Varanasi News: BHU के आला अधिकारियों की कारनामों से बढ़ रही आम जनमानस की मुश्किल

Varanasi News: केंद्र की स्थापना के समय से ही इस केंद्र की जिम्मेदार लोगों को यह हिदायत भारत सरकार द्वारा दी गई थी, भारत सरकार द्वारा दिया गया पब्लिक मनी किसी भी प्रकार से जाया ना किया जाए।

Ajit Kumar Pandey
Published on: 10 May 2025 10:27 AM IST
Varanasi News: BHU के आला अधिकारियों की कारनामों से बढ़ रही आम जनमानस की मुश्किल
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Varanasi News: भारतीय जन औषधि और पुरातन ज्ञान से निकली हुई जन औषधीय को अंतरराष्ट्रीय पहचान देने के प्रयास में अनवरत लगे हुए केंद्र (NFTHM ,IMS ,BHU)जिसके महत्वपूर्ण रखरखाव संचालन की पूरी जिम्मेदारी काशी हिंदू विश्वविद्यालय को 2007 से ही दी गई थी ,और जन औषधि जानकारी को आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने हिप्पोफी नामक पौधे का उल्लेख कश्मीर लेह लद्दाख घाटी के अपने उद्बोधन में किया था, जिस कार्य को करने के लिए गुजरात में सरकार ड्रग डेवलपमेंट एंड क्लिनिकल ट्रायल फैसिलिटी को स्थापित करने के क्रम में लगी हुई है।

ऐसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुविधा केंद्र को पिछले कुछ दिनों से मृतप्राय छोड़ दिया गया है। केंद्र के रिसर्च को आगे बढ़ाने की क्षमता रखने वाले वैज्ञानिकों और टेक्निकल स्टाफ को अन्य विभागों में मजदूर की तरह डेप्लॉय कर दिया गया है, जिसका असर यह है कि भारत सरकार के द्वारा इस सुविधा केंद्र के प्रति जवाब देही किसकी है इसका आकलन मुश्किल हो रहा है !

कहां गए वे जिम्मेदार लोग जो उसकी जिम्मेदारी लिए हुए खड़े थे

केंद्र की स्थापना के समय से ही इस केंद्र की जिम्मेदार लोगों को यह हिदायत भारत सरकार द्वारा दी गई थी, भारत सरकार द्वारा दिया गया पब्लिक मनी किसी भी प्रकार से जाया ना किया जाए, और 7 करोड़ 56 लख रुपए की प्रथम 3 वर्षों की पूंजी लगाकर इस केंद्र को स्थापना की जाए! तत्कालीन कुलपति और यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन के प्रयास से, इस केंद्र को 2018 से यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन का 50 लाख रुपया एनुअल भी आवंटित किया जा रहा है, इसके बावजूद भी केंद्र के रखरखाव और कर्मचारियों के हितों की कोई भी आवश्यकता काशी हिंदू विश्वविद्यालय की आला कमान के अधिकारी नहीं समझ पा रहे हैं !

Bhu के उच्च अधिकारियों द्वारा निम्न कर्मचारीयों का शोषण

कर्मचारी के रूप में काम करने वाले लोगों को भेड़ बकरी की तरह, पिछले 17 सालों से मजदूरी करने के बावजूद जिम्मेदार अधिकारी अपने भूमिका को नहीं समझ पा रहे हैं, जबकि काशी हिंदू विश्वविद्यालय का एवं सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश है कि किसी भी कर्मचारी को लंबे समय तक बद्दुआ मजदूरी नहीं कराई जा सकती !

विश्वविद्यालय प्रशासन प्रधानमंत्री की योजनाओं को दिन में तारे दिखाने का काम क़र रहा है

केंद्र की नजर में ऐसे कार्यों की आवश्यकता भले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जनजातीय लोगों के पुनरुत्थान मे सहायक मानी जाती रही हो, परंतु विश्वविद्यालय प्रशासन इसको दिन में तारे दिखाने में और इस केंद्र को पूरी तरह से डिफेहम करने और बंद करने में लगा हुआ है !

मोदी के सपनों के रिसर्च सेंटर को लगा ताला

कर्मचारियों पर कुछ इस तरह का प्रभाव और असर है कि सामान्य विरोध करने की भी ताकत उनमें नहीं बची है, और इस मनमाने रवैया के कारण ही केंद्र द्वारा आवंटित पैसों का समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा है ! यद्यपि काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर समुदाय का एक बड़ा वर्ग यह मानता रहा है कि इस तरह के अन्वेषण केंद्र की जरूरत ड्रग डेवलपमेंट के लिए बहुत मायने रखती है और कोरोना काल जैसी विपरीत परिस्थिति में क्लिनिकल ट्रायल की आवश्यकता औषधीय गुणवत्ता के प्रतिस्थापन के लिए कितनी सहायक है ,इसको पूरा देश समझ गया था !

यह माना जाता है कि पूरे मध्य भारत झारखंड छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश में जनजाति औषधीय को वैज्ञानिक और चिकित्सकीय परीक्षण के द्वारा खोज करने का एकमात्र यह केंद्र 2007 में स्थापित किया गया था ! भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के विजन को भी काशी हिंदू विश्वविद्यालय नहीं समझ पा रहा है, और इस राष्ट्रीय केंद्र की व्यवस्था को सुचार रखने में स्वयं प्रयास नहीं कर रहा !!'

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