Pashupatinath temple: सावन में पशुपतिनाथ मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

Pashupatinath temple: सावन के पवित्र माह में काठमांडू स्थित विश्वप्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर में उमड़ी शिवभक्तों की भारी भीड़।

Sandeep Pal
Published on: 21 July 2025 5:01 PM IST (Updated on: 21 July 2025 5:19 PM IST)
Pashupatinath temple: सावन में पशुपतिनाथ मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
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Pashupatinath temple: सावन का महीना शिवभक्तों के लिए अत्यंत पवित्र होता है और सावन के पावन अवसर पर नेपाल के काठमांडू स्थित विश्वप्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर में इस वर्ष भी श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ रही है। भारत से बड़ी संख्या में शिवभक्त प्रत्येक वर्ष की भांति इस बार भी सावन में दर्शन के लिए पहुँच रहे हैं। मंदिर में शिवभक्ति का अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है और हर-हर महादेव के जयकारों से माहौल पूरी तरह भक्तिमय बना रहता है। भारत से आने वाले भक्तों के लिए यह मंदिर विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इसे हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक माना जाता है। पशुपतिनाथ को शिव का “पशुओं का नाथ” रूप माना जाता है। यहां पर सावन सोमवार के दिन विशेष पूजा, जलाभिषेक और रुद्राभिषेक का आयोजन होता है, जिसमें भारतीय भक्त बड़ी आस्था और भक्ति से शामिल होते हैं। सावन यानी श्रावण मास के दूसरे सोमवार को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल पशुपतिनाथ मंदिर के चारों द्वार स्थानीय समयानुसार सुबह 3 बजे से श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। पशुपति क्षेत्र विकास ट्रस्ट को लगभग दस लाख श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। पशुपति क्षेत्र विकास ट्रस्ट ने घोषणा की है कि वह सावन के दौरान विशेष पूजा के लिए 7,500 रुपये से कम कीमत के टिकट जारी नहीं करेगा। पशुपतिनाथ मंदिर में भी मारवाड़ी सेवा समाज की ओर से भक्तों को निःशुल्क भोजन कराया जाता है और यह व्यवस्था इस माह प्रत्येक सोमवार को जारी रहेगी। इसके अलावा, पशुपतिनाथ मंदिर आने वाले भक्तों के लिए पशुपति क्षेत्र विकास ट्रस्ट ने प्रत्येक सोमवार को घाटी में रिंग रोड पर निःशुल्क बस सेवा सुनिश्चित की है।

विदेशियों के प्रवेश पर रोक

पशुपतिनाथ मंदिर केवल हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए खुला है। ग़ैर-हिन्दुओं और विदेशियों के प्रवेश पर आज भी सख्त रोक है। इसी नियम के चलते एक ऐतिहासिक घटना घटी थी जब राजीव गांधी अपनी पत्नी सोनिया गांधी के साथ मंदिर दर्शन को पहुँचे थे। चूँकि सोनिया गांधी विदेशी मूल की थीं और हिन्दू धर्म की अनुयायी नहीं मानी गईं, इसलिए मंदिर प्रशासन ने उन्हें प्रवेश से मना कर दिया था। इस फैसले ने भारत-नेपाल संबंधों में अस्थायी तनाव पैदा कर दिया था। भारत ने इस अपमान को गंभीरता से लेते हुए नेपाल पर कुछ प्रतिबंध भी लगाए थे, लेकिन यह मामला बाद में शांतिपूर्ण तरीके से सुलझा और दोनों देशों के रिश्ते सामान्य हो गए।

मंदिर का ऐतिहासिक महत्व

पशुपतिनाथ मंदिर का इतिहास हजारों वर्षों पुराना माना जाता है। यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में गिना जाता है, हालांकि यह भारत से बाहर स्थित है। कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना स्वयं देवताओं ने की थी। यह बागमती नदी के तट पर स्थित है और इसका मुख्य शिवलिंग “पंचमुखी” है, जिसमें शिव के पाँच रूप दर्शाए गए हैं। पशुपतिनाथ मंदिर ने कई प्राकृतिक आपदाओं, विशेष रूप से 2015 के विनाशकारी भूकंप, को झेला है। उस भयानक आपदा में आसपास की कई इमारतें ढह गई थीं, लेकिन शिव की महिमा के आगे प्रकृति भी नतमस्तक हो गई। मंदिर को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ। यह चमत्कार आज भी भक्तों में आस्था को और प्रगाढ़ करता है। सावन के महीने में पशुपतिनाथ मंदिर सिर्फ एक तीर्थ स्थल नहीं, बल्कि भारत-नेपाल सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक बन जाता है। यह मंदिर न केवल शिवभक्तों की आस्था का केंद्र है, बल्कि दुनिया के सबसे प्राचीन और शक्तिशाली शिव मंदिरों में से एक माना जाता है। शिव की नगरी में जो एक बार आता है, वह उनकी महिमा का साक्षी बनकर लौटता है। भारत नेपाल के संबद्धों को अटूट बनाये रखने में पशुपतिनाथ की असीम कृपा है।

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Harsh Srivastava

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Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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