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Lucknow News: मोहर्रम के पहले दिन बड़े इमामबाड़े से निकला शाही मोम जरी का जुलूस: चाक-चौबंद रही सुरक्षा व्यवस्था

Muharram Shahi Zari: मोहर्रम का चांद नजर आते ही राजधानी लखनऊ में मजलिस, मातम और जुलूस का सिलसिला शुरू हो गया।

Virat Sharma
Published on: 27 Jun 2025 9:32 PM IST
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Lucknow Today News: मोहर्रम का चांद नजर आते ही राजधानी लखनऊ में मजलिस, मातम और जुलूस का सिलसिला शुरू हो गया है। शुक्रवार शाम को पुराने लखनऊ में ऐतिहासिक और शाही अंदाज में जरी का जुलूस निकाला जा रहा है, जो कि बड़े इमामबाड़े से शुरू होकर छोटे इमामबाड़े तक जाएगा। इस खास जुलूस में हाथी, ऊंट और घोड़े भी शामिल हैं, जो इसकी शान और ऐतिहासिक विरासत को दर्शाते हैं। बड़ी संख्या में अकीदतमंद विभिन्न रंगों के झंडे लेकर इसमें शरीक हो रहे हैं।



पुराने लखनऊ के रहने वाले रफीक आलम ने बताया कि इस जुलूस का प्रमुख आकर्षण मोम से तैयार किया गया खास शाही जरी है, जिसे देखने और उसमें शरीक होने के लिए लोग दूर-दराज से पहुंचते हैं। उनका कहना है कि इसी जुलूस से हिंदुस्तान ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को मोहर्रम की शुरुआत का संदेश जाता है। जुलूस के दौरान अकीदतमंद "या हुसैन" की सदाओं के साथ आगे बढ़ते हैं। इसके बाद इमाम हुसैन की शहादत की याद में मर्सिया पढ़ा जाएगा और नोहा ख्वानी की जाएगी।

जुलूस को लेकर चाक-चौबंद रही सुरक्षा-व्यवस्था

जुलूस को लेकर सुरक्षा के भी बेहद कड़े इंतजाम किए गए हैं। शहर के संवेदनशील इलाकों में पुलिस, पीएसी और एसएसबी के जवान तैनात हैं। सीसीटीवी कैमरों और ड्रोन से पूरे रूट की निगरानी की जा रही है। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी लगातार छोटे इमामबाड़े, बड़े इमामबाड़े समेत पूरे इलाके का जायजा ले रहे हैं ताकि किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।

लखनऊ की गंगा-जमुनी तहजीब और धार्मिक सद्भाव का प्रतीक

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह शाही जरी का जुलूस 186 साल पुराना है, जिसकी शुरुआत अवध के तीसरे ताजदार मोहम्मद अली शाह ने 1839 में की थी। तब से लेकर आज तक यह जुलूस हर साल उसी शाही शान और भव्यता के साथ निकाला जा रहा है, जो अब लखनऊ की गंगा-जमुनी तहजीब और धार्मिक सद्भाव का प्रतीक बन चुका है।

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Lucknow Reporter

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