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Newstrack Special: सोनभद्र फासिल्स को मिलेगा दक्षिण अफ्रीका के बाद विश्व की सबसे प्राचीन धरोहर का दर्जा, यूनेस्को की संभावित सूची ने जगाई वैश्विक स्तर पर बड़े वैज्ञानिक अनुसंधान की उम्मीद

Sonbhadra News: इस धरोहर को अहम प्राथमिकता दिए जाने के मामले ने, दुनिया के इस अजूबे को, जल्द ही दक्षिण अफ्रीका के बाद, विश्व की सबसे प्राचीन धरोहर का दर्जा मिलने की उम्मीद जगा दी है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 24 Jun 2025 9:00 PM IST
sonbhadra fossils park to Get Possible UNESCO List After South Africa World
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दक्षिण अफ्रीका के बाद यूनेस्को की संभावित सूची सोनभद्र फासिल्स को मिलेगा विश्व की सबसे प्राचीन धरोहर का दर्जा (Photo- Newstrack)

Sonbhadra News: सोनभद्र । सलखन फासिल्स जहां, अब जल्द ही अधिकृत रूप से सोनभद्र के फासिल्स (सोनभद्र जीवाश्म पार्क) के रूप में पहचाने जाएंगे। वहीं, यूनेस्को की संभावित सूची में, इस धरोहर को अहम प्राथमिकता दिए जाने के मामले ने, दुनिया के इस अजूबे को, जल्द ही दक्षिण अफ्रीका के बाद, विश्व की सबसे प्राचीन धरोहर का दर्जा मिलने की उम्मीद जगा दी है। इसको देखते हुए यह भी जताई जा रही है कि पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति की सबसे प्राथमिक कड़ी ऑक्सीजन की उत्पत्ति से जुड़ाव रखने वाले सलखन फासिल्स को लेकर वैश्विक स्तर पर बड़े वैज्ञानिक अनुसंधान यानी विस्तृत अध्ययन की पहल सामने आ सकती है। फिलहाल सभी की नजरें, यूनेस्को की तरफ से आगे चवलकर आने वाली विश्व विरासत की फाइनल सूची पर टिकी हुई हैं।


- जानिए, वैश्विक विरासतों की दृष्टि से कितने महत्वपूर्ण हैं सोनभद्र के फासिल्सः

अमेरिका का येलोस्टोन नेशनल पार्क: सोनभद्र का फासिल्स और अमेरिका का येलोस्टोन करीब-करीब एक तरह की ही परिस्थितियों (स्ट्रोमेटोलाइट्स और माइक्रोफॉसिल्स का समृद्ध संग्रह) दर्शाते हैं लेकिन येलोस्टोन जहां महज 500 मिलियन वर्ष पुराना है। वहीं, सोनभद्र के फासिल्स 1.4 बिलियन वर्ष से भी अधिक पुराने और येलोस्टोन के मुकाबले कहीं अधिक और प्रभावी रूप में सुरक्षित हैं। यलोस्टोन को वर्ष 1978 में ही विश्व धरोहर का दर्जा मिल चुका है। वहीं, भारत के सोनभद्र स्थित फासिल्स को लेकर अब प्रक्रिया शुरू हुई है।


- कनाडा स्थित बी मिस्टेकन पॉइंट: यूफ़ाउंडलैंड के दक्षिण-पूर्वी सिरे पर स्थित मिस्टेकन पॉइंट की उम्र लगभग 565 से 541 मिलियन वर्ष पूर्व की आंकी गई है। सलखन जीवाश्म पार्क और मिस्टेकन पॉइंट दोनों ही पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान करते हैं लेकिन कालखंड और जानकारियों की समृद्धि की दृष्टि से सोनभद्र का स्थान विशिष्ट है।

- कनाडा की सी जोगिंस जीवाश्म चट्टानें: इसकी उम्र लगभग 310 मिलियन वर्ष पूर्व आंकी गई है। सलखन के जीवाश्म जहां जीवन के सबसे शुरूआती चरण का प्रतिनिधित्व करते हैं। वहीं, जोगिंस को जीवन के उन्नत स्वरूप का प्रतिनिधित्व करने वाला रिकार्ड माना जाता है।

- दक्षिण अफ्रीका का बार्बरटन मखोनज्वा पर्वत: जीवाश्मों के मामले में विश्व विरासत का दर्जा रखने के मामले में यहीं एक ऐसी विरासत-धरोहर है जो प्राचीनता के मामले में सोनभद्र के फासिल्स को पीछे छोड़ती है। यहां की चट्टानों को 3.6 बिलियन वर्ष से भी अधिक पुराना माना जाता है और इनसे पृथ्वी की प्रारंभिक पपड़ी के निर्माण जैसी जानकारियां सामने आती हैं। इस धरोहर को जहां पृथ्वी पर जीवन के सबसे पुराने साक्ष्यों का घर माना जाता है। वहीं, सलखन जीवाश्म पार्क की भूमिका पृथ्वी के वायुमंडल को ऑक्सीजन उपलब्ध कराने के मामले मेें महत्वपूर्ण मानी जाती है।



- काफी पहले मिल जाना चाहिए था इसे विश्व विरासत का दर्जाः

कई भू-वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी विज्ञान की दृष्टि से सोनभद्र के फासिल्स जिस तरह की जानकारियां-जीवन के उत्पत्ति के प्रमाण संजोए हुए हैं, उसको देखते हुए, यहां की धरोहर को काफी पहले विश्व विरासत का दर्जा मिल जाना चाहिए था। अब जब इसको लेकर बड़ी पहल सामने आई है तो उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही सोनभद्र का यह अजूबा शैक्षिक पर्यटन के साथ ही, जीवन की उत्पत्ति से जुड़ी जटिलताओं को समझने के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान का भी बड़ा केंद्र बना दिखाई देगा।

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