श्मशान घाट पर क्यों होती है भगवान शिव की मूर्ति? इसके पीछे का रहस्यमय कारण जानकर दंग रह जाएंगे आप

Lord Shiva: श्मशान में भगवान शिव की मूर्ति का रहस्य गहरा है। वे महाकाल हैं, जो जीवन-मृत्यु के स्वामी हैं और वैराग्य, मोक्ष व सत्य का प्रतीक हैं।

Akriti Pandey
Published on: 28 Oct 2025 3:51 PM IST
Lord Shiva
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Lord Shiva: भगवान शिव को हिन्दू धर्म में महाकाल यानी “कालों के काल” कहा जाता है। वे समय, मृत्यु और सृष्टि के संहारक माने जाते हैं। अक्सर हम देखते हैं कि श्मशान घाटों में भगवान शिव की मूर्ति स्थापित होती है। इसे देखकर कई लोगों के मन में यह प्रश्न उठता है कि आखिर भगवान शिव, जो मंदिरों में पूजे जाते हैं, उनकी मूर्ति श्मशान जैसे स्थान पर क्यों होती है? इसके पीछे गहरा आध्यात्मिक और दार्शनिक अर्थ छिपा है।

काल के भी काल है महाकाल

भगवान शिव को महाकाल कहा जाता है, जिसका अर्थ है “काल के भी काल” अर्थात समय और मृत्यु पर नियंत्रण रखने वाले देवता। श्मशान वह स्थान है, जहां व्यक्ति का शरीर मृत्यु के बाद लाया जाता है और जीवन का अंतिम सत्य “मृत्यु” यहीं सामने आता है। भगवान शिव इस सत्य के प्रतीक हैं कि जीवन अस्थायी है और मृत्यु अपरिहार्य। वे इस चक्र के स्वामी हैं, जो सृष्टि के निर्माण, पालन और संहार तीनों अवस्थाओं का संचालन करते हैं।

श्मशान है वैराग्य और तपस्या का स्थान

शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान शिव का निवास स्थान कैलाश पर्वत के साथ-साथ श्मशान भी है। श्मशान वह स्थान है जहां मनुष्य की सभी सांसारिक इच्छाएं, मोह और माया समाप्त हो जाती हैं। यहां केवल आत्मा का सत्य शेष रह जाता है। भगवान शिव श्मशान में इसलिए निवास करते हैं क्योंकि वे वैराग्य, संन्यास और तपस्या के प्रतीक हैं। श्मशान उनकी उसी विरक्ति की अभिव्यक्ति है, जहां वे सभी सांसारिक बंधनों से परे होकर समाधि में लीन रहते हैं।

मोह-माया से मुक्ति का संदेश

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्मशान में शिवजी की मूर्ति इसलिए होती है क्योंकि यह वह स्थान है जो मोह-माया से परे है। यहां आकर मनुष्य को यह बोध होता है कि जीवन का अंत एक दिन निश्चित है और मृत्यु के बाद केवल आत्मा ही शेष रहती है। श्मशान में विराजमान शिवजी हमें यह सिखाते हैं कि जो जन्मा है, उसे एक दिन जाना ही होगा, इसलिए अहंकार, लालच और मोह का त्याग करके जीवन को सार्थक बनाना चाहिए।

जीवन और मृत्यु का सत्य

श्मशान में स्थापित भगवान शिव की मूर्ति हमें जीवन और मृत्यु के शाश्वत चक्र की याद दिलाती है। यह दर्शाती है कि सबकुछ भगवान के हाथ में है, जीवन भी और मृत्यु भी। इसीलिए, श्मशान में शिव की मूर्ति के दर्शन करने से व्यक्ति का मन शांत होता है और उसे संसार की नश्वरता का बोध होता है।

भूतों और पंचतत्वों के देवता

भगवान शिव को भूतों, प्रेतों और पंचतत्वों का देवता माना जाता है। श्मशान वह स्थान है जहां पंचतत्वों- अग्नि, वायु, जल, पृथ्वी और आकाश – में शरीर विलीन हो जाता है। शिवजी इस प्रक्रिया के साक्षी होते हैं, इसलिए वे श्मशान में विद्यमान रहते हैं।

Disclaimer: यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है। हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है। NEWSTRACK इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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