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पाकिस्तान को कुचल देगा चीन! अमेरिका की दहलीज पर जाने से चाइना मुनीर और शहबाज को देगा 'सजा'
America Pakistan China: अब यह देखना बाकी है कि चीन इस नए समीकरण पर क्या प्रतिक्रिया देता है और क्या पाकिस्तान अमेरिका की ओर बढ़ते इस कदम...
America Pakistan China: चीन और पाकिस्तान की दोस्ती को अकसर "सदैव स्थायी" बताया जाता है। दशकों से चीन पाकिस्तान को आर्थिक मदद, सैन्य तकनीक और कूटनीतिक समर्थन प्रदान करता रहा है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी वह पाकिस्तान का पक्ष लेता आया है, विशेष रूप से भारत से जुड़े मामलों में। लेकिन अब संकेत मिल रहे हैं कि पाकिस्तान की विदेश नीति में बड़ा बदलाव आ रहा है और यह बदलाव चीन के लिए चिंता का कारण बन सकता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में वैश्विक राजनीति के समीकरण बदल रहे हैं। हाल के हफ्तों में पाकिस्तान और अमेरिका के बीच बढ़ती नजदीकियों ने चीन-पाकिस्तान संबंधों को लेकर नए सवाल खड़े कर दिए हैं। "ऑपरेशन सिंदूर" में भारत द्वारा किए गए जवाबी हमले के बाद, पाकिस्तान की शीर्ष नेतृत्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर बार-बार अमेरिका और ट्रंप की भूमिका की प्रशंसा करते नजर आ रहे हैं। उनका दावा है कि सीजफायर की स्थिति ट्रंप के हस्तक्षेप के चलते बनी, और इसी वजह से पाकिस्तान अब वाशिंगटन के और करीब आता दिख रहा है।
क्या चीन को नाखुश कर रहा है पाकिस्तान?
चीन और अमेरिका के बीच लंबे समय से रणनीतिक प्रतिद्वंद्विता रही है। ऐसे में पाकिस्तान द्वारा अमेरिका की ओर झुकाव चीन के लिए असहज करने वाला कदम माना जा सकता है। जानकारों का कहना है कि शी जिनपिंग सरकार इस घटनाक्रम को गंभीरता से ले सकती है, क्योंकि चीन ने पाकिस्तान को हमेशा एक रणनीतिक सहयोगी के रूप में देखा है। अब सवाल यह है कि क्या बीजिंग अपने इस "पुराने मित्र" को अमेरिका की ओर जाने से रोक पाएगा, या फिर पाकिस्तान की यह रणनीति चीन के साथ उसके संबंधों में खटास ला सकती है।
आर्थिक दबाव और ऊर्जा संकट की मार
पाकिस्तान इस समय भीषण महंगाई, ऊर्जा संकट और मुद्रा अवमूल्यन जैसी आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है।
मिडिल ईस्ट में चल रहे तनाव, विशेषकर ईरान-इजरायल युद्ध और होरमुज जलडमरूमध्य में संभावित अस्थिरता के चलते कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आ सकती है।
इसका असर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों जैसे बिजली उत्पादन, परिवहन और कृषि पर पड़ सकता है।
सांप्रदायिक तनाव की आशंका
कुछ विश्लेषकों ने चेताया है कि यदि ईरान-इजरायल संघर्ष को धार्मिक रंग दिया गया, तो पाकिस्तान जैसे देशों में, जहां शिया आबादी लगभग 15% है, वहां सांप्रदायिक तनाव और वैचारिक टकराव की आशंका बढ़ सकती है। ऐसी स्थिति में पाकिस्तान की आंतरिक स्थिरता भी प्रभावित हो सकती है।
पाकिस्तान की विदेश नीति में यह बदलाव केवल सामरिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आर्थिक और सामाजिक स्थिरता के लिहाज़ से भी महत्वपूर्ण है। अब यह देखना बाकी है कि चीन इस नए समीकरण पर क्या प्रतिक्रिया देता है और क्या पाकिस्तान अमेरिका की ओर बढ़ते इस कदम की कीमत अपने पुराने साझेदार से रिश्तों में गिरावट के रूप में चुकाएगा या नहीं।
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