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भारत या पाकिस्तान नहीं बल्कि ट्रंप बचा रहे थे 'अपना परिवार', न्यूक्लियर की आड़ में बड़ा दांव
Trump with Pakistan: भारत पाकिस्तान के बीच तनाव में ट्रंप में बड़ा दांव खेल दिया है।
Donald Trump with Pak: भारत और पाकिस्तान के बीच 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद बढ़े तनाव के बीच पाकिस्तान ने एक विवादित कदम उठाया है। हाल ही में पाकिस्तान ने क्रिप्टोकरेंसी क्षेत्र की अमेरिकी कंपनी वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल (WLF) के साथ एक अहम समझौता किया है, जिसमें पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के परिवार की 60% हिस्सेदारी बताई जा रही है। इस डील ने वैश्विक राजनीति और कूटनीति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर यह कि क्या ट्रंप परिवार के हितों के चलते भारत-पाक के बीच कोई 'मध्यस्थता' की भूमिका निभाई गई?
ट्रंप न्यूक्लियर वार रुकवाने का गाना दुनिया भर के सामने गा रहे हैं। हालांकि भारत ने इसे स्पष्ट कर दिया है कि सीजफायर दोनों देशों के DGMO के बीच बातचीत से हुई है। दरअसल, ट्रंप वार रुकवाने का क्रेडिट लेने के साथ बड़ा खेल कर रहे थे। उन्होंने पाक के साथ एक डील किया। इसमें उनके परिवार की 60 फीसदी का शेयर है। WLF और पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल के बीच हुई यह डील 26 अप्रैल को इस्लामाबाद में साइन की गई, ठीक पहलगाम हमले के चार दिन बाद। हमले में धर्म के आधार पर भारतीय पर्यटकों की हत्या कर दी गई थी, जिसे लेकर पाक सेना की भूमिका पर सवाल उठे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स का दावा है कि इस हमले को सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की ‘क्लियरेंस’ मिली थी।
नई बनी क्रिप्टो काउंसिल, ट्रंप के करीबी भी शामिल
इस डील पर पाकिस्तान की पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल और WLF के बीच हस्ताक्षर किए गए। यह काउंसिल केवल एक महीने पुरानी है, लेकिन इसमें शामिल चेहरों ने इस डील को खास बना दिया। WLF प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व ट्रंप के करीबी और रियल एस्टेट कारोबारी स्टीव विटकॉफ के बेटे जैकरी विटकॉफ ने किया। उनके साथ जैकरी फोल्कमैन और चेस हेरो भी शामिल थे।
इस प्रतिनिधिमंडल को इस्लामाबाद में विशेष सम्मान दिया गया। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, सेना प्रमुख असीम मुनीर, उप प्रधानमंत्री, सूचना और रक्षा मंत्री, और स्टेट बैंक के गवर्नर सहित कई शीर्ष अधिकारी इस बैठक में शामिल रहे। वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब वीडियो कॉल से जुड़े, जबकि सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन ऑफ पाकिस्तान (SECP) के चेयरमैन और पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल के सीईओ बिलाल बिन साकिब भी बैठक में मौजूद थे।
डील का मकसद और विवाद
डील का उद्देश्य पाकिस्तान में ब्लॉकचेन तकनीक, स्टेबलकॉइन और डीसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस (DeFi) के विकास को बढ़ावा देना बताया गया है। पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने इसे 'डिजिटल फाइनेंस क्रांति की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम' बताया। हालांकि इस डील के समय और इसमें शामिल चेहरों ने संदेहों को जन्म दे दिया है। खासकर ऐसे वक्त में जब भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में गहराता तनाव और हालिया आतंकी हमले चिंता का विषय हैं, यह सवाल उठाया जा रहा है कि ट्रंप परिवार की आर्थिक भूमिका इस कूटनीतिक घटनाक्रम से कितनी जुड़ी है।
बाइनेंस के पूर्व CEO को बनाया सलाहकार
पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल ने क्रिप्टो क्षेत्र में अपनी गंभीरता दिखाने के लिए बाइनेंस के संस्थापक और पूर्व CEO चांगपेंग झाओ को सलाहकार नियुक्त किया है। यह कदम पाकिस्तान को दक्षिण एशिया की क्रिप्टो राजधानी बनाने की रणनीति का हिस्सा बताया गया है।
भविष्य की चिंताएं
इस समझौते से जुड़े राजनीतिक, कूटनीतिक और सुरक्षा पहलुओं को लेकर अब कई विशेषज्ञ सवाल उठा रहे हैं। भारत की ओर से अभी तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन इस डील के समय और पाकिस्तान की सैन्य भूमिका को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहस छिड़ गई है। क्या ट्रंप परिवार की कारोबारी दिलचस्पी भारत-पाक रिश्तों पर असर डाल रही है? यह अब वैश्विक चर्चा का विषय बन चुका है।
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