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Premanand ji Maharaj ke Updesh: सर्वनाश! हो सकता है इस पेड़ को काटना, क्या कहता है पीपल का वास्तु, जानिए

Premanand ji Maharaj ke Updesh: पीपल का पेड़ भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप है। इसे काटना सर्वनाश का कारण बन सकता है। जानिए क्यों इस वृक्ष को घर से हटाना भारी पड़ता है। क्या कहते प्रेमानंद जी महाराज

Suman  Mishra
Published on: 3 July 2025 9:23 AM IST (Updated on: 3 July 2025 12:40 PM IST)
Premanand ji Maharaj ke Updesh:  सर्वनाश! हो सकता है इस  पेड़ को काटना, क्या कहता है पीपल का वास्तु, जानिए
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Premanand ji Maharaj ke Updesh: जब से लोगो को सोशल मीडिया के माध्यम से जानाकारी मिलने लगी है तो यहां ज्योतिष और वास्तु से जुड़ी बातों को अपनाने लगे है। इनमें कुछ अपनाने वाले है उपाय तो कुछ उपाय भ्रमित करते है। सनातन धर्म में घर के आसपास पेड़-पौधे लगाना शुभ माना जाता है। इन वृक्षों का धर्म के अनुसार भी विशेष महत्व है। यह हर दृष्टि से खास है।आध्यात्मिक और धार्मिक मान्यताओं में भी वृक्षों को अत्यंत पूजनीय माना गया है।

कई बार सुना होगा कि घर के किस कोने में कौन सा पौधा या वृक्ष लगाना शुभ होता है। कुछ पौधों को घर में लगाने से सकारात्मक ऊर्जा आती है, तो कुछ को वर्जित माना गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा वृक्ष (पीपल) भी है जिसे यदि आप अपने घर आंगन से काटते हैं तो वह आपके पूरे जीवन में विनाश का कारण बनता है? इस बारे में वृंदावन गुरु प्रेमानंद जी महाराज ने कही है, उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि जो भी पीपल वृक्ष के काटते है उनका सर्वनाश होता है।

साक्षात श्रीकृष्ण का स्वरूप पीपल

प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, पीपल का वृक्ष कोई साधारण वृक्ष नहीं, बल्कि साक्षात भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप है। श्रीमद्भगवद्गीता में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है – अश्वत्थ: सर्ववृक्षाणां” अर्थात् “वृक्षों में मैं पीपल हूं।इस दृष्टि से पीपल को काटना केवल एक वृक्ष को काटना नहीं, बल्कि परमात्मा के साकार रूप को हानि पहुंचाना है। यही कारण है कि पीपल की एक भी शाखा को काटना पाप की श्रेणी में आता है।

प्रेमानंद जी महाराज बताते हैं कि वृंदावन के किसी भी वृक्ष को काटना, विशेष रूप से पीपल जैसे अस्थि वृक्ष को काटना ब्राह्मण हत्या या गौ हत्या के बराबर पाप है। इससे मनुष्य के जीवन में अनिष्ट, क्लेश, दरिद्रता और बीमारी आ सकती है।

घर में पीपल वृक्ष का महत्व

पीपल का वृक्ष आमतौर पर पुराने आंगनों, मंदिरों के प्रांगण, घरों के पीछे या आसपास स्वतः उग आता है। लेकिन प्रेमानंद जी के अनुसार, यदि यह वृक्ष आपके घर के आसपास कहीं भी है, तो उसका सम्मान करें, उसकी सेवा करें – लेकिन भूल से भी उसे न काटें।

घर के पीछे या घर के बाहर लगे इस पवित्र वृक्ष को काटना वास्तु दोष को बढ़ावा देता है और ईश्वरीय अनुकंपा रुष्ट हो जाती है। कई बार लोग साफ-सफाई के चक्कर में पीपल की छोटी शाखाएं भी काट देते हैं, लेकिन ये क्रिया भी पाप के दायरे में आती है। पीपल की डाली काटने से ही पुण्य क्षीण होने लगता है।

प्रेमानंद जी महाराज ने इस श्लोक से समझाया है लता समं कट कल्प तरुणाई, रज की तुल बैकुंठ नहीं। इसका आशय है कि भगवान का वास जहां होता है, उस स्थान या वस्तु को काटना वैसा ही पाप है जैसे वैकुंठ को धूल में मिला देना। ऐसे वृक्षों को काटना आपके भाग्य का द्वार बंद कर सकता है। आपकी तरक्की रुक सकती है, जीवन में अनचाहे कष्ट आ सकते हैं।

नाश का कारण बनता है पीपल

गुरु प्रेमानंद जी ने यह स्पष्ट किया है कि जो लोग पीपल वृक्ष को हानि पहुंचाते हैं, वे अनजाने में ही अपने जीवन में विपत्तियों को आमंत्रण देते हैं। इस वृक्ष के काटने से कई बार व्यक्ति को दीर्घकालिक रोग, व्यापार में हानि, पारिवारिक क्लेश, और मानसिक अशांति झेलनी पड़ती है। यह सब एक अदृश्य शक्ति के क्रोधित होने का परिणाम होता है, जिसे प्रेमानंद जी ‘ईश्वरीय अवहेलना’ कहते हैं।

अगर आपके घर के आस-पास पीपल का वृक्ष है, तो उससे डरे नहीं, बल्कि ईश्वर का आशीर्वाद समझें। हर शनिवार को पीपल वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं। ब्रह्ममुहूर्त में इसकी परिक्रमा करें ,वृक्ष के नीचे बैठकर कुछ समय ध्यान करें या श्रीकृष्ण नाम का जप करें।

महाराज जी कहते हैं – यदि आप चाहते हैं कि आपके घर में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य बना रहे, तो उन वृक्षों की सेवा करें जिनमें ईश्वरीय तत्व का वास है। पीपल, तुलसी, शमी, बेल – ये सभी पेड़-पौधे न केवल पर्यावरण की दृष्टि से उपयोगी हैं, बल्कि धार्मिक दृष्टिकोण से भी बहुत मूल्यवान हैं। घर के बाहर या आंगन में यदि ऐसे वृक्ष उग आएं तो उन्हें हटा देने की गलती कभी न करें। प्रेमानंद जी महाराज कहते है पीपल की छाया से नाश नहीं बल्कि ईश्वर की कृपा बरसती है।

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Suman  Mishra

Suman Mishra

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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