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Varanasi News: पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भीषण गर्मी: पानी के लिए तरस रहे बेजुबान जानवर, प्रशासन के दावे फेल

Varanasi News: नदी और तालाब जैसे प्राकृतिक जल स्रोत भी सूख गए हैं, जिससे इन जीवों के पास कोई विकल्प नहीं बचा है। स्थानीय निवासियों ने भी पुष्टि की है कि यह एक गंभीर और लगातार बनी रहने वाली समस्या है।

Ajit Kumar Pandey
Published on: 12 Jun 2025 7:58 PM IST
Heat Wave in Varanasi City temperature Uttar Pradesh Weather Update Water shortage News in Hindi
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वाराणसी में भीषण गर्मी: पानी के लिए तरस रहे बेजुबान जानवर, प्रशासन के दावे फेल (Photo- Newstrack)

Varanasi News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में 45 डिग्री सेल्सियस की भीषण गर्मी ने शहर के जानवरों के लिए एक गंभीर संकट पैदा कर दिया है। वे पीने के पानी की एक-एक बूंद के लिए संघर्ष कर रहे हैं। राज्य सरकार के कई निर्देशों के बावजूद, स्थानीय प्रशासन के प्रयास जमीन पर विफल होते दिख रहे हैं, जिससे बेजुबान जीव भारी संकट में हैं।

पानी के लिए तरस रहे हैं जानवर

इंसान तो विरोध करके और शिकायत करके अपनी फरियाद अधिकारियों तक पहुंचा सकते हैं, लेकिन वाराणसी के जानवर चुपचाप यह पीड़ा सह रहे हैं। उनकी इस विकट स्थिति की सच्चाई एक मार्मिक वीडियो में कैद हुई है, जिसमें एक बंदर हताश होकर एक सार्वजनिक नल को चलाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन उसे वह पूरी तरह सूखा मिलता है। यह एक तस्वीर इस पूरे संकट का प्रतीक बन गई है।

स्थानीय प्रशासन पर बड़े-बड़े दावे करने के आरोप लग रहे हैं, जो कार्रवाई में बदलते नहीं दिख रहे। मुख्यमंत्री कार्यालय से गर्मी के दौरान जानवरों के लिए संसाधनों को सुनिश्चित करने के सख्त आदेशों के बावजूद, उनका कार्यान्वयन कमजोर दिखाई दे रहा है। नदी और तालाब जैसे प्राकृतिक जल स्रोत भी सूख गए हैं, जिससे इन जीवों के पास कोई विकल्प नहीं बचा है।

स्थानीय निवासियों ने भी पुष्टि की है कि यह एक गंभीर और लगातार बनी रहने वाली समस्या है। उन्होंने बताया कि जानवरों को लगातार पानी की तलाश में भटकते देखा जाता है और कई तो पानी की कमी से मरने की कगार पर हैं।

प्रशासन की नींद कब खुलेगी

यह स्थिति एक महत्वपूर्ण सवाल खड़ा करती है: जब अधिकारी वादे कर रहे हैं, तो इन असहाय जानवरों के जीवन के लिए कौन जिम्मेदार है? यह वाराणसी प्रशासन का तत्काल और मौलिक कर्तव्य है कि वह करुणा के साथ काम करे और किसी भी त्रासदी को रोकने के लिए तुरंत पर्याप्त जल स्रोतों की व्यवस्था करे। अब देखना यह है कि प्रशासन की नींद इस जानलेवा संकट पर कब खुलती है।

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