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Radhey Radhey बोलने से कैसे आएँगे बिहारी, जानते है राधे राधे बोल में छिपे धार्मिक रहस्य और महिमा
Radhey Radhey Power : श्रीजी के दास प्रेमानंद जी महाराज राधा नाम की महिमा का बखान करते है, देश के कई कोनों में राधे राधे बोला जाता है। आखिर इस बोल में कितनी शक्ति है कि परमानंद की अनुभूति होती है, जानते है इसकी महिमा
Radhey Radhey ‘राधे राधे’ कहते सुना होगा, इस साधारण से दो शब्दों के जाप में इतनी शक्ति क्यों मानी जाती है कि इसे कहने से मन शांत हो जाता है? आज हम इसी रहस्य को गहराई से समझते हैं। ‘राधे राधे’ केवल एक अभिवादन नहीं, बल्कि यह राधा रानी और भगवान कृष्ण के प्रेम, भक्ति और उनके दिव्य स्वरूप का सार है।
राधा रानी के नाम की महिमा यदि आप नहीं जानते हैं तो इस कथा से जानिए जिसे सुन देवता भी उनका गुणगान करने लगते हैं। संत प्रेमानंद जी महाराज भी राधे राधे शब्द के जाप और उसकी महिमा पर जोर देते है और इसके निरंतर जाप के चमत्कार के बारे में बताते है, जानते है राधे राधे
राधे राधे की महिमा
एक बार एक व्यक्ति था। वह एक संत के पास गया और कहता है कि संत जी, मेरा एक बेटा है वह न तो पूजा पाठ करता है और न ही भगवान का नाम लेता है। आप कुछ ऐसा कीजिये कि उसका मन भगवान में लग जाये।
राधा रानी भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय सखी हैं. जब भी कृष्ण का नाम आता हैं उनके साथ श्री राधा रानी का नाम भी आता है. आपने कृष्णभक्तों को अक्सर राधे-राधे का जाप करते देखा होंगा और राधे-राधे इस मंत्र का प्रेम और भक्ति से जाप करने से भक्त को जीवन में अद्भुत लाभ होता हैं. ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी राधा नाम का विशेष महत्व बताया गया है। चलिए जानते है श्री राधा नाम की अद्भुत महिमा क्या हैं.
ब्रह्मवैवर्तपुराण में व्यासदेव कहते हैं
राधा भजति तं कृष्णं स च तां च परस्परम्। उभयोः सर्वसाम्यं च सदा सन्तो वदन्ति च ॥
राधा रानी भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय सखी हैं. जब भी कृष्ण का नाम आता हैं उनके साथ श्री राधा रानी का नाम भी आता है. आपने कृष्णभक्तों को अक्सर राधे-राधे का जाप करते देखा होंगा और राधे-राधे इस मंत्र का प्रेम और भक्ति से जाप करने से भक्त को जीवन में अद्भुत लाभ होता हैं. ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी राधा नाम का विशेष महत्व बताया गया है। चलिए जानते है श्री राधा नाम की अद्भुत महिमा क्या हैं.
ब्रह्मवैवर्तपुराण में व्यासदेव कहते हैं
राधा भजति तं कृष्णं स च तां च परस्परम्। उभयोः सर्वसाम्यं च सदा सन्तो वदन्ति च ॥
राधा-कृष्ण के प्रेम का प्रतीक
‘राधे’ शब्द भगवान कृष्ण की प्रिय राधा रानी को संबोधित करता है, और ‘राधे राधे’ कहने का अर्थ है राधा रानी को बार-बार पुकारना। राधा और कृष्ण का प्रेम निःस्वार्थ भक्ति और त्याग का सर्वोच्च उदाहरण है। जब हम ‘राधे राधे’ कहते हैं, तो हम अनजाने में इस दिव्य प्रेम और भक्ति से जुड़ जाते हैं। इस जुड़ाव से मन में शांति और आनंद का अनुभव होता है। यह हमें सिखाता है कि सच्चा प्रेम और भक्ति ही जीवन का आधार है।अपनों के लिए सबसे अच्छे उपहार
‘राधे’ शब्द सकारात्मक ऊर्जा का संचार
शब्दों में अद्भुत शक्ति होती है। ‘राधे राधे’ का जाप करने से एक सकारात्मक कंपन उत्पन्न होता है जो हमारे आस-पास के वातावरण और हमारे भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। यह कंपन मन को शुद्ध करता है और नकारात्मक विचारों को दूर भगाता है। जिस प्रकार एक मधुर संगीत मन को प्रसन्न करता है, उसी प्रकार ‘राधे राधे’ का जाप आंतरिक शांति प्रदान करता है।
‘राधे’ शब्द से अहंकार का नाश
जब हम ‘राधे राधे’ कहते हैं, तो हम राधा रानी और कृष्ण के सामने स्वयं को समर्पित करते हैं। यह समर्पण अहंकार को कम करता है। अहंकार ही अशांति का एक बड़ा कारण है। जब अहंकार शांत होता है, तो मन स्वाभाविक रूप से शांत और स्थिर हो जाता है। यह हमें विनम्रता सिखाता है और यह अहसास कराता है कि हम एक बड़ी, दिव्य शक्ति का हिस्सा हैं।
‘राधे’ शब्द आध्यात्मिक संबंध की स्थापना
‘राधे राधे’ का जाप हमें सीधे राधा रानी और भगवान कृष्ण से जोड़ता है। यह एक आध्यात्मिक सेतु का काम करता है जो हमें परमात्मा के करीब लाता है। इस संबंध से हमें अलौकिक शांति और संतोष का अनुभव होता है। यह हमें जीवन के उद्देश्य को समझने में मदद करता है और हमें अपनी आध्यात्मिक यात्रा पर आगे बढ़ाता है।
‘राधे’ शब्द से तनाव और चिंता से मुक्ति
आज के भागदौड़ भरे जीवन में तनाव और चिंता आम बात है। ‘राधे राधे’ का नियमित जाप एक प्रकार का ध्यान है। यह मन को वर्तमान क्षण में केंद्रित करता है और भविष्य की चिंताओं या अतीत के पछतावे से दूर रखता है। जब मन केंद्रित होता है, तो तनाव और चिंता अपने आप कम हो जाते हैं, जिससे गहरी शांति मिलती है। यह हमें सांसारिक मोहमाया से ऊपर उठने और आंतरिक शांति प्राप्त करने में मदद करता है।
‘राधे’ शब्द से भक्ति और विश्वास में वृद्धि
‘राधे राधे’ का जाप करने से हमारी भक्ति और विश्वास में वृद्धि होती है। जब हमारा विश्वास मजबूत होता है, तो हम जीवन की चुनौतियों का सामना अधिक धैर्य और शांति के साथ कर पाते हैं। यह हमें एक आंतरिक शक्ति प्रदान करता है जो हमें किसी भी मुश्किल परिस्थिति में अडिग रहने में मदद करती है।
राधे राधे शब्द से लाभ
राधे-राधे बोलने के पीछे ये मान्यता चली आ रही है कि राधे-राधे बोलने या राधा नाम का जप करने से भगवान श्री कृष्ण आपसे प्रसन्न होते हैं, जिससे व्यक्त को जीवन में परम सुख की अनुभूति होती है। साथ ही राधा नाम जपने वाले साधक की हर मनोकामना पूरी होती है।
शास्त्रों में राधा नाम को अपने आप में एक सिद्ध मंत्र बताया गया है। माना जाता है कि राधे-राधे बोलने वाले व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। इतना ही नहीं, राधा नाम जपने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद जन्म-मरण के चक्र से भी मुक्ति मिल सकती है।
राधे-राधे बोलने वाले व्यक्ति की एकाग्रता में वृद्धि होती है। इस नाम के जाप से व्यक्ति का मन शांत रहता है और उसे चिंताओं से भी मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही राधे-राधे बोलने से व्यक्ति के भीतर मौजूद बुरी भावनाओं का अंत होता है। साथ ही एक सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह व्यक्ति के अंदर बना रहता है।
राधा नाम की इतनी महिमा बताई गई है कि राधा-राधा जपने वाले साधक को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। राधे-राधे बोलने से व्यक्ति के लिए मोक्ष के द्वार तो खुलते ही हैं, साथ ही उसे बैकुंठ में स्थान प्राप्त होता है।राधे-राधे" का जाप न केवल भक्ति का एक साधन है, बल्कि यह प्रेम, शांति और आत्मिक उन्नति की ओर मार्गदर्शित करने वाला मंत्र है। राधा के नाम में वह शक्ति है जो हर प्रकार की पीड़ा और दुःख को हर लेती है और जीवन को एक नई दिशा में ले जाती है।
राधे राधे’ केवल एक मंत्र नहीं, बल्कि यह राधा-कृष्ण के शाश्वत प्रेम, भक्ति और शांति का एक शक्तिशाली प्रतीक है। इसे कहने से मन को आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है, नकारात्मकता दूर होती है और व्यक्ति को आंतरिक शांति का अनुभव होता है।
भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती हैं। जाप से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। योगमाया शक्ति भक्त को भगवान के से मिलवा देती हैं।राधा नाम का सुमिरन श्रीराधे के स्वरूप स्मरण सह करने से तत्काल भय से मुक्ति हो जाती हैं। भगवान के साथ प्रेम के अटूट बंधन में बंध जाता हैं और भगवान का प्रेम प्राप्त करता हैं।
राधे राधे दो बार क्यों बोलते हैं?
राधे-राधे, हरे कृष्ण, राधे-श्याम। इस संबोधन में कृष्ण को पाने की शक्ति है। मोर पंख धारण कर और पीतांबरी पहन कर कृष्ण के स्वरूप में राधा रानी विचरण करने लगीं। कृष्ण जाते-जाते अपनी बांसुरी राधा रानी को देकर गए थे। बृजवासियों को पता था कि यह राधा हैं, जो श्री कृष्ण के वेश में घूमती हैं। इसलिए बृज के लोग उन्हें हे राधे-हे राधे कहकर पुकारते है।भगवान कृष्ण की तरह राधा जी की पूजा करने से भी व्यक्ति को विशेष फलों की प्राप्ति होती है। जिस प्रकार भारत के कई क्षेत्रों में राम-राम कहकर एक दूसरे का अभिवादन किया जाता है, ठीक उसी प्रकार कई राज्यों में राधे-राधे कहने की भी प्रथा है। लेकिन यह केवल अभिवादन करने का एक तरीका नहीं है, बल्कि इससे व्यक्ति को कई लाभ भी मिल सकते हैं।
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