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लालू vs नीतीश: किसके शासन में था जंगलराज, अपराधी थे बेलगाम और किसके राज में हुआ बिहार का विकास? जानिए इस खास रिपोर्ट में
Lalu vs Nitish: जानिए बिहार के इतिहास को, लालू यादव और नीतीश कुमार के शासनकाल की तुलना में – शिक्षा, अपराध, विकास, और स्वास्थ्य सेवाओं में किसके शासन में था जंगलराज, और किसके दौर में हुआ बिहार का विकास? इस खास रिपोर्ट में पढ़ें!
Lalu vs Nitish:
Lalu vs Nitish: बिहार, जो कभी बुद्ध की धरती और 'तक्षशिला' तथा नालंदा जैसे ऐतिहासिक स्थल के रूप में जाना जाता था, आज अपराध और प्रशासनिक अक्षमता की छवि से जूझ रहा है। एक समय था जब यहाँ के लोग अपनी मेहनत और आत्मविश्वास से मुश्किलों को पार कर लेते थे, लेकिन अब बिहार की स्थिति काफी नाजुक हो गई है। कुछ समय बाद बिहार में चुनाव हैं, और इस बार चुनावी मैदान में तेजस्वी यादव, नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर जैसे नेता उतर चुके हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि बिहार की जनता इन नेताओं को कितनी पसंद करती है।
हाल ही में बिहार के पटना स्थित पारस एचएमआरआई अस्पताल के प्राइवेट वार्ड में गैंगस्टर चंदन मिश्रा की हत्या कर दी गई, जिसके बाद राज्य में कानून-व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। इसके बाद, विपक्षी नेता और प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार से सवाल पूछा कि क्या बिहार में प्रशासन नाम की कोई चीज है या नहीं। आइए, अब हम लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के शासनकाल को शिक्षा, अपराध और विकास के संदर्भ में तुलना करते हैं:
शिक्षा: लालू प्रसाद यादव बनाम नीतीश कुमार
लालू प्रसाद यादव (1990-2005)
लालू प्रसाद यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी के शासन में शिक्षा के क्षेत्र में कोई बड़ी प्रगति नहीं हुई। सरकारी स्कूलों में ढांचागत सुविधाओं का अभाव था और शिक्षकों की कमी भी एक गंभीर समस्या थी।
आंकड़े: 1991 में बिहार की साक्षरता दर 37.5% थी, जो 2001 तक बढ़कर 47% हुई, लेकिन यह बढ़ोतरी काफी धीमी थी।
लालू के शासनकाल में शिक्षा के लिए बजट का हिस्सा कम था और प्राथमिकता सामाजिक न्याय पर थी। इसके बावजूद, उन्होंने चारवाहा विद्यालय जैसी योजनाएं शुरू की थीं, जो अनौपचारिक शिक्षा के लिए थीं, लेकिन इनकी गुणवत्ता पर सवाल उठे थे।
नीतीश कुमार (2005-वर्तमान)
नीतीश कुमार ने अपने शासनकाल में शिक्षा को प्राथमिकता दी। उन्होंने कई सुधारात्मक कदम उठाए, जिनसे साक्षरता दर में बढ़ोतरी हुई और बुनियादी सुविधाओं का सुधार हुआ।
आंकड़े: 2001 में बिहार की साक्षरता दर 47% थी, जो 2011 में बढ़कर 61.8% और 2020 में लगभग 70% हो गई।
नीतीश कुमार के शासन में विशेष रूप से महिला साक्षरता में काफी सुधार हुआ। उन्होंने "मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना", "साइकिल योजना", और "बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना" जैसी योजनाएं लागू की, जो लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए थीं। इसके परिणामस्वरूप, स्कूलों में नामांकन दर 78% से बढ़कर 95% हो गई।
अपराध दर में बदलाव
लालू यादव के शासन (1990-2005):
लालू के शासन में बिहार में अपराध का एक बहुत ही गंभीर माहौल था। माफिया और राजनीतिक प्रभावशाली लोग अपराधों को बढ़ावा देते थे। हत्या, बलात्कार, अपहरण जैसे अपराधों की संख्या में वृद्धि हुई थी। अपराधियों के लिए किसी प्रकार का डर या अनुशासन नहीं था।
हत्या के मामले (2000 में): 12,500 हत्या के मामले दर्ज किए गए थे।
अपराध दर: 1990 में बिहार में अपराध दर 18.7% थी, जो राष्ट्रीय औसत से काफी ज्यादा थी।
नीतीश कुमार के शासन (2005-2025):
नीतीश कुमार ने अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की। पुलिस व्यवस्था में सुधार, "बिहार पुलिस सुधार" जैसी योजनाओं और ऑपरेशन मुक्ति के जरिए बिहार में कानून-व्यवस्था को मजबूत किया। इसके परिणामस्वरूप अपराध दर में कमी आई है, हालांकि कुछ क्षेत्रों में अपराध अभी भी चुनौती बने हुए हैं।
हत्या के मामले (2020): 7,400 हत्या के मामले दर्ज किए गए थे, जो 2005 से कम थे।
अपराध दर: 2020 तक बिहार में अपराध दर 16% तक घट गई थी, जो राष्ट्रीय औसत के करीब थी।
विकास: लालू प्रसाद यादव बनाम नीतीश कुमार
लालू प्रसाद यादव (1990-2005)
लालू के शासन में विकास कार्यों पर कम ध्यान दिया गया।
आंकड़े: 1990-2005 के बीच बिहार की जीडीपी विकास दर राष्ट्रीय औसत से कम रही। 2004 में बिहार की जीडीपी वृद्धि दर 4-5% थी, जबकि राष्ट्रीय औसत 8.4% था। लालू के केंद्रीय रेल मंत्री बनने के बाद भी बिहार को पर्याप्त मदद नहीं मिली।
नीतीश कुमार (2005-वर्तमान)
नीतीश कुमार ने बिहार के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाई और बुनियादी ढांचे में सुधार किए।
आंकड़े: 2005-2013 के बीच बिहार की जीडीपी वृद्धि दर 10-12% तक पहुंची, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक थी। नीतीश कुमार ने सड़कों, पुलों, बिजली आपूर्ति और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार किया। उन्होंने "सात निश्चय" योजना शुरू की, जिसके तहत शिक्षा, स्वास्थ्य, और ग्रामीण विकास पर ध्यान दिया गया।
विकास की गति: लालू यादव के शासन (1990-2005) बनाम नीतीश कुमार के शासन (2005-2025)
लालू यादव के शासन (1990-2005)
लालू यादव के शासन में विकास कार्यों को प्राथमिकता नहीं दी गई थी। उनकी मुख्य चिंता राजनीतिक समीकरण और जातिगत मुद्दों पर थी, जिसके कारण राज्य में बुनियादी ढांचे और विकास के कार्यों में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं आया।
ग्रामीण इलाकों में स्थिति: बिहार के ग्रामीण इलाकों में बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी थी। सड़कें, पानी और बिजली की स्थिति बेहद खराब थी, जिससे ग्रामीण जीवन कठिन हो गया था।
आर्थिक विकास दर: बिहार की जीडीपी विकास दर बहुत ही कम थी, और राज्य देश के सबसे पिछड़े राज्यों में शामिल था। राज्य में औद्योगिक विकास भी नगण्य था।
नीतीश कुमार के शासन (2005-2025)
नीतीश कुमार ने अपने कार्यकाल में बुनियादी ढांचे के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाई। उन्होंने सड़क निर्माण, बिजली आपूर्ति और शहरीकरण में बड़े सुधार किए, जिससे बिहार के आर्थिक और बुनियादी ढांचे में सुधार हुआ।
सड़क निर्माण: नीतीश कुमार के शासन में 16,000 किलोमीटर सड़कें बनाई गईं, जिससे ग्रामीण और शहरी इलाकों के बीच कनेक्टिविटी में सुधार हुआ।
ग्रामीण बिजलीकरण: 2015 में नीतीश कुमार ने ग्रामीण इलाकों में बिजली पहुंचाने की योजना शुरू की, जिससे कई गांवों को 24 घंटे बिजली मिल रही है।
आर्थिक विकास दर: 2010 के बाद बिहार की जीडीपी में प्रति वर्ष औसतन 15% की वृद्धि हुई, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था में मजबूती आई।
स्वास्थ्य सेवाएं: लालू यादव के शासन (1990-2005) बनाम नीतीश कुमार के शासन (2005-2025)
लालू यादव के शासन (1990-2005)
लालू यादव के शासन में बिहार की स्वास्थ्य सेवाएं अत्यधिक खराब थीं। सरकारी अस्पतालों में बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी थी, और अधिकांश लोग इलाज के लिए महंगे निजी क्लिनिकों का रुख करते थे।
स्वास्थ्य सुविधाएं: सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी थी, और बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं भी उपलब्ध नहीं थीं।
मातृ एवं शिशु मृत्यु दर: बिहार में मातृ और शिशु मृत्यु दर बहुत उच्च थी, और इसका कोई ठोस समाधान नहीं निकाला गया था।
नीतीश कुमार के शासन (2005-2025)
नीतीश कुमार ने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार पर जोर दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री स्वास्थ्य योजना जैसी योजनाओं की शुरुआत की, जिससे सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ीं और लोगों को इलाज की सुलभता मिली।
स्वास्थ्य सुधार: नीतीश कुमार के शासन में अस्पतालों में डॉक्टरों और नर्सों की नियुक्ति की गई। इससे सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हुईं।
मातृ मृत्यु दर: नीतीश कुमार के कार्यकाल में मातृ मृत्यु दर में 32% की कमी आई, जो स्वास्थ्य सुधारों के प्रभाव का प्रमाण है।
अब, बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र, यह देखना होगा कि जनता किसे अपनी आशा और विश्वास का प्रतीक मानती है – तेजस्वी यादव, नीतीश कुमार, या फिर प्रशांत किशोर
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