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Auraiya News: सावन के दूसरे सोमवार पर देवकली मंदिर में उमड़ा आस्था का सैलाब
Auraiya News: सावन के इस पावन अवसर पर औरैया ही नहीं, बल्कि कानपुर, जालौन, झांसी, इटावा जैसे आस-पास के जनपदों और अन्य राज्यों से भी हजारों श्रद्धालु दर्शन और पूजन के लिए पहुंचे।
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Auraiya News: औरैया जनपद में यमुना नदी के किनारे स्थित ऐतिहासिक देवकली मंदिर में सावन के दूसरे सोमवार को श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। तड़के सुबह 4 बजे से ही मंदिर परिसर में भक्तों की लंबी कतारें लग गईं। शिवभक्तों ने ‘हर-हर महादेव’ और ‘बम-बम भोले’ के जयकारों के साथ बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक किया।
देवकली मंदिर का ऐतिहासिक महत्व 11वीं शताब्दी से जुड़ा हुआ है। बताया जाता है कि कन्नौज के राजा जयचंद ने अपनी मुंहबोली बहन देवकला की श्रद्धा को देखते हुए इस मंदिर का निर्माण करवाया था। तभी से गांव का नाम भी देवकली पड़ गया। मंदिर की एक विशेषता यह भी है कि शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल कहां जाता है, इसका रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया है। पुजारियों का मानना है कि जल कहीं भूमि के अंदर समा जाता है।
दूर-दूर से पहुंचे श्रद्धालु
सावन के इस पावन अवसर पर औरैया ही नहीं, बल्कि कानपुर, जालौन, झांसी, इटावा जैसे आस-पास के जनपदों और अन्य राज्यों से भी हजारों श्रद्धालु दर्शन और पूजन के लिए पहुंचे। कुछ श्रद्धालु केवल दर्शन के लिए आए तो कुछ ध्यान और साधना में लीन दिखे। हरिद्वार समेत विभिन्न तीर्थस्थलों से लाया गया गंगाजल शिवलिंग पर अर्पित कर भक्तों ने पुण्य अर्जित किया।
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन और पुलिस ने विशेष सुरक्षा प्रबंध किए। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए प्रशासन ने पेयजल, शौचालय, मेडिकल और अन्य व्यवस्थाओं को दुरुस्त रखा। कांवड़ियों की भारी संख्या से सड़कें ‘शिवमय’ हो उठीं और मंदिर परिसर पूरी तरह भक्तिरस में रंग गया।देवकली मंदिर में सावन के सोमवार पर उमड़ी श्रद्धा और भक्ति की इस अनूठी छटा ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि आस्था और परंपरा का संगम आज भी लोगों के दिलों में गहराई से बसा हुआ है।
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