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चीन का रेयर अर्थ निर्यात प्रतिबंध: सुजुकी ने स्विफ्ट कार का उत्पादन किया स्थगित

China Suspends Swift Car Production: जापान की अग्रणी ऑटोमोबाइल कंपनी सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन ने अपनी प्रमुख हैचबैक कार “स्विफ्ट” के उत्पादन को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया है।

Newstrack          -         Network
Published on: 6 Jun 2025 6:19 PM IST
China Suspends Swift Car Production
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China Suspends Swift Car Production

China Suspends Swift Car Production: जापान की अग्रणी ऑटोमोबाइल कंपनी सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन ने अपनी प्रमुख हैचबैक कार “स्विफ्ट” के उत्पादन को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया है। यह निर्णय चीन द्वारा रेयर अर्थ मैग्नेट के निर्यात पर लगाए गए नए सख्त प्रतिबंधों के कारण लिया गया है। ये प्रतिबंध 4 अप्रैल 2025 से लागू हुए, जो अमेरिका द्वारा चीन पर लगाए गए टैरिफ के जवाब में चीनी सरकार की ओर से लगाए गए प्रतिशोधात्मक कदम हैं। 26 मई 2025 से उत्पादन रोक दिया गया है, और यह घटना वैश्विक ऑटोमोबाइल उद्योग की महत्वपूर्ण कच्चे माल पर निर्भरता की कमजोर कड़ी को उजागर करती है।

चीन का रेयर अर्थ पर वर्चस्व

चीन दुनिया में उत्पादित रेयर अर्थ तत्वों (Rare Earth Elements - REEs) का लगभग 60% उत्पादन करता है और वैश्विक स्तर पर रेयर अर्थ मैग्नेट्स जैसे नीओडिमियम-आयरन-बोरॉन (NdFeB) की 90% से अधिक रिफाइनिंग क्षमता पर नियंत्रण रखता है। ये मैग्नेट्स इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs), पावर स्टीयरिंग सिस्टम और ब्रेकिंग सिस्टम के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं।

चीन द्वारा लागू प्रतिबंधों में 7 हेवी रेयर अर्थ मेटल्स – सैमारियम, गैडोलिनियम, टरबियम, डिसप्रोसियम, ल्यूटेशियम, स्कैंडियम, और यट्रियम – तथा इनसे बने मैग्नेट्स को लक्षित किया गया है।

यह निर्णय अमेरिका-चीन व्यापार तनावों के बीच लिया गया है। गौरतलब है कि 2010 में भी चीन ने जापान के साथ क्षेत्रीय विवाद के दौरान रेयर अर्थ का निर्यात रोक दिया था, जिससे डिसप्रोसियम और टरबियम जैसे तत्वों की कीमतों में 750% तक की वृद्धि हुई थी। वर्तमान प्रतिबंध कमर्शियल रूप से अधिक जटिल हैं, लेकिन चीन की रेयर अर्थ पर पकड़ को रणनीतिक हथियार की तरह उपयोग करने की कोशिश मानी जा रही है।

सुजुकी मोटर पर प्रभाव

26 मई 2025 को सुजुकी ने जापान के सागारा प्लांट में स्विफ्ट का उत्पादन स्थगित कर दिया। इसका कारण चीन से आवश्यक कंपोनेंट्स की आपूर्ति में देरी और निर्यात लाइसेंस की स्वीकृति में अड़चन बताया गया। कंपनी ने कई बार उत्पादन दोबारा शुरू करने की समय-सीमा बढ़ाई है, और अब अनुमान है कि 13 जून से आंशिक रूप से और 16 जून के बाद पूरी तरह उत्पादन शुरू किया जा सकेगा।

स्विफ्ट के हाइब्रिड और पेट्रोल दोनों मॉडलों में इस्तेमाल होने वाले इलेक्ट्रिक मोटर के निर्माण के लिए रेयर अर्थ मैग्नेट आवश्यक हैं। इन मैग्नेट्स की अनुपलब्धता ने उत्पादन प्रक्रिया को बाधित कर दिया है।

यह समस्या विशेष है क्योंकि मैग्नेट्स का उपयोग कंपनियों को मोटर डिज़ाइन को अपनी गाड़ियों के अनुसार कस्टमाइज करने की आज़ादी देता है। जबकि पूरे मोटर असेंबली का आयात डिजाइन में बदलाव की मांग करता है, मैग्नेट का उपयोग अधिक लचीलापन देता है। लेकिन चीन की लगभग एकाधिकार स्थिति ने इस लचीलापन को संकट में डाल दिया है।

वैश्विक उद्योग पर व्यापक प्रभाव

सुजुकी का यह निर्णय वैश्विक ऑटो उद्योग के लिए चेतावनी की तरह है। अमेरिका में, ऑटोमोबाइल नवाचार गठबंधन (Alliance for Automotive Innovation) – जिसमें जनरल मोटर्स, टोयोटा, और वोक्सवैगन जैसी प्रमुख कंपनियाँ शामिल हैं – ने मई 2025 में ट्रंप प्रशासन को चेतावनी दी थी कि यदि रेयर अर्थ मैग्नेट्स की आपूर्ति बाधित हुई तो ट्रांसमिशन, सेंसर, और पावर स्टीयरिंग जैसी महत्वपूर्ण तकनीकों का उत्पादन रुक सकता है।

फोर्ड ने मई के अंत में शिकागो प्लांट (जहां Explorer SUV बनती है) को अस्थायी रूप से बंद कर दिया। यूरोप की BMW और मर्सिडीज-बेंज जैसी कंपनियाँ भी अपने टियर-1 सप्लायर्स के माध्यम से आपूर्ति संकट का सामना कर रही हैं।

भारत, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार है, वहाँ भारतीय वाहन निर्माता संघ (SIAM) ने बताया कि कंपोनेंट्स का स्टॉक जून 2025 तक खत्म हो सकता है। भारत की सबसे बड़ी वाहन निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी (जो सुजुकी मोटर की ही सहायक कंपनी है) ने कहा कि फिलहाल कोई तत्काल प्रभाव नहीं है, लेकिन यदि स्थिति नहीं सुधरी तो एक मॉडल का उत्पादन रोका जा सकता है, जिसका नाम उजागर नहीं किया गया।

भारत सरकार ने तेज़ निर्यात लाइसेंस स्वीकृति के लिए एक प्रतिनिधिमंडल चीन भेजने का निर्णय लिया है, जो संकट की गंभीरता को दर्शाता है।

कीमतों में उछाल और वैश्विक प्रतिक्रिया

रेयर अर्थ तत्वों की कमी के कारण बाजार में कीमतें बढ़ रही हैं। उदाहरण के लिए, डिसप्रोसियम ऑक्साइड की कीमत शंघाई में $204/किलो तक पहुंच गई है, जो वैश्विक स्तर पर और अधिक हो सकती है। निर्माता कंपनियाँ अब इन मैटेरियल्स को स्टॉकपाइल (भंडारण) कर रही हैं, जिससे मांग और आपूर्ति के बीच असंतुलन और बढ़ गया है।

अमेरिका और जापान अब रेयर अर्थ की वैकल्पिक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर सहयोग बढ़ाने की योजना बना रहे हैं, जबकि भारत के वाणिज्य और विदेश मंत्रालय इस संकट को राजनयिक माध्यमों से हल करने के प्रयास में लगे हैं।

चीन का यह कदम न केवल सुजुकी जैसी कंपनियों के लिए झटका है, बल्कि वैश्विक ऑटो उद्योग के लिए एक संकेत है कि कच्चे माल की आपूर्ति पर निर्भरता कितनी जोखिमभरी हो सकती है। यदि समाधान शीघ्र नहीं निकला, तो यह संकट दुनिया भर के वाहनों की कीमतों, उपलब्धता और तकनीकी नवाचार पर गहरा असर डाल सकता है।

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