परदे में रहकर कार्यक्रम को कवर करें। इसके लिए उन्हें अलग स्थान पर बैठने की व्यवस्था की गई थी। इस फैसले पर जब मीडिया ने सवाल किया तो प्रशासन ने स्पष्ट किया कि यह कोई नई व्यवस्था नहीं है, बल्कि संस्था की वर्षों पुरानी परंपरा का हिस्सा है। दारुल उलूम प्रबंधन का कहना था कि वे अपने धार्मिक और सांस्कृतिक मानकों के अनुरूप ही सभी कार्यक्रम आयोजित करते हैं, और यह नियम हर किसी पर समान रूप से लागू होता है।
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