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Varanasi News: बीएचयू के पर्यटन विद्यार्थियों ने किया बिहार की यूनेस्को धरोहरों का शैक्षिक भ्रमण
Varanasi News: शैक्षणिक दल का नेतृत्व पर्यटन प्रबंधन के प्राध्यापक डॉ. अनिल कुमार सिंह एवं डॉ. प्रवीन राणा ने किया। भ्रमण में छात्रों ने ह्वेन त्सांग स्मृति भवन का अवलोकन कर भारत-चीन ऐतिहासिक संबंधों को समझा।
बीएचयू के पर्यटन विद्यार्थियों ने किया बिहार की यूनेस्को धरोहरों का शैक्षिक भ्रमण (Photo- Newstrack)
Varanasi News: वाराणसी, 1 अगस्त 2025: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) के कला संकाय में पर्यटन प्रबंधन के विद्यार्थियों ने हाल ही में बिहार की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों पर आधारित तीन दिवसीय शैक्षिक भ्रमण किया। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य छात्रों को भारत की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था, बौद्ध दर्शन और सांस्कृतिक विरासत से प्रत्यक्ष रूप से जोड़ना था।
यात्रा के दौरान छात्रों ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेषों का अध्ययन किया। उन्होंने यह समझा कि किस प्रकार नालंदा एक समय में वैश्विक शिक्षा का केंद्र था, और अब किस प्रकार इसका संरक्षण और पुनरुत्थान हो रहा है। छात्रों को नव नालंदा महाविहार विश्वविद्यालय का भ्रमण करने का अवसर मिला, जहां कुलपति प्रोफेसर सिद्धार्थ सिंह ने उन्हें ऐतिहासिक और शैक्षणिक दृष्टिकोण से मार्गदर्शन दिया।
शैक्षणिक दल का नेतृत्व पर्यटन प्रबंधन के प्राध्यापक डॉ. अनिल कुमार सिंह एवं डॉ. प्रवीन राणा ने किया। भ्रमण में छात्रों ने ह्वेन त्सांग स्मृति भवन का अवलोकन कर भारत-चीन ऐतिहासिक संबंधों को समझा। इसके साथ ही उन्होंने राजगीर के ब्रह्मकुंड (हिंदू तीर्थ स्थल) तथा गृद्धकूट पर्वत (बौद्ध स्थल) का भी भ्रमण किया।
बोधगया में विद्यार्थियों ने महाबोधि मंदिर में ध्यान किया और भगवान बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग को समझा। मंदिर प्रबंध समिति के वेन मनोज भंते ने उन्हें बौद्ध धर्म, ध्यान, अहिंसा और आत्मचिंतन के सिद्धांतों से परिचित कराया। छात्रों ने बोधी वृक्ष के नीचे ध्यान लगाकर बुद्ध के जीवन को आत्मसात करने का प्रयास किया।
छात्रों ने बोधगया में स्थित विभिन्न बौद्ध देशों की मॉनेस्ट्री का भ्रमण कर वैश्विक बौद्ध संस्कृति की विविधता का अनुभव किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने बिहार के ऐतिहासिक संग्रहालयों, ग्रंथालयों, प्राचीन स्थापत्य और मूर्तिकला का अध्ययन कर भारतीय सभ्यता की जड़ों को महसूस किया।
बीएचयू के शिक्षकों का मानना है कि इस भ्रमण ने छात्रों को किताबों से बाहर निकलकर इतिहास को महसूस करने का अवसर दिया और उनके दृष्टिकोण को व्यापक बनाया।
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