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नीतीश बीमार बिहार लाचार! एक हफ्ते में 17 हत्याएं, पटना से सीतामढ़ी तक ताबड़तोड़ बरसी गोलियां, तेजस्वी का पारा हुआ हाई
Tejashwi Yadav on Nitish Kumar: बिहार में एक हफ्ते में 17 हत्याएं, पटना से सीतामढ़ी तक ताबड़तोड़ गोलियां, सुशासन गुम और तेजस्वी ने नीतीश पर बोला तीखा हमला।
Tejashwi Yadav on Nitish Kumar: बिहार की फिज़ाओं में इन दिनों बारूद की गंध घुल चुकी है। हर दिन नई लाशें, हर गली में मातम और हर घर में डर… यह कोई फिल्मी स्क्रिप्ट नहीं, बल्कि उस राज्य की जमीनी हकीकत है, जिसे कभी 'सुशासन बाबू' की पहचान से जाना जाता था। लेकिन अब तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है। एक हफ्ते में 17 हत्याएं। जी हां, बिहार में महज सात दिनों में 17 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। कोई पटना में मारा गया, तो कोई सीतामढ़ी में। कोई वकील था, तो कोई मासूम लड़की। बिहार की धरती अब खून से भीग रही है और कानून व्यवस्था खुद ICU में पड़ी कराह रही है।
गोलियों की गूंज में गुम हुआ 'सुशासन'
बिहार में हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि अपराधी अब सिर्फ रात के अंधेरे में ही नहीं, बल्कि दिन-दहाड़े, बाजारों में, अस्पतालों के बाहर और कोर्ट परिसर में गोलियां चला रहे हैं। राजधानी पटना, जिसे 'सुरक्षित' माना जाता था, अब माफिया और हत्यारों का नया खेल का मैदान बन चुका है। वकील को दिन में सरेआम गोलियां मार दी जाती हैं, नर्स को घर के बाहर मौत के घाट उतार दिया जाता है, और व्यापारी तो अब घर से निकलने में भी डरने लगे हैं। बीते दिनों भाजपा नेता सुरेंद्र केवट की हत्या ने तो सरकार की चूलें ही हिला दी हैं। बाइक सवार बदमाश आए, चार गोलियां मारीं और फरार हो गए। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। इससे पहले व्यापारी गोपाल खेमका की हत्या ने पटना की सड़कों को लाल कर दिया था। ये हत्याएं कोई अपवाद नहीं, बल्कि अब बिहार का 'नया सामान्य' बन चुकी हैं।
तेजस्वी यादव का सीधा हमला – "नीतीश बीमार, बिहार लाचार।"
इन आपराधिक घटनाओं के बीच तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर सबसे तीखा हमला बोला है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा – “बिहार में ताबड़तोड़ गोलियों की बौछार चल रही है, अपराधी बेखौफ हैं, और मुख्यमंत्री बीमार हैं। पूरा प्रदेश लाचार हो चुका है।” तेजस्वी ने यह भी पूछा कि जब भाजपा नेता तक सुरक्षित नहीं हैं, तो आम जनता की सुरक्षा कौन करेगा? तेजस्वी ने दोनों उपमुख्यमंत्रियों – सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा – को भी कटघरे में खड़ा किया और पूछा, “जब मुख्यमंत्री अस्वस्थ हैं, तो ये दोनों 'निकम्मे' उपमुख्यमंत्री क्या कर रहे हैं?” उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार पूरी तरह फेल हो चुकी है और अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है।
चुनाव से पहले 'हत्या लहर', सरकार पर बढ़ा दबाव
भाजपा नेता की हत्या ऐसे समय में हुई है जब बिहार चुनाव की तैयारियों में जुटा है। विपक्ष इस मुद्दे को लेकर सरकार को पूरी तरह घेरने की रणनीति बना चुका है। हर हत्या, हर गोली, हर चीख अब चुनावी मंच का मुद्दा बन चुकी है। ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एनडीए के लिए यह दौर बेहद चुनौतीपूर्ण बन गया है। हालांकि सरकार अपनी पीठ थपथपाने से नहीं चूक रही। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने दावा किया कि “बिहार में कोई संगठित अपराध नहीं है, सुशासन कायम है।” लेकिन जमीनी हकीकत सरकार की बातों से मेल नहीं खा रही। एक तरफ रोज़ लाशें गिर रही हैं, दूसरी तरफ मंत्री टीवी पर सुशासन का राग अलाप रहे हैं।
डर के साए में जी रहे हैं लोग
राजधानी पटना से लेकर नालंदा, वैशाली, सीतामढ़ी और शेखपुरा तक एक जैसी खबरें आ रही हैं – गोलियों की आवाज़, रोते बिलखते परिवार और खाली हाथ लौटती पुलिस। अब आम आदमी का भरोसा कानून पर से उठता जा रहा है। लोग पूछ रहे हैं – “अगर वकील सुरक्षित नहीं, अगर भाजपा नेता तक बच नहीं पा रहे, तो आम आदमी की जान की कीमत क्या रह गई है?” शहरों की गलियों में सन्नाटा है, गांवों में दहशत है और सोशल मीडिया पर गुस्सा। लोग खुलकर कहने लगे हैं कि बिहार अब 'जंगलराज 2.0' की ओर बढ़ चुका है।
बिहार की राजनीति का नया विस्फोट?
नीतीश कुमार लंबे समय से स्वास्थ्य कारणों से ज्यादा सक्रिय नहीं दिख रहे। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं – क्या अब नीतीश जी के पास बिहार की बागडोर संभालने की क्षमता रह गई है? क्या एनडीए में नेतृत्व परिवर्तन की जरूरत है? क्या विपक्ष इस बार अपराध के मुद्दे पर सरकार को घेरकर चुनावी समीकरण बदल देगा? इन सवालों का जवाब तो वक्त देगा, लेकिन इतना तय है कि बिहार की धरती खून से रंग चुकी है, और अब जनता की सहनशीलता जवाब देने लगी है। अगर हालात ऐसे ही बने रहे, तो 2025 का विधानसभा चुनाव सिर्फ सियासी जंग नहीं, बल्कि "कानून बनाम अपराध" की निर्णायक लड़ाई होगा।
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