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मस्जिद में बिना सिर ढके पहुंचीं डिंपल यादव! भड़क उठे मौलाना, अखिलेश की बैठक पर भी हुए नाराज
Akhilesh Dimple mosque controversy: अखिलेश यादव की मस्जिद में बैठक और डिंपल यादव के बिना सिर ढके मस्जिद जाने पर विवाद गहराया गया है।
Akhilesh Dimple mosque controversy: अखिलेश यादव के मस्जिद में बैठक को लेकर अब देश की राजनीति गरमा गई है। न सिर्फ अखिलेश की बैठक, बल्कि सपा नेता डिंपल यादव के मस्जिद में जाने और वहां पर बिना सिर ढके बैठने को लेकर भी बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। इस बात से मौलाना नाराज हैं और उन्होंने माफी की मांग की है।
मौलाना ने जताई नाराजगी, डिंपल के पहनावे को बताया इस्लाम विरोधी
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी से लेकर मौलाना तौकीर रजा ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि डिंपल यादव ने मस्जिद की पवित्रता का उल्लंघन किया है। उनके पहनावे और बिना सिर ढके मस्जिद में जाना इस्लाम और भारतीय संस्कृति दोनों के खिलाफ है। मौलाना का कहना है कि डिंपल को मुस्लिम समुदाय से माफी मांगनी चाहिए।
क्या मस्जिद में सियासी बैठक उचित थी?
मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि मस्जिद इबादत की जगह है, ना कि राजनीतिक बैठकों की। उन्होंने आरोप लगाया कि अखिलेश यादव और उनके सांसदों ने मस्जिद के वातावरण को राजनीतिक बना दिया, जो ठीक बात नहीं है। उनका कहना है कि इस्लाम किसी भी राजनीतिक गतिविधि को मस्जिद में करने की इजाजत नहीं देता।
सांसद मोहिबुल्ला नदवी पर भी सवाल
रामपुर से समाजवादी पार्टी के सांसद मोहिबुल्ला नदवी, जो खुद मस्जिद के इमाम भी हैं, को लेकर भी विवाद खड़ा हो गया है। मौलाना रजवी का कहना है कि नदवी ने मस्जिद की गरिमा को ठेस पहुंचाई है और उन्हें इमामत से हटाया जाना चाहिए। उन्होंने मांग की कि नदवी भी पूरे कौम से माफी मांगें।
कैसे शुरू हुआ पूरा विवाद?
दरअसल, गत मंगलवार को संसद की कार्यवाही स्थगित होने के बाद अखिलेश यादव अपने सांसदों के साथ नदवी के आमंत्रण पर पास की मस्जिद गए थे। यह मस्जिद संसद भवन के पास ही स्थित है। वहां कुछ देर बैठने और बातचीत करने के दौरान डिंपल यादव की तस्वीरें वायरल हो गईं, जिनमें वह साड़ी पहने थीं और बिना सिर ढके मस्जिद में बैठी थीं।
भाजपा ने साधा निशाना, सपा ने दिया जवाब
यह मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। इस पर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए उन्हें “नमाजवादी” कहा। उन्होंने कहा कि यह संविधान का उल्लंघन है। इसके जवाब में अखिलेश ने कहा कि उनकी पार्टी सभी धर्मों का सम्मान करती है और भाजपा धर्म को हथियार बनाकर लोगों में दूरी बढ़ाती है।
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