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क्या है हेवी वाटर रिएक्टर की खतरनाक कहानी- क्यों फूटा इजरायल का गुस्सा
Dangerous Story of the Heavy Water Reactor: क्या आप जानते हैं कि हेवी वाटर रिएक्टर क्या होता है और आखिर इससे ऐसा क्या बनता है जो इजरायल जो ये इतना डराता है? आइये इसके बारे में विस्तार से समझते हैं।
Dangerous Story of the Heavy Water Reactor (Image Credit-Social Media)
Dangerous Story of the Heavy Water Reactor: इजरायल और ईरान में जारी युद्ध के बीच इजरायल ने 7वें दिन ईरान के अराक हेवी वाटर परमाणु संयंत्र पर हमला कर पूरी दुनिया का ध्यान खींच लिया है। ये कोई आम हमला नहीं, बल्कि एक ऐसे रिएक्टर पर किया गया है जिसे लेकर पश्चिमी देशों को सालों से शक था कि यहां परमाणु बम के लिए ज़रूरी प्लूटोनियम तैयार किया जा रहा है। ईरान ने कहा कि इजरायल के हमले से संयंत्र को कोई बड़ा नुक़सान नहीं हुआ है और रेडियोएक्टिव रिसाव जैसी कोई घटना भी नहीं घटी। लेकिन इजरायल का ये हमला साफ बताता है कि वह अब इसे पूरी तरह नेस्तनाबूत करना चाहता है। पर असली सवाल है कि, हेवी वाटर रिएक्टर होता क्या है? इससे ऐसा क्या बनता है जो इजरायल को इतना डराता है? क्या वाकई ईरान इस तकनीक का इस्तेमाल बम बनाने के लिए कर रहा था? आइए इस बारे में जानते हैं विस्तार से -
अराक हेवी वाटर रिएक्टर सिस्टम कहां है और क्यों ज़रूरी है?
अराक रिएक्टर ईरान की राजधानी तेहरान से करीब 190 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में है। इसका निर्माण ईरान ने 2000 के दशक की शुरुआत में शुरू किया था। इस संयंत्र को IR-40 भी कहा जाता है। यहां दो मुख्य चीजें मौजूद हैं-
एक हेवी वाटर उत्पादन संयंत्र और एक परमाणु रिएक्टर, जो हेवी वाटर से ठंडा होता है। ईरान ने 2015 में हुए परमाणु समझौते (JCPOA) के दौरान वादा किया था कि वह इस संयंत्र को ऐसे बदलेगा कि इससे हथियार नहीं बन सकें। लेकिन 2018 में अमेरिका इस समझौते से बाहर हो गया और फिर ईरान ने भी संयंत्र पर काम तेज़ कर दिया।
हेवी वाटर रिएक्टर क्या होता है
पहले समझते हैं कि हेवी वाटर क्या होता है? असल में हम और आप जो पानी पीते हैं, वह 'लाइट वाटर' होता है यानी उसमें सामान्य हाइड्रोजन होता है। लेकिन हेवी वाटर यानी 'भारी जल' में हाइड्रोजन की जगह ड्यूटीरियम नाम का तत्व होता है। यह दिखने में तो पानी जैसा ही होता है, लेकिन यह ज्यादा भारी होता है।
इसका उपयोग क्या है?
हेवी वाटर का उपयोग परमाणु रिएक्टर को ठंडा करने के लिए किया जाता है। जब यूरेनियम जैसे तत्वों में विखंडन (फिशन) होता है, तो बहुत ज्यादा गर्मी पैदा होती है। उसे नियंत्रित और ठंडा रखने के लिए हेवी वाटर का इस्तेमाल किया जाता है।
यह खतरनाक कैसे है?
हेवी वाटर रिएक्टर एक और काम करता है, यह न्यूट्रॉन को धीमी गति से छोड़ता है, जिससे परमाणु विखंडन ज्यादा नियंत्रित होता है। इसके साथ ही इसमें जो यूरेनियम फूटता है, उससे एक बाय-प्रोडक्ट के रूप में प्लूटोनियम-239 निकलता है। अब ध्यान देने योग्य बात ये है कि, प्लूटोनियम-239 वही चीज़ है जिससे परमाणु बम बनाए जाते हैं। इसलिए ही हेवी वाटर रिएक्टर पर दुनिया भर की नज़रें होती हैं।
क्या हैं प्लूटोनियम-239 और परमाणु बम का रिश्ता
यूरेनियम के अलावा, परमाणु बम बनाने के लिए प्लूटोनियम भी इस्तेमाल होता है। यह ज्यादा प्रभावशाली और खतरनाक होता है। अमेरिका ने 1945 में नागासाकी पर जो बम गिराया था, वह प्लूटोनियम से ही बना था। प्लूटोनियम बहुत कम मात्रा में भी भयानक विस्फोट कर सकता है। यही कारण है कि, अगर कोई देश छुप-छुपाकर ऐसे रिएक्टर चला रहा हो जहां यह प्लूटोनियम तैयार हो रहा है, तो बाकी देश चिंता क्यों न करें?
इजरायल को डर किस बात का है?
इजरायल ने हमेशा ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अपने लिए खतरा माना है। वजह ये है कि ईरानी नेता अक्सर इजरायल को 'नष्ट करने योग्य राष्ट्र' बताते आए हैं। इजरायल की नीति बहुत साफ है कि 'हम किसी भी दुश्मन देश को परमाणु हथियार हासिल करने नहीं देंगे, चाहे इसके लिए हमें हमला ही क्यों न करना पड़े।'इस नीति का नाम है- Begin Doctrine। इसका पालन करते हुए इजरायल पहले भी 1981 में इराक के परमाणु रिएक्टर को नष्ट कर चुका है। 2007 में सीरिया के रिएक्टर पर हमला कर चुका है और अब 2025 में उसने ईरान के अराक संयंत्र को निशाना बनाया।
क्या है ईरान का दावा
ईरान हमेशा यही दावा करता है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है जैसे बिजली बनाना, मेडिकल रिसर्च, या औद्योगिक उपयोग।लेकिन कई बार IAEA (International Atomic Energy Agency) की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि ईरान सभी गतिविधियां पारदर्शी तरीके से नहीं कर रहा। 2022 से ईरान ने यह भी स्वीकारा कि वह यूरेनियम को 60% तक संवर्धित कर चुका है जबकि हथियार बनाने के लिए 90% पर्याप्त होता है।
अराक पर इजराइल का हमला क्यों महत्वपूर्ण कदम था?
अराक संयंत्र कोई आम जगह नहीं थी यहां भारी मात्रा में हेवी वाटर मौजूद था। यहां रिएक्टर चालू होने की तैयारी में था और इसका डिज़ाइन प्लूटोनियम पैदा करने वाला माना जा रहा है। ऐसे में इजरायल के लिए यह संयंत्र एक 'टिक-टिक करता टाइम बम' बन चुका था। इसीलिए हमला करना उसकी रणनीतिक प्राथमिकता बन गया। अब सभी की निगाहें ईरान पर हैं कि वह इसका बदला कैसे लेगा। हेवी वाटर रिएक्टर अपने आप में एक तकनीकी अजूबा है, लेकिन जब इसका इस्तेमाल छुपकर किया जाए और इससे प्लूटोनियम बने, तो यह 'शांतिपूर्ण तकनीक' अचानक एक खतरनाक हथियार का रूप धारण कर लेती है।
क्या हैं इससे जुड़ी वैश्विक चिंताएं
दोनों देशों के बीच अगर यह टकराव बढ़ा, तो तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं वैश्विक बाजारों में अस्थिरता आएगी और सबसे बड़ा खतरा परमाणु हथियारों की दौड़ है। सऊदी अरब, तुर्की और मिस्र जैसे देश भी फिर परमाणु कार्यक्रम तेज़ कर सकते हैं। अराक संयंत्र पर इजरायल का हमला केवल ईंट-पत्थर के एक केंद्र पर नहीं था, बल्कि यह एक साफ संदेश था कि हम परमाणु बम किसी भी कीमत पर नहीं बनने देंगे, खासकर दुश्मन देशों में।
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