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Guru Purnima Daan: गुरु पूर्णिमा पर राशि के अनुसार दान और मंत्र जाप से बदल जायेगी किस्मत, मिलेगी सफलता, जानिए कैसे
Guru Purnima Daan Mantra :आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है। जानते है राशि के अनुसार कौन सा दान और मंत्र जाप रहेगा शुभ फलदायी...
Guru Purnima Daan Mantra आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन को गुरु के सम्मान में गुरु दिवस के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन समस्त वेदों के रचयिता महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। महर्षि वेद व्यास को चारों वेदों का ज्ञान था। आप भी इस अपने गुरु को सम्मान देकर अपने ज्ञान और इस दिन को सार्थक बनायें।
गुरु पूर्णिमा को श्रद्धा और ज्ञान का प्रतीक पर्व है। यह पर्व हर वर्ष आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है और इसे भारत सहित नेपाल, तिब्बत और भूटान में भी श्रद्धा भाव के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और उनसे आध्यात्मिक ज्ञान, मार्गदर्शन व आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
वैदिक पंचांग के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 10 जुलाई रात्रि 1:35 पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन 11 जुलाई रात्रि 2:05 पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में गुरु पूर्णिमा पर्व 10 जुलाई 2025, गुरुवार के दिन मनाया जाएगा।
इस दिन को भगवान शिव द्वारा आदि योगी के रूप में सप्तर्षियों को पहला योग उपदेश देने का दिन भी माना जाता है। योग परंपरा के अनुसार, इसी दिन हिमालय में शिव ने ध्यानमग्न होकर योग विद्या को बांटना आरंभ किया था। इस कारण योगियों के लिए भी यह दिन अत्यंत पवित्र है।
गुरु का महत्व'गु' का अर्थ होता है अंधकार और 'रु' का अर्थ होता है प्रकाश या हटाना। इस प्रकार 'गुरु' का अर्थ हुआ— ऐसा व्यक्ति जो अज्ञान के अंधकार को मिटाकर ज्ञान का प्रकाश फैलाए। गुरु न केवल धार्मिक शिक्षा देता है, बल्कि जीवन जीने की दिशा और आत्मा को ब्रह्म से जोड़ने का मार्ग भी दिखाता है।गुरु की कृपा से ही व्यक्ति जीवन में सफलता प्राप्त करता है। गुरुओं के सम्मान में आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है।
कबीरदास जी ने कहा था: 'गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागू पाय। बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो मिलाय॥'
यानी भगवान और गुरु यदि दोनों एक साथ खड़े हों, तो पहले गुरु को प्रणाम करना चाहिए, क्योंकि उन्हीं के माध्यम से ईश्वर का ज्ञान संभव है।
राशि के अनुसार दान मंत्र जाप
गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह स्नानादि के बाद गुरु और भगवान का ध्यान करें। इस मंत्र से गुरु का आह्वान करें।धर्म ग्रंथों मे गुरु की परब्रह्म माना गया है जिसकी महिमा उपरोक्त श्लोक से साफ झलकती है। इसलिए इस दिन को हम सभी को गुरु की पूजा करनी चाहिए।
गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
मेष राशि के लोग इस दिन 'ॐ अव्ययाय नम:' का जाप करें और लाल वस्त्रों दान करें।
वृषभ राशि के लोग इस दिन 'ॐ जीवाय नम:' का मंत्रोच्चारण करें और सफेद वस्त्र दान में दें।
मिथुन राशि के जातकों को इस दिन 'ॐ धीवराय नम:' का जप करना चाहिए और साथ ही इस दिन हरे कपड़े भेंट करने चाहिए।
कर्क राशि के लोग 'ॐ वरिष्ठाय नम:' मंत्र का जाप करें और साथ ही क्रीम वस्त्र को भेंट करें।
सिंह राशि के जातक को 'ॐ स्वर्णकायाय नम:' का जाप करना चाहिए और गुलाबी रंग के कपड़ों को दान में दें।
कन्या राशि के जातक इस दिन 'ॐ हरये नम:' इस मंत्र का जाप करें और हरा व पीला वस्त्र भेंट करें।
तुला राशि वाले गुरु पूर्णिमा के दिन 'ॐ विविक्ताय नम:' इस मंत्र का जाप करें और खादी वस्त्रों को दान में दें।
वृश्चिक राशि वालों को इस दिन 'ॐ जीवाय नम:' का जाप करें साथ ही धोती को दान में दें।
धनु राशि के जातकों को 'ॐ जेत्रे नम:' इस मंत्र का जप करना चाहिए साथ ही सोने की चीजों का भेंट करें।
मकर राशि के जातक इस दिन 'ॐ गुणिने नम:' इस मंत्र का जाप करना चाहिए साथ ही पंचधातु और वस्त्रों को भेट दें।
कुंभ राशि के लोगों को गुरु पूर्णिमा पर 'ॐ धीवराय नम:' मंत्र का जाप करें इसके अलावा इस दिन ज्यादा से ज्यादा ऊनी वस्त्रों को भेंट करें।
मीन राशि के जातक गुरु पूर्णिमा के दिन इन लोगों को 'ॐ दयासाराय नम:' का जाप करें और साथ ही नीले कपड़ों को भेंट दें।
गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?
गुरु पूर्णिमा का सीधा संबंध ज्ञान, शिक्षा और आत्मबोध से है। इस दिन को महर्षि वेदव्यास की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। महर्षि वेदव्यास ने ही वेदों का विभाजन, महाभारत की रचना और 18 पुराणों का संकलन किया था। वह भारतीय अध्यात्म के सबसे महान ज्ञानियों में गिने जाते हैं, और इसलिए उन्हें आदिगुरु' कहा गया। गुरु पूर्णिमा के दिन आध्यात्मिक गुरु, शिक्षक अथवा माता-पिता का आदर करना चाहिए और उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। साथ ही इस दिन ध्यान करना, मौन साधना और आत्मचिंतन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह दिन अपनी अंतरात्मा से जुड़ने और भीतर के अज्ञान को देखने का दिन है। कहा जाता है कि इस विशेष दिन पर भगवद्गीता, उपनिषद या गुरु ग्रंथ साहिब जैसे ग्रंथों का पाठ करना लाभदायक होता है। इसके साथ गरीबों, जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या पुस्तकें दान करना इस दिन विशेष पुण्य देता है।
नोट : ये जानकारियां धार्मिक आस्था और मान्यताओं पर आधारित हैं। Newstrack.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।इसे सामान्य रुचि को ध्यान में रखकर लिखा गया है
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