दिवाली पर राम और विष्णु की नहीं, बल्कि लक्ष्मी-गणेश की पूजा क्यों होती है? जानिए इसका रहस्य

Diwali Par Nahi Hoti Ramji Ki Pooja | जानिए दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश की पूजा क्यों होती है?दिवाली पर भगवान राम की पूजा क्यों नहीं की जाती जबकि यह दिन उनके अयोध्या लौटने का प्रतीक है? जानिए दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश की पूजा का धार्मिक और पौराणिक कारण, समुद्र मंथन की कथा और विष्णु योगनिद्रा से जुड़ा रहस्य।

Suman  Mishra
Published on: 20 Oct 2025 3:54 PM IST (Updated on: 20 Oct 2025 4:14 PM IST)
दिवाली पर राम और विष्णु की नहीं, बल्कि लक्ष्मी-गणेश की पूजा क्यों होती है? जानिए इसका रहस्य
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Diwali Par Nahi Hoti Ramji ki Pooja: दिवाली दीपों का त्योहार, जो सिर्फ रोशनी और मिठास का पर्व नहीं, बल्कि धन, ज्ञान, समृद्धि और धर्म की विजय का प्रतीक है। हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है।दिवाली अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई का दिन है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि दिवाली के दिन रामजी 14 वर्ष बाद वनवास से लौटे थे, लेकिन इस दिन भगवान विष्णु या भगवान राम की पूजा नहीं होती है बल्कि दिवाली पर लक्ष्मी और गणेश की पूजा करते हैं? या फिर, जब यह पर्व भगवान राम के अयोध्या लौटने की याद में मनाया जाता है, तो पूजा में लक्ष्मी और गणेश की क्यों होती है? जानते है

दिवाली का धार्मिक आधार

हिंदू पंचांग के अनुसार, दिवाली जब भगवान विष्णु योगनिद्रा में होते हैं। देवशयनी एकादशी (आषाढ़ मास) से लेकर देवउठनी एकादशी (कार्तिक मास) तक भगवान विष्णु विश्राम अवस्था में रहते हैं। इस अवधि के बीच, शरद पूर्णिमा और दिवाली की अमावस्या के दिनों में माता लक्ष्मी पृथ्वी पर अवतरित होती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस समय देवी लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश भी पृथ्वी पर आते हैं, ताकि जीवन में धन और बुद्धि का संयोग हो। इसलिए इस दिन लक्ष्मी-गणेश की एक साथ पूजा की जाती है।

देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा

दिवाली की पूजा में देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश का विशेष स्थान है। देवी लक्ष्मी धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी मानी जाती हैं। उनकी कृपा से व्यक्ति के जीवन में भौतिक और मानसिक दोनों प्रकार की प्रगति होती है। वे केवल धन की देवी नहीं, बल्कि आध्यात्मिक संपन्नता और सौभाग्य का प्रतीक भी हैं। वहीं, भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, बुद्धि और सफलता के देवता कहा गया है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणेशजी के नाम से की जाती है ताकि सभी बाधाएँ दूर हों और सफलता प्राप्त हो।इस प्रकार, लक्ष्मी और गणेश का संगम धन के साथ बुद्धि” का संतुलन मनुष्य के जीवन की संपूर्णता का प्रतीक है।

समुद्र मंथन और लक्ष्मी जी का प्राकट्य

पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब देवता और असुर अमृत प्राप्त करने के लिए क्षीर सागर का मंथन कर रहे थे, तब अनेक अमूल्य रत्न और दिव्य वस्तुएँ प्रकट हुईं। इन्हीं में से देवी लक्ष्मी का जन्म हुआ।वे दिवाली की अमावस्या की रात को प्रकट हुईं, इसलिए इस दिन को उनका अवतरण दिवस माना जाता है। उनके आगमन से संपूर्ण ब्रह्मांड में प्रकाश और समृद्धि फैल गई। इसलिए इस दिन दीपक जलाना केवल सजावट नहीं, बल्कि देवी लक्ष्मी का स्वागत करने का प्रतीक है।

दिवाली पर गणेश जी की पूजा क्यों की जाती है

दिवाली पर गणेश पूजा का भी अपना विशेष महत्व है।कहा जाता है कि भगवान शिव ने कुबेर को धन के स्वामी के रूप में नियुक्त किया था। लेकिन समय के साथ कुबेर अहंकारी और लालची हो गए। वे अपने धन को दूसरों से बाँटने के बजाय अपने पास जमा करने लगे। यह देखकर देवी लक्ष्मी चिंतित हो गईं कि उनका आशीर्वाद सही तरीके से लोगों तक नहीं पहुँच रहे है। तब भगवान गणेश ने कुबेर को शिक्षा देने का निश्चय किया। वे भिक्षा मांगने कुबेर के पास गए। कुबेर ने उन्हें तुच्छ भिक्षा दी, लेकिन गणेशजी ने कहा कि वे तब तक नहीं रुकेंगे जब तक सारा धन समाप्त न हो जाए। धीरे-धीरे कुबेर का खजाना खाली होने लगा और उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ।

उस दिन से गणेशजी को धन के संतुलित उपयोग और विनम्रता के प्रतीक के रूप में पूजा जाने लगा।इसीलिए, दिवाली पर लक्ष्मी और गणेश की संयुक्त पूजा यह सिखाती है कि धन तभी शुभ होता है जब उसके साथ बुद्धि और विनम्रता जुड़ी हो।

भगवान राम की नहीं होती पूजा

दिवाली पर भगवान राम की अयोध्या वापसी भी है। रावण पर विजय प्राप्त कर जब वे चौदह वर्षों का वनवास पूरा कर लौटे, तो अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया।यह घटना अंधकार पर प्रकाश और अन्याय पर न्याय की विजय का प्रतीक बनी। फिर भी, दिवाली की पूजा का केंद्रबिंदु लक्ष्मी और गणेश बने क्योंकि यह पर्व सिर्फ विजय का नहीं, बल्कि नई शुरुआत, समृद्धि और शुभता का भी उत्सव है। भगवान राम की कथा इस दिन का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक आधार है, जबकि लक्ष्मी-गणेश पूजा उसका आध्यात्मिक रूप है। इस समय योग निद्रा में रहते है विष्णु जी, इसलिए पूजा नहीं होती


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Suman Mishra

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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