ट्रंप ने सीजफायर पर कोर्ट में फिर बोला- टैरिफ पर रोक से व्यापार और वैश्विक सुरक्षा को खतरा

Trump on Tariff: 'टैरिफ लगाना कानून का उल्लंघन है, क्योंकि संघीय कानून राष्ट्रपति को सीधे इस तरह के शुल्क लगाने की अनुमति नहीं देता।

Snigdha Singh
Published on: 28 May 2025 10:16 PM IST
ट्रंप ने सीजफायर पर कोर्ट में फिर बोला- टैरिफ पर रोक से व्यापार और वैश्विक सुरक्षा को खतरा
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Donald Trump: पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय व्यापार न्यायालय में आपातकालीन शक्तियों के तहत लगाए गए टैरिफ का मजबूती से बचाव किया है। अदालत में दाखिल किए गए दस्तावेजों में कहा गया है कि अगर इन शक्तियों को सीमित किया गया, तो इससे न केवल अमेरिका की व्यापारिक रणनीतियों को नुकसान पहुंचेगा, बल्कि भारत-पाकिस्तान जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में शांति प्रयासों को भी खतरा हो सकता है।

यह मामला अमेरिका के छोटे व्यापार मालिकों द्वारा ट्रंप प्रशासन के खिलाफ दायर एक याचिका से जुड़ा है। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि ट्रंप द्वारा अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्तियां अधिनियम (IEEPA) का इस्तेमाल कर टैरिफ लगाना कानून का उल्लंघन है, क्योंकि संघीय कानून राष्ट्रपति को सीधे इस तरह के शुल्क लगाने की अनुमति नहीं देता।

भारत-पाकिस्तान संघर्षविराम का हवाला

23 मई को अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने अदालत में दलील दी कि IEEPA के दायरे को सीमित करने का असर वैश्विक रणनीतिक स्थिरता पर पड़ेगा। उन्होंने भारत और पाकिस्तान का उदाहरण देते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच 10 मई को जो संघर्षविराम हुआ, वह राष्ट्रपति ट्रंप के हस्तक्षेप और अमेरिका के साथ व्यापार की पेशकश के कारण संभव हुआ था। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर राष्ट्रपति की शक्तियों को चुनौती दी गई, तो दक्षिण एशिया में अस्थिरता लौट सकती है और लाखों लोगों की जान को खतरा हो सकता है।

व्यापार वार्ता और राष्ट्रीय सुरक्षा

24 मई को अदालत में दाखिल अन्य दस्तावेजों में कहा गया कि अमेरिका वर्तमान में कई विदेशी व्यापार साझेदारों के साथ संवेदनशील बातचीत कर रहा है। विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि ये बातचीत राष्ट्रपति की IEEPA के तहत टैरिफ लगाने की शक्ति पर निर्भर हैं और इस शक्ति को कमजोर करना वार्ताओं को पटरी से उतार सकता है।

अदालती दलीलों में यह भी उल्लेख किया गया कि टैरिफ का उद्देश्य सिर्फ आर्थिक दबाव नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा भी है। दस्तावेजों में कहा गया कि राष्ट्रपति के निर्णय से अमेरिकी विनिर्माण आधार को मजबूती मिली है और देश के रक्षा उद्योग को समर्थन मिला है।

भारत की प्रतिक्रिया व्यापार बातचीत में युद्धविराम का कोई संबंध नहीं

ट्रंप प्रशासन के दावे पर भारत ने आपत्ति जताई है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट किया कि 7 से 10 मई के बीच भारत और अमेरिका के बीच जो भी बातचीत हुई, वह सैन्य स्थिति पर केंद्रित थी, न कि व्यापार पर। उन्होंने कहा कि इस दौरान व्यापार का कोई मुद्दा नहीं उठा।

भारत और अमेरिका फिलहाल एक अंतरिम व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, जिसके लिए 90 दिन का टैरिफ विराम तय किया गया है। इस समझौते में अमेरिका कृषि, ऑटोमोबाइल और मादक पेय जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में बाजार पहुंच की मांग कर रहा है, जिन्हें भारत में अब तक उच्च संरक्षण प्राप्त रहा है।

न्यायिक हस्तक्षेप पर ट्रंप प्रशासन की चेतावनी

अदालती दस्तावेजों में ट्रंप प्रशासन ने चेताया कि यदि न्यायपालिका राष्ट्रपति की टैरिफ शक्तियों में दखल देती है, तो यह अभूतपूर्व होगा और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े प्रयासों को कमजोर कर देगा। दस्तावेज में कहा गया है कि इन शक्तियों के चलते ही अमेरिका ने व्यापार घाटा कम करने, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और रक्षा-औद्योगिक आधार को पुनर्जीवित करने में सफलता पाई है।

यह मामला अब सिर्फ कानूनी बहस नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति, वैश्विक व्यापार और क्षेत्रीय स्थिरता से भी गहराई से जुड़ चुका है। कोर्ट का फैसला न केवल अमेरिकी नीति को प्रभावित करेगा, बल्कि विश्व व्यापार संतुलन और दक्षिण एशियाई राजनीति पर भी असर डाल सकता है।

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