Varanasi News: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान में सस्वर सुंदरकांड का संगीतमय पाठ एवं विवेचना आयोजित

Varanasi News: डॉ. अखिलेश कुमार मिश्रा ने सुंदरकांड महिमा व महात्म्य का वर्णन किया और कहा कि सुंदरकांड का पाठ न केवल मानसिक शांति देता है, बल्कि आत्मिक ऊर्जा और नैतिक बल भीप्रदान करता है।

Ajit Kumar Pandey
Published on: 3 May 2025 8:50 PM IST
Musical recitation and discussion of Saswar Sundarkand held at Institute of Agricultural Sciences, Kashi Hindu University
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काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान में सस्वर सुंदरकांड का संगीतमय पाठ एवं विवेचना आयोजित (Photo- Social Media)

Varanasi News: वाराणसी, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित कृषि विज्ञान संस्थान के शताब्दी कृषि प्रेक्षागृह में शनिवार को एक भव्य और भावनात्मक वातावरण में सस्वर सुंदरकांड पाठ एवं विवेचना का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम आध्यात्मिकता, संस्कृति और शिक्षा का अद्भुत संगम सिद्ध हुआ।

इस अवसर पर डॉ. अखिलेश कुमार मिश्रा, आईएएस, ने सुन्दरकांड की अद्भुत संगीतमय प्रस्तुति कर सभागार के वातावरण को भक्तिमय कर दिया। डॉ. मिश्रा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पुरा छात्र भी हैं। उन्होंने कृषि विज्ञान संस्थान से 1986 में बैचलर इन एग्रीकल्चरल साइंसेज़, 1988 में मास्टर्स इन जेनेटिक्स और 1991 में पीएचडी (जेनेटिक्स) की उपाधि प्राप्त की है।


सुंदरकांड का पाठ आत्मिक ऊर्जा देता है

डॉ. अखिलेश कुमार मिश्रा ने सुंदरकांड महिमा व महात्म्य का वर्णन किया और कहा कि सुंदरकांड का पाठ न केवल मानसिक शांति देता है, बल्कि आत्मिक ऊर्जा और नैतिक बल भीप्रदान करता है। बीएचयू के बारे में उन्होंने कहा कि ज्ञान के जिस केन्द्र से उनकी शिक्षा की नींव रखी गई, वहां अपने गुरुजनों के समक्ष सुंदरकांड पाठ करना उनके लिए अत्यंत भावुक क्षण है। उन्होंने कहा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय उनके जीवन का आधार है।

उन्होंने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि भले ही वे कितनी भी डिग्रियाँ क्यों न प्राप्त कर लें, लेकिन अपनी जड़ों और संस्कृति से सदैव जुड़े रहें। कार्यक्रम में सुंदरकांड का संगीतमय पाठ केवल डॉ. मिश्रा द्वारा ही नहीं, बल्कि प्रेक्षागृह में उपस्थित सभी विद्यार्थियों, शिक्षकों और अतिथियों द्वारा एक साथ किया गया, जिसने पूरे वातावरण को भक्ति रस में सराबोर कर दिया। पाठ के उपरांत सुंदरकांड के प्रमुख विचारों—भक्ति, सेवा, साहस और कर्तव्य—पर केंद्रित विवेचना भी प्रस्तुत की गई, जिसमें इन मूल्यों की आज के जीवन में प्रासंगिकता को रेखांकित किया गया।

मुख्य वक्ता का परिचय मुख्य आरक्षाधिकारी प्रो. एस. पी. सिंह ने दिया। उन्होंने डॉ. मिश्रा के जीवन, शैक्षणिक यात्रा एवं प्रशासनिक योगदान को विस्तार से प्रस्तुत किया। कृषि विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रोफेसर उदय प्रताप सिंह ने स्वागत संबोधन दिया।


प्रभु की भक्ति से जुड़ाव बनाए रखना चाहिए

उन्होंने कहा कि आज के दौड़ते भागते जीवन में हमें मन को सक्रिय रखते हुए प्रभु की भक्ति से जुड़ाव बनाए रखना चाहिए। यही जीवन को संतुलित और सार्थक बनाता है। कार्यक्रम में छात्र अधिष्ठाता प्रोफेसर अनुपम नेमा समेत विश्वविद्यालय के अनेक शिक्षक, कर्मचारी, अधिकारी व विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। मंच संचालन वैदिक दर्शन विभाग के प्रोफेसर धनंजय कुमार पांडेय ने किया।

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