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पुतिन की गिरफ्तारी तय! हंगरी जाते ही जेल जाना तय, ICC वारंट के कारण उठ रहे सवाल
अलास्का वार्ता विफल होने के बाद ट्रंप और पुतिन अब यूक्रेन संघर्ष पर चर्चा के लिए हंगरी में संभावित बैठक की योजना बना रहे हैं। लेकिन इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट के चलते पुतिन की यह यात्रा कानूनी और राजनीतिक विवादों के केंद्र में आ गई है। क्या यूरोपीय देश उन्हें गिरफ़्तार करेंगे या यह वार्ता शांति का रास्ता खोलेगी?
Russia Putin and Mikhail Khodorkovsky (photo: social media)
अलास्का में वार्ता नाकाम रहने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन संघर्ष के संभावित समापन पर चर्चा के लिए हंगरी को अगले ठिकाने के रूप में चुना है। हालांकि दोनों नेताओं की इस मुलाकात का स्थान ही विवाद का केंद्र बन गया है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) ने पुतिन के खिलाफ वारंट जारी किया है और तकनीकन उन्हें आईसीसी सदस्य देशों में गिरफ्तार किया जाना चाहिए।
आईसीसी ने 2023 में पुतिन पर युद्ध अपराधों और यूक्रेनी बच्चों के अवैध निर्वासन के आरोपों के सिलसिले में गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। फिर भी आईसीसी के पास स्वायत्त गिरफ्तारी शक्ति नहीं है; उसके वारंटों को लागू करना सदस्य देशों के सहयोग पर निर्भर है। इस लिहाज से हंगरी, सर्बिया और रोमानिया जैसे आईसीसी सदस्य देशों के पास पुतिन के विमान उनके वायु क्षेत्र में प्रवेश करने पर उसे हिरासत में लेने का दायित्व बनता है। जर्मनी पहले ही हंगरी से पुतिन की गिरफ्तारी का आग्रह कर चुका है पर वास्तविकता में पुतिन को गिरफ्तार होते देखना आसान नहीं दिखता।
हंगरी की स्थिति और ओरबान का रुख
हंगरी ने 1998 के रोम संधि पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ने हाल ही में आईसीसी से बाहर निकलने की प्रक्रिया शुरू कर दी। प्रक्रिया अभी पूरी तरह लागू नहीं हुई है, इसलिए तकनीकी रूप से हंगरी पर पुतिन की गिरफ्तारी का दायित्व लागू हो सकता है। फिर भी राजनीतिक हकीकत ये कम संभावना दर्शाती है कि हंगरी पुतिन को हिरासत में लेने का कदम उठाएगा: ओरबान लंबे समय से ट्रम्प के सहयोगी रहे हैं और रूस के साथ भी उनके घनिष्ठ संबंध हैं। हंगरी ने पुतिन की सुरक्षा का भरोसा दिया है और ओरबान ने बुडापेस्ट को “ऐसी बातचीत के लिए यूरोप में सक्षम स्थान” के रूप में प्रस्तुत किया है।
पुतिन के लिए जोखिम और यात्रा मार्गों के विकल्प
यदि पुतिन हंगरी जाने को राजी होते हैं, तो यह चार साल के युद्ध के बाद किसी ईयू देश के प्रति उनकी पहली यात्रा होगी, और यह जोखिम भरी रहेगी। आईसीसी वारंट के बाद से पुतिन की अंतरराष्ट्रीय यात्राएँ सीमित हो गई हैं। अलास्का जाना उनके लिए आसान था क्योंकि उस रूट में शत्रुतापूर्ण देशों का हवाई क्षेत्र इस्तेमाल नहीं हुआ। पर बुडापेस्ट के लिए प्रत्यक्ष मार्ग बेलारूस और पश्चिमी यूक्रेन से गुजरता है जो बेहद खतरनाक है।
वैकल्पिक मार्गों में बेलारूस पोलैंड स्लोवाकिया होकर पांच घंटे का रूट है, पर पोलैंड नाटो सदस्य और आईसीसी समर्थक है; वहां रास्ता कांटेदार हो सकता है। तीसरा और सबसे व्यावहारिक दिखने वाला मार्ग तुर्की के माध्यम से आठ घंटे का मार्ग है जो पश्चिम और रूस दोनों के लिये कुछ हद तक मधुर संबंधों वाला रास्ता माना जाता है फिर भूमध्य सागर और एड्रियाटिक पार करते हुए सर्बिया प्रवेश कर बुडापेस्ट पहुँचना। सर्बिया ने हाल के वर्षों में रूस के कुछ सहयोगियों में अपना स्थान बनाए रखा है, इसलिए यह मार्ग राजनीतिक रूप से तुलनात्मक रूप से सुविधाजनक माना जा रहा है।
यूरोपीय संघ की दुविधा
प्रश्न यह है कि क्या ईयू सदस्य देश, जो सामान्यतः यूक्रेन के समर्थन में रहे हैं, पुतिन की गिरफ्तारी के लिए सहमति और सक्रियता दिखाएंगे। अगर वे पुतिन को गिरफ्तार नहीं करते तो इसे शांति वार्ता के रास्ते में बाधा या अंतरराष्ट्रीय न्याय के प्रति फ़ैसले को कमजोर करने जैसा माना जा सकता है। दूसरी ओर गिरफ्तारी का कदम राजनीतिक उलझनों और सुरक्षा जोखिम से भरा होगा यही कारण है कि यह मुद्दा यूरोप के लिए एक कठिन दुविधा बन गया है।
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