भारतीय मूल की इस 'ताकतवर महिला' मुस्लिम नेता को भारत-PAK मिलकर कर रहा स्पोर्ट! कौन हैं वो...?

Ghazala Hashmi, US: भारतीय मूल की गजाला हाशमी वर्जीनिया लेफ्टिनेंट गवर्नर पद की दौड़ में उभरकर सामने आयी हैं। हैदराबाद में पैदा हुईं, यह डेमोक्रेट नेता शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे बड़े मुद्दों पर लेकर चुनावी मैदान में उतरी हैं। उन्हें भारतीय-अमेरिकी और पाकिस्तानी-अमेरिकी समुदायों का व्यापक खुलकर समर्थन मिल रहा है।

Priya Singh Bisen
Published on: 25 Oct 2025 3:13 PM IST (Updated on: 25 Oct 2025 3:27 PM IST)
Ghazala Hashmi, US
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Ghazala Hashmi, US: न्यूयॉर्क सिटी के मेयर चुनाव में भारतीय मूल के डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जोहरान ममदानी इस वक़्त सुर्खियों में हैं। लेकिन... सिर्फ ममदानी ही नहीं बल्कि एक और डेमोक्रेट - गजाला हाशमी, जो हैदराबाद में जन्मी, वो भी अमेरिका में जमकर सुर्खियां बटोर रही हैं। वो वर्जीनिया में लेफ्टिनेंट गवर्नर के पद के लिए में दक्षिण एशियाई मतदाताओं जिनमें पाकिस्तानी मूल के लोग भी शामिल हैं उनके वोट को हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं।

हाल के एक सर्वे में सामने आया है कि हाशमी अपने रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी जॉन रीड पर बढ़त बनाई बरक़रार बनाये हुए हैं। हाशमी, जो 4 साल की उम्र में अपनी मां और बड़े भाई के साथ अमेरिका चली गई थीं, उनका वर्जीनिया की राजनीति में काफी लंबे वक़्त से गहरा प्रभाव रहा है। भारत में पैदा हुईं यह डेमोक्रेट नेता मौजूदा समय में वर्जीनिया में राज्य सीनेटर हैं। चुनाव में हाशमी को न केवल भारतीयों बल्कि पाकिस्तानियों का भी बड़ी संख्या में स्पोर्ट मिल रहा है।

भारत-PAK का साथ में कर रहा स्पोर्ट

हाशमी का चुनाव अभियान शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और प्रवासियों के प्रतिनिधित्व जैसे बड़े मुद्दों पर केंद्रित है, जो भारतीय और PAK-अमेरिकी समुदायों दोनों के साथ गूंजता है। सामुदायिक नेताओं का स्पष्ट कहना है कि दक्षिण एशियाई समुदायों के साथ उनके मजबूत रिश्ते और सबको शामिल करने वाली स्ट्रेटेजी ने उन्हें व्यापक समर्थन दिलाने में सहायता की है। वर्जीनिया के अगले लेफ्टिनेंट गवर्नर के चुनाव 4 नवंबर 2025 को आयोजित किये जायेंगे।

क्या हैं चुनाव का मुद्दा?

गजाला हाशमी की अभियान वेबसाइट के मुताबिक, उनके कई प्रमुख मुद्दों में सार्वजनिक शिक्षा, मतदान अधिकार, बंदूक हिंसा की रोकथाम, जलवायु में तेज़ी से बदलाव, आवास और सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच आदि हैं। वो लोकतंत्र के संरक्षण को भी बहुत महत्व प्रदान करती हैं। उनका अभियान न्यूयॉर्क सिटी में जोहरान ममदानी के अभियान से बहुत मिलता-जुलता है, जो नवंबर महीने के चुनाव के लिए लड़ रहे हैं। बात दे, हाशमी के रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी जॉन रीड एक प्रसिद्ध, रूढ़िवादी टॉक शो को भी होस्ट करती हैं। वॉशिंगटन पोस्ट के सर्वे के मुताबिक, हाशमी रीड से 7 अंकों की बढ़त बरकार रखे हुए हैं।

हाशमी ने 6 अक्टूबर 2025 को अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट करके कहा, वर्जीनिया के मजदूर अच्छी तरह से जानते हैं कि उनके लिए कोई भी मुझसे अधिक मेहनत नहीं कर रहा। लेफ्टिनेंट गवर्नर के तौर पर, मैं मजदूरों की सैलरी बढ़ाने, सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं की रक्षा करने और सभी परिवारों के लिए मौक़ा पैदा करने की लड़ाई आगे भी लड़ती रहूंगी।

पाकिस्तानियों का मिला बड़ा समर्थन

पाकिस्तानी मूल के फैज रहमान ने डॉन से कहा, उनका भारतीय मूल होना हमारे लिए कोई महत्व नहीं रखता। उन्होंने आगे कहा, अमेरिका में निवास करने वाले पाकिस्तानियों को ये बात अच्छे से समझना चाहिए कि व्यावहारिक रूप से वे अब अमेरिकी हैं। उनका पाकिस्तान से लगाव केवल भावनात्मक रूप से है। वहीं, दूसरी ओर दुकानदार कुलदीप सिंह ने भी इसी तरह की भाव भी व्यक्त किये। उन्होंने कहा, यह समर्थन इसलिए नहीं कि वो एक भारतीय मूल से हैं। मैं उन्हें वोट दूंगा क्योंकि वो डेमोक्रेट हैं और डेमोक्रेट्स प्रवासियों के लिए अच्छे होते हैं।

यहां जानें हाशमी का चुनावी सफर

61 साल की हाशमी ने जून में लेफ्टिनेंट गवर्नर के लिए डेमोक्रेटिक नामांकन में अपनी जीत दर्ज की थी, जिसमें उन्होंने 5 अन्य उम्मीदवारों को हराया था। हाशमी ने साल 2019 में इतिहास रचा था जब वो वर्जीनिया सीनेट के लिए चुनी जाने वाली पहली मुस्लिम और पहली दक्षिण एशियाई अमेरिकी के रूप में सामने आयी, जैसा कि द अमेरिकन बाजार ने जनकारी दिया था।

जानें गजाला हाशमी के बारे में ?

गजाला हाशमी का जन्म साल 1964 में हैदराबाद में हुआ था, जबकि उनके पुश्तैनी संबंध कराची (जो अब पाकिस्तान में है) से जुड़े हैं। हाशमी 4 साल की उम्र में अपने परिवार के साथ भारत से अमेरिका चली गईं। उनकी परवरिश जॉर्जिया के एक छोटे शहर में हुई।

जानकारी के मुताबिक, उन्होंने जॉर्जिया सदर्न यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी में ग्रेजुएशन (BA) और एमोरी यूनिवर्सिटी से पीएचडी किया। हाशमी और उनके पति अजहर 1991 में रिचमंड क्षेत्र में बस गए, जहां वो अब भी रहते हैं। वर्जीनिया स्टेट सीनेट की सदस्य में शामिल होने से पहले, हाशमी ने लगभग तीन दशकों तक यूनिवर्सिटी ऑफ रिचमंड और रेनॉल्ड्स कम्युनिटी कॉलेज में प्रोफेसर के तौर पर कार्य किया।

बता दे, अपने पहले ही दांव में, डेमोक्रेट हाशमी ने वर्जीनिया के 10वें सीनेट जिले में रिपब्लिकन सासंद ग्लेन स्टर्टेवेंट को मात दिया था, जिससे उन्हें नेशनल लेवल पर पहचान मिली। अब पाकिस्तानी और भारतीय समुदायों समेत अन्य प्रवासी समुदाय भी उत्सुकता से देख रहे हैं कि क्या वह वर्जीनिया की पहली मुस्लिम और एशियाई-अमेरिकी लेफ्टिनेंट गवर्नर बन पाएंगी।

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