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16 Shringar Llist for Teej :सोलह श्रृंगार केवल प्रेम का प्रतीक नहीं, सुहाग, सौंदर्य और विज्ञान का अद्भुत संगम, जानिए इसके राज
16 Shringar Llist for Teej : सावन में और पर्व-त्योहारों पर हरियाली तीज पर किए जाने वाले सोलह श्रृंगार का न केवल धार्मिक महत्व है, बल्कि इसके पीछे गहरे वैज्ञानिक कारण भी छिपे हैं। शिवपुराण और आयुर्वेद के अनुसार श्रृंगार से नारी के सौंदर्य, स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जानिए कैसे?
16 Shringar Llist for Teej :: भगवान शिव की पूजा में भक्ति के साथ संजने-सवरने का भी महत्व है। इसमें खुद प्रकृति भी शिव का श्रृंगार हरियाली से करती है। सावन में हरियाली तीज पर पति की लंबी उम्र और अच्छे वर के लिए महिलाएं ये व्रत रखती है। इस दिन व्रत के साथ महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं। ये सोलह श्रृंगार हिंदू धर्म में अखंड सौभाग्य की निशानी है।
शिवपुराण में लिखा है-
सावन की हरियाली नव सृजन की निशानी है। भगवान शिव को नव कल्याण और नव सृजन का का जनक कहते हैं।
शिवपुराण (ShivPuran )में शिव-पार्वती ( Shiva- Parvati) विवाह प्रसंग में एक ब्राह्मणी ने माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की महिमा का गुणगान किया है। शिव पूजन के वक्त मां पार्वती भी फूलों और आभूषणों से श्रृंगार कर महादेव की पूजा करती थी। कहते हैं कि जब महिलाएं स्वच्छता के साथ सज-संवकर महादेव की पूजा करती हैं तो भगवान शिव जल्द प्रसन्न होते हैं और मनचाहा वरदान देते हैं। शादी-शुदा महिलाओं को पति से सम्मान और प्यार के साथ सौभाग्यवती होने का वरदान मिलता है।वहीं कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है।
चातुर्मास सावन का पहला मास है और इसमें तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की प्रथम मिलन हुआ था। सुहागिनों के लिए यह पर्व सुखद दांपत्य जीवन के लिए अग्रसर करता है। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं। जानते हैं...
सोलह श्रृंगार का धार्मिक- वैज्ञानिक रहस्य
पुष्प: सोलह श्रृंगार में फुलों से श्रृंगार करना शुभ है। बरसात के मौसम में उमस बढ़ जाती है सूर्य और चंद्रमा की शक्ति वर्षा ऋतु में क्षीण हो जाती है। इसलिए इस ऋतु में आलस आता है। मन को प्रसन्नचित रखने के लिए फुलों को बालों में लगाना अच्छा माना गया है। फूलों की महक स्फूर्ति प्रदान करती है।
माथे पर बिंदी ये भी एक श्रृंगार है। माथे पर सिंदूर का टिका लगाने से सकारात्मक ऊर्जा महसूस होती है। इससे मानसिक शांति भी मिलती है। इस दिन चंदन का भी टिका लगाया जाता है।ये भौहों के बीच में लगाया जाता है। वैसे तो इसे शिव से जोड़ा जाता है, लेकिन वैज्ञानिक दृष्टि इसे गुस्से को कम करने की वजह मानते है।
सिंदूर: मांग में सिंदूर लगाना सुहाग की निशानी है वहीं इस स्थान पर सिंदूर लगाने से चेहरे पर निखार आता है। इसका अपने वैज्ञानिक फायदे भी होते हैं। मांग में सिंदूर लगाने से शरीर में विद्युत ऊर्जा को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है।
कानों में कुंडल: कान में आभूषण या वाली पहनने से मानसिक तनाव नहीं होता है। कर्ण छेदन से आंखों की रोशनी तेज होती है। सिर का दर्द कम करने में भी सहायक होता है।
मंगल सूत्र: मोती और स्वर्ण से युक्त मंगल सूत्र या हार पहनने से ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा को रोकने में मदद मिलती है वहीं इससे प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि होती है। गले में स्वर्ण आभूषण पहनने से हृदय रोग संबंधी रोग नहीं होते हैं। हृदय की धड़कन नियंत्रित रहती है। वहीं मोती चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करते हैं इससे मन चंचल नहीं होता है।मंगलसूत्र पहनने से रक्तचाप नियंत्रित होता है। हमारे देश में महिलाएं बहुत काम करती हैं, इसलिए उनका ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहना जरूरी है।
चूडियां: हाथों में कंगन या चूडियां पहनने से रक्त का संचार ठीक रहता है। इससे थकान नहीं नहीं होती है। साथ ही हार्मोंस को भी नहीं बिगड़ने देती हैं।
बाजूबंद: इसे पहनने से भुजाओं में रक्त प्रवाह ठीक बना रहता है। दर्द से मुक्ति मिलती है। वहीं इससे सुंदरता में निखार आता है।
कमरबंद: इससे पहनने से पेट संबंधी दिक्क्तें कम होती हैं। कई बीमारियों से बचाव होता है। हार्निया जैसी बीमारी होने का खतरा कम होता है।
पायल: पायल पैरों की सुंदरता में चारचांद लगाती हैं वहीं इनको पहनने से पैरों से निकलने वाली शारीरिक विद्युत ऊर्जा को शरीर में संरक्षित करती है। चांदी की पायल पैरों की हड्डियों को मजबूत बनाती हैं।
बिछिया: बिछिया को सुहाग की एक प्रमुख निशानी के तौर पर माना जाता है लेकिन इसका प्रयोग पैरों की सुंदरता तक ही सीमित नहीं है। बिछिया मांसपेशियां को मजबूत बनाए रखने में भी मददगार होती है।उसका कनेक्शन गर्भाशय और दिल से है। इन्हें पहनने से महिला को गर्भधारण करने में आसानी होती है और मासिक धर्म भी सही रहता है ।
नथनी: नथनी चेहरे की सुंदरता में चारचांद लगाती है। इसका वैज्ञानिक महत्व भी है नाक में स्वर्ण का तार या आभूषण पहनने से महिलाओं को दर्द सहन करने की क्षमता बढ़ती है।
अंगूठी: अंगूठी पहनने से रक्त का संचार शरीर में सही बना रहता है। इससे हाथों की सुंदरता बढ़ती है।रिंग का सीधा संबंध हमारे दिल से होता है और दिलों को जोड़ने का काम करता है वैज्ञानिक रिंग पहनने से दिल की बीमारी नहीं होती है। दिमाग शांत रहने के साथ शरीर में एकाग्रता को भी बनाए रखता है।
मेहंदी: हरियाली तीज पर हाथों में मेहंदी लगाती हैं। ये सोलह श्रृंगार में प्रमुख है। मेहंदी शरीर को शीतलता प्रदान करती है और त्वचा संबंधी रोगों को दूर करती है।मेहंदी लगाने से बुध और शुक्र ग्रह बलवान होता है। असली मेहंदी के पत्तो का घोल सिर, पंजो, हथेली और तलवो में लगाने से शांति का अनुभव होता है। महिलाएं शांत रहती हैं, चिड़चिड़ापन दूर होता है और क्लेश नहीं करती हैं। घर के सभी सदस्यों को प्यार करती हैं।
काजल : काजल आंखों की सुरंदता को बढ़ाता है। वहीं आंखों की रोशनी भी तेज करने में सहायक होता है। इससे नेत्र संबंधी रोग दूर होते हैं।
मांग टीका: मांग टीका वैसे तो आभूषण है लेकिन इसे भी सोलह में शामिल किया गया है।सिंदूर के ऊपर मांग के बीच में टिका लगता है जो ज्यादातर सोने का होता है। हमारे शरीर की गर्माहट को कंट्रोल करता है। इसके साथ ही ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करता है।
चेहरे पर मेकअप: इसे मेकअप भी कहा जाता है। चेहरे पर प्रकृति सौंदर्य प्रसाधन लगाने से सुंदरता बढ़ती है। वहीं इससे महिलाओं के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और ऊर्जा बनी रहती है।
नोट : ये जानकारियां धार्मिक आस्था और मान्यताओं पर आधारित हैं। Newstrack.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।इसे सामान्य रुचि को ध्यान में रखकर लिखा गया है
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