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Sonbhadra News: सोनभद्र में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान दिवस मनाया गया, 1515 बूथों पर एक साथ हुआ आयोजन
Sonbhadra News: कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. मुखर्जी के चित्र पर पुष्प अर्पण से हुई। साथ ही भाजपा पदाधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं की बड़ी संख्या में उपस्थिति विभिन्न बूथों पर दर्ज की गई।
सोनभद्र में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान दिवस मनाया गया, 1515 बूथों पर एक साथ हुआ आयोजन(Photo- Newstrack)
Sonbhadra News: भारतीय जनता पार्टी द्वारा रविवार को सोनभद्र जिले के सभी 1515 बूथों पर एक साथ डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान दिवस श्रद्धापूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ को सामूहिक रूप से सुना गया और ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के अंतर्गत पौधरोपण किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. मुखर्जी के चित्र पर पुष्प अर्पण से हुई। साथ ही भाजपा पदाधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं की बड़ी संख्या में उपस्थिति विभिन्न बूथों पर दर्ज की गई।
वरिष्ठ नेताओं की विभिन्न बूथों पर मौजूदगी:
• जिलाध्यक्ष नंदलाल: बभनी मंडल, बूथ संख्या 113, प्रा. विद्यालय चपकी
• भाजपा जिला प्रभारी अनिल सिंह: ओबरा मंडल, बूथ संख्या 159, प्रा. विद्यालय बिल्ली
• सदर विधायक भूपेश चौबे: डाला मंडल
• घोरावल विधायक अनिल कुमार मौर्या: शाहगंज मंडल, बूथ संख्या 59, पुरखास
इसके अलावा, सभी बूथों पर भाजपा के अन्य जनप्रतिनिधि और कार्यकर्ता उपस्थित रहे और आयोजन को सफल बनाया।
370 हटाने के लिए जीवनभर संघर्षरत रहे डॉ. मुखर्जी:
वक्ताओं ने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी एक देश, एक विधान, एक निशान के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने अनुच्छेद 370 के खिलाफ आवाज उठाते हुए केंद्र सरकार में उद्योग मंत्री का पद त्याग दिया और इसी संघर्ष में 23 जून 1953 को अपना बलिदान दे दिया।
राष्ट्रवाद के प्रतीक थे डॉ. मुखर्जी:
भाजपा नेताओं ने कहा कि डॉ. मुखर्जी ओजस्वी वक्ता, शिक्षाविद, राष्ट्रवादी विचारक और भारतीय जनसंघ के संस्थापक थे। उन्होंने स्वतंत्र भारत के पहले उद्योग मंत्री के रूप में भी कार्य किया और राष्ट्रहित के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।
पौधरोपण: हर बूथ पर 10 पौधे लगाए गए:
जिलाध्यक्ष नंदलाल ने बताया कि सभी 1515 बूथों पर कुल 15,625 पौधे उपलब्ध कराए गए। प्रत्येक बूथ पर 10 पौधों का रोपण किया गया। इस दौरान कार्यकर्ताओं को डॉ. मुखर्जी के आदर्शों पर चलकर राष्ट्र सेवा के लिए समर्पित होने का आह्वान किया गया।
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