जुर्म के बेताज बादशाह कैसे बने बाहुबली अनंत सिंह? जानिए उनकी क्राइम कुंडली, ऐसे बने 'मोकामा का डॉन'

बिहार के बाहुबली नेता अनंत सिंह पर मोकामा में जनसुराज समर्थक दुलार चंद यादव की हत्या का आरोप लगा है। जानिए कैसे ‘छोटे सरकार’ बने इस डॉन की पूरी क्राइम कुंडली और सियासी सफर।

Harsh Srivastava
Published on: 31 Oct 2025 4:30 PM IST (Updated on: 31 Oct 2025 4:36 PM IST)
जुर्म के बेताज बादशाह कैसे बने बाहुबली अनंत सिंह? जानिए उनकी क्राइम कुंडली, ऐसे बने मोकामा का डॉन
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Anant Singh criminal history: बिहार की सियासी ज़मीन पर एक बार फिर चुनावी हिंसा का साया गहरा गया है, जिससे पूरे राज्य में खौफ का माहौल बन गया है। इस बार खूनी वारदात का केंद्र बना है बाहुबलियों की कर्मभूमि मोकामा। यहाँ, जनसुराज पार्टी के समर्थक दुलार चंद यादव की बेरहमी से हत्या कर दी गई है। दुलार चंद को पहले पैर में गोली मारी गई और फिर उन्हें गाड़ी चढ़ाकर कुचल दिया गया। इस निर्मम कत्ल का इल्जाम सीधे तौर पर 'छोटे सरकार' के नाम से मशहूर बाहुबली नेता और जेडीयू प्रत्याशी अनंत सिंह पर लगा है। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए शिकायत के आधार पर उनके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया है, जिससे अनंत सिंह की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं।

पैर में गोली, फिर गाड़ी से रौंदा- मोकामा का खूनी खेल

मृतक दुलार चंद यादव, जो कभी इलाके में दहशत का दूसरा नाम माने जाते थे, अब जनसुराज के नेता बन गए थे। यही राजनीतिक परिवर्तन उनके लिए जानलेवा साबित हुआ। 30 अक्टूबर को बसावन चक इलाके में चुनाव प्रचार के दौरान उनके काफिले पर हमला हुआ। आरोप है कि अनंत सिंह के गुर्गों ने हमला किया और दुलार चंद को कुचलकर मौत के घाट उतार दिया। दुलार चंद के पोते रविरंजन ने एक चौंकाने वाला दावा किया है, "गोली अनंत सिंह ने खुद मारी और फिर पैर पर गाड़ी चढ़ाई।" जनसुराज उम्मीदवार प्रियदर्शी पीयूष के समर्थक की इस मौत ने पूरे बिहार की राजनीति को झकझोर कर रख दिया है। यह वारदात बताती है कि बिहार में चुनावी रण आज भी बाहुबल और बंदूक के साये से बाहर नहीं निकल पाया है।

'छोटे सरकार' बनाम 'षड्यंत्र' की सियासत

एक ओर जहाँ अनंत सिंह पर हत्या का इल्जाम लगा है, वहीं बाहुबली नेता ने इसे आरजेडी प्रत्याशी सूरजभान सिंह की साजिश करार दिया है। हालाँकि, अनंत सिंह की सफाई के बावजूद उनके खिलाफ केस दर्ज हो चुका है। पटना (ग्रामीण) के एसपी विक्रम सिहाग ने इस घटना की पुष्टि करते हुए बताया, "हमें पता चला है कि दुलार चंद यादव को पहले पैर में गोली मारी गई, फिर गाड़ी से कुचल दिया गया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद ज्यादा जानकारी मिलेगी।" पटना जिला प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि दुलार चंद यादव पर पहले से कई आपराधिक मामले दर्ज थे, लेकिन इसके बावजूद हत्या की जांच पूरी सख्ती से की जा रही है और सभी आरोपियों की तलाश जारी है।

'मोकामा का डॉन'- अनंत सिंह की खूनी कहानी

बिहार की राजनीति में बाहुबलियों का दबदबा नया नहीं है, लेकिन अनंत सिंह की कहानी किसी फिल्मी डॉन से कम नहीं है। 'छोटे सरकार' और 'मोकामा का डॉन' जैसे नाम ही एक वक्त लोगों के रोंगटे खड़े कर देते थे। हैट और चश्मा पहनने का शौक, अजगर पालने का जुनून और जनता के बीच रॉबिनहुड जैसी छवि... यह सब उस बाहुबली की पहचान थी, जिसके घर से कभी एके-47 और बम बरामद हुए थे। अनंत सिंह पर कत्ल, फिरौती, डकैती, अपहरण और रेप जैसे संगीन केस दर्ज हैं, लेकिन इसके बावजूद उनका रसूख कभी कम नहीं हुआ। पटना से करीब 40 मिनट दूर बाढ़ के इलाके में राजपूत और भूमिहार जातियों की खूनी जंग का लंबा इतिहास रहा है। इसी लदमा गांव में जन्मे अनंत सिंह ने अपराध की राह पर ऐसे कदम रखे कि बड़े-बड़े अफसर और नेता भी उनके सामने झुकने लगे। कहा जाता है कि जब पहली बार जेल गए, तब उनकी उम्र महज 9 साल थी।

साधु से खूनी बदला लेने वाले 'बाहुबली' की एंट्री

अनंत सिंह की आपराधिक विरासत उनके बड़े भाई दिलीप सिंह से शुरू होती है, जो लालू प्रसाद यादव की सरकार में मंत्री भी रहे थे। 80 के दशक में दिलीप सिंह कांग्रेस विधायक श्याम सुंदर धीरज के लिए बूथ कब्जाने का काम करते थे। साल 1990 में दिलीप जनता दल के टिकट पर विधायक बने और सत्ता मिली तो उसे संभालने के लिए एक मजबूत हाथ चाहिए था, जो अनंत सिंह बने। अनंत सिंह की कहानी में एक मोड़ तब आया जब वह वैराग्य लेकर अयोध्या और हरिद्वार में साधु बन गए थे। लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था। जब सबसे बड़े भाई बिरंची सिंह की हत्या हुई, तो अनंत का साधु रूप खूनी बदला में बदल गया। उन्होंने नदी पार करके अपने भाई के हत्यारे को ईंटों से कुचलकर मार डाला। यही वो दिन था जब बिहार के लोगों के बीच 'छोटे सरकार' का जन्म हुआ।

नीतीश से दोस्ती और फिर 'जेल से जीत' का करिश्मा

साल 2005 में जब नीतीश कुमार अपराधमुक्त राजनीति का सपना दिखा रहे थे, तब उन्होंने अनंत सिंह को मोकामा से टिकट दिया, जिस पर बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया। लेकिन नतीजा सामने था: अनंत सिंह मोकामा से जीत गए। छठ पर धोती बांटना, गरीबों को तांगा देना, रमजान में इफ्तार कराना, यही वो तिकड़ी थी, जिसने अनंत सिंह को मोकामा में गरीबों का मसीहा बना दिया और उनके अपराध को ढक दिया। लेकिन साल 2015 में जब नीतीश और लालू फिर साथ आए, तो अनंत ने जेडीयू से इस्तीफा दे दिया। उसी साल उन्होंने जेल से चुनाव लड़ा, एक दिन भी प्रचार नहीं किया, फिर भी 18 हजार से ज्यादा वोटों से जीत गए, जो उनके रसूख और जनता के बीच 'छोटे सरकार' की छवि का प्रमाण था।

'छोटे सरकार' की क्राइम कुंडली: जब AK-47 हुई बरामद

अनंत सिंह का खौफ किसी से छिपा नहीं है। साल 2004 में एसटीएफ की छापेमारी के दौरान उनके आवास पर गोलियां चलीं, जिसमें एक जवान शहीद हुआ। साल 2007 में बलात्कार और हत्या के एक संगीन मामले में नाम उछला, और जब पत्रकारों की टीम उनसे सवाल करने पहुंची, तो उनके समर्थकों ने उनकी पिटाई कर बंधक बना लिया। अनंत सिंह ने जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री थे, तब उन्हें खुलेआम धमकाने की हिम्मत दिखाई थी, और मंत्री परवीन अमानुल्लाह को भी धमकाया था। उनकी हरकतों के चलते ही वह धीरे-धीरे नीतीश कुमार के लिए बोझ बनते गए। 17 जून 2015 को उनके इशारे पर चार युवकों का अगवा किया गया, जिनमें से एक का शव बेरहमी से पीटा हुआ मिला। 16 अगस्त 2019 को उनके पैतृक घर से एक AK-47 राइफल, दो हैंड ग्रेनेड और 26 जिंदा कारतूस बरामद हुए, जिसके बाद उनके खिलाफ यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था। आज जब 2025 के चुनावी माहौल में मोकामा फिर खून से लाल हुआ है, तो सवाल उठ रहा है कि क्या बाहुबली राजनीति का युग बिहार में कभी खत्म होगा? गोलियों की आवाजें, सायरन की गूंज और 'छोटे सरकार' का नाम, ये तीन शब्द एक बार फिर बिहार की राजनीति को रक्तरंजित कर रहे हैं।

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Harsh Srivastava

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Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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