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UP Congress: उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की जिला और शहर कमेटियों में सामाजिक न्याय को प्राथमिकता, 60 प्रतिशत होंगे पिछड़े और दलित
UP Congress: नई संरचना में कम से कम 60 प्रतिशत पद पिछड़े वर्गों (ओबीसी) और अनुसूचित जाति (एससी) के नेताओं को दिए जाएंगे।
UP Congress (photo: social media )
UP Congress: उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने आगामी चुनावों की तैयारियों के लिए संगठन में बड़े बदलाव की तैयारी कर ली है। कांग्रेस पार्टी ने जिला और शहर इकाइयों के गठन में सामाजिक न्याय को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार नई संरचना में कम से कम 60 प्रतिशत पद पिछड़े वर्गों (ओबीसी) और अनुसूचित जाति (एससी) के नेताओं को दिए जाएंगे। यह निर्णय राहुल गांधी के जातिगत न्याय अभियान के तहत लिया गया है।
सभी वर्गों का होगा प्रतिनिधित्व
उत्तर प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय ने फैसले की पुष्टि करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े, विविधतापूर्ण राज्य में कांग्रेस संगठन में समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व देना आवश्यक है। हमारी कोशिश संगठन के हर स्तर पर वंचित, पिछड़े और दलित समाज की भागीदारी सुनिश्चित करना है। इससे पार्टी की ज़मीनी पकड़ मज़बूत होगी, लोगों को भरोसा मिलेगा कांग्रेस असली सामाजिक न्याय की पक्ष धर है।
कांग्रेस नारों तक सीमित नहीं
उत्तर प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि कांग्रेस अब केवल नारों तक सीमित नहीं रहना चाहती, बल्कि वह संगठनात्मक रूप से भी सामाजिक न्याय को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। जल्द ही सभी जिलों में समितियों के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, जहां सुनिश्चित किया जाएगा कि कम से कम 60 प्रतिशत पद ओबसी, एसी और एसटी वर्ग के कार्यकर्ताओं को मिलें। युवाओं और महिलाओं को भी संगठन में पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया जाएगा।
सामाजिक न्याय को लेकर बहस
इसके साथ ही पिछड़े और दलित वर्गों के कार्यकर्ताओं को वरीयता दी जाएगी, जिन्होंने लंबे समय से पार्टी में सक्रिय भूमिका निभाई है। कांग्रेस पार्टी ने ऐसे समय में यह कदम उठाया है जब राज्य में जातीय जनगणना और सामाजिक न्याय को लेकर बहस तेज है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी समेत अन्य क्षेत्रीय दलों ने भी इसी मुद्दे पर अपनी आवाज़ बुलंद की है। जो कदम कांग्रेस पार्टि के लिए फायदे वाला हो सकता है।
पार्टी के नए युग की ओर संकेत
कांग्रेस पार्टी ऐसे दलों को सामाजिक न्याय के मुद्दे पर ही चुनौती देने की रणनीति पर काम कर रही है। एक ओर इससे पार्टी का सामाजिक आधार मज़बूत होगा, वहीं दूसरी ओर संगठन को नई ऊर्जा और ज़मीनी मजबूती मिलेगी। हालांकि, इसका असर आगामी 2027 विधानसभा चुनावों में कितना दिखेगा, यह समय ही बताएगा। कांग्रेस का नया प्रयोग पार्टी की पुरानी राजनीति से अलग एक नए युग की ओर संकेत करता है।
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