Sonbhadra News: बगैर पंजीयन संचालित अस्पताल में बालक की मौत पर बड़ा एक्शन, जांच के लिए गठित की गई तीन सदस्यीय कमेटी, एसडीएम को सौंपी अगुवाई:

Sonbhadra News: कोन थाना क्षेत्र के कोन कस्बे में बगैर पंजीयन अस्पताल संचालन और यहां उपचार के लिए आए बालक की मौत मामले को लेकर डीएम की तरफ से बड़ा एक्शन सामने आया है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 6 Aug 2025 9:03 PM IST (Updated on: 6 Aug 2025 9:29 PM IST)
Sonbhadra News: बगैर पंजीयन संचालित अस्पताल में बालक की मौत पर बड़ा एक्शन, जांच के लिए गठित की गई तीन सदस्यीय कमेटी, एसडीएम को सौंपी अगुवाई:
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Sonbhadra News: कोन थाना क्षेत्र के कोन कस्बे में बगैर पंजीयन अस्पताल संचालन और यहां उपचार के लिए आए बालक की मौत मामले को लेकर डीएम की तरफ से बड़ा एक्शन सामने आया है। प्रकरण में एसडीएम ओबरा की अगुवाई में जहां तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। वहीं, बालक की मौत के साथ ही, बगैर पंजीयन अस्पताल संचालन के लिए कौन दोषी हैं, इसकी भी रिपोर्ट तलब की गई है। टीम से हर हाल में एक पखवाड़े के भीतर, हर बिंदु पर जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

सरकारी प्रवक्ता के मुताबिक डीएम बीएन की तरफ से गठित तीन सदस्यीय कमेटी की अध्यक्षता उप जिलाधिकारी ओबरा को सौंपी गई है। वहीं इस टीम में सदस्य के रूप में पुलिस उपाधीक्षक ओबरा और एसीएमओ डॉ. प्रेमनाथ को नामित किया गया है। कमेटी को निर्देशित किया गया है कि वह भारत हास्पिटल एवं सर्जिकल सेंटर के पंजीकरण, उपलब्ध चिकित्सा व्यवस्था, उपलब्ध सुविधाएं, अस्पताल में कार्यरत चिकित्सकों की योग्यताएं, पैरा मेडिकल स्टाफ तथा मानक के अनुरूप अस्पताल के संचालन सहित सभी जरूरी बिंदुओं पर जांच की जाए और एक पखवाड़े के भीतर उनके यहां इसकी जांच आख्चा/रिपोर्ट प्रेषित की जाए।

पूरे जिले में हावी है जुगाड़ तंत्र, सत्ता के रसूखदारों तक है मजबूत पैठः

जिले में कहीं बगैर पंजीयन तो कहीं बगैर प्रशिक्षित डॉक्टरों के ही सर्जिकल सेंटर, ट्रामा सेंटर का संचालन हो रहा है। मल्टीस्पेशिलिटी हास्पीटलों के बोर्ड पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। इसको लेकर डीएम स्तर से कई बार कार्रवाई का निर्देश दिया जा रहा है। सीएमओ की तरफ से विभागीय बैठकों में इसको लेकर दिशानिर्देश दिए जाते रहते हैं लेकिन जुगाड़ तंत्र जहां सारे निर्देशों पर भारी है, वहीं इस तंत्र की सत्ता के रसूखदारों तक मजबूत पैठ, सिर्फ स्वास्थ्य महकमे के ही नहीं, पुलिस महकमे के भी हाथ बांांध कर रख देती है। एक तरफ जीरो टालरेंस का दावा और दूसरी तरफ सियासी पैठ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि न चाहते हुए पुलिस को पीड़ित पक्ष के खिलाफ का्रस एफआईआर दर्ज करनी पड़ती है। वहीं, स्वास्थ्य महकमे के अफसर भी पीड़ित पक्ष के मुकरने या कार्रवाई न चाहने की बात कहकर, प्रकरण से खुद को किनारे कर लेते हैं।

गांव-गांव फैले हैं एजेंट, फंसता है पेंच तो डिग्री कर देता है मामला सेट

जिला मुख्यालय से लेकर कस्बे तक नियमों-निर्देशों को दरकिनार कर संचालित अस्पतालों की सिर्फ सियासी पैठ और जुगाड़ मैनजमेंट ही मजबूत नहीं है लोगों की मानें तो गांव-गांव एजेंट फैल हुए हैं। मरीजों को अच्छे उपचार-बेहतर तरीके से ऑपरेशन का भरोसा देकर, अस्पतालों तक पहुंचाने वालों को, मरीजों से वसूले जाने वाली रकम का एक निर्धारित हिस्सा भी अघोषित तौर पर कमीशन के रूप में दिए जाने की बाातें, चर्चाएं सामने आती रहती है। दिलचस्प मसला यह है कि कई बार कमीशन का यह कथित खेल, स्वास्थ्य महकमे के भी कुछ लोगों से जुड़ा होने का दावा किया जाता है।

आसान नहीं है आवाज उठाना, सिस्टम ही करता है सपोर्ट!

ऐसे अस्पतालों के खिलाफ आवाज उठाना किसी के लिए भी सामान्य बात नहीं है। एक तरफ आवाज उठाने पर मिलने वाली धमकी और दूसरी तरफ, ऊंची रसूख और कार्रवाई के नाम पर ढिलाई जैसी चीजें आवाज उठाने वालों का मनोबल तोड़ देती हैं। यहीं कारण है कि सोनभद्र में 10 से 15 साल पूर्व गिने-चुने अस्पताल होते थे। अब जिला मुख्यालय से कस्बों तक जहां अस्पतालों की बाढ़ आ गई है। वहीं, हर गंभीर रोग के आसान उपचार और हर कठिन सर्जरी आसानी से किए जाने के दावे करते बड़े-बड़े बोर्ड़ और होर्डिंगों की सच्चाई क्या है, शायद ही इसका सच जानने की जरूरत समझी जाती है।

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Harsh Srivastava

Harsh Srivastava

News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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