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बिहार में कांग्रेस का धमाका, 'CM फेस' पर रहेगा सस्पेंस, क्या है इस चुप्पी के पीछे का मास्टरप्लान?
बिहार में कांग्रेस ने बिना मुख्यमंत्री चेहरे के चुनाव लड़ने का फैसला किया, महागठबंधन में सस्पेंस बरकरार, सीट शेयरिंग और रणनीति पर चल रही चर्चाएं।
Congress CM Face in Bihar: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं दिख रहा है। एक तरफ जहां आरजेडी ने अपने नेता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर रखा है, वहीं अब कांग्रेस ने इस मुद्दे पर ही सबसे बड़ा सियासी बम फोड़ दिया है। कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वह बिना मुख्यमंत्री चेहरे के चुनाव लड़ेगी और चुनाव नतीजों के बाद ही इस पर फैसला होगा। इस फैसले ने न सिर्फ तेजस्वी की उम्मीदों को झटका दिया है, बल्कि महागठबंधन में दरार को भी उजागर कर दिया है। यह सवाल अब जोर पकड़ रहा है कि क्या कांग्रेस की इस रणनीति पर लालू यादव रजामंद होंगे?
सीएम चेहरे पर सस्पेंस क्यों?
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के साथ बिहार के नेताओं की बैठक के बाद कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस किसी भी एक चेहरे को आगे कर चुनाव नहीं लड़ेगी। उन्होंने कहा, "बिहार का मुख्यमंत्री जनता तय करेगी।" यह बयान आरजेडी के उस स्टैंड के बिल्कुल खिलाफ है, जिसमें तेजस्वी को मुख्यमंत्री उम्मीदवार बताया गया है। कांग्रेस की रणनीति 2024 लोकसभा चुनाव की तर्ज पर है, जहां 'इंडिया ब्लॉक' ने प्रधानमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं किया था। कांग्रेस को लगता है कि तेजस्वी के नाम पर गैर-यादव ओबीसी और सवर्ण वोट छिटक सकते हैं। इसलिए, वह बिना सीएम चेहरे के चुनाव में उतरकर सभी वर्गों को साधने की कोशिश में है।
सीट शेयरिंग पर क्या है कांग्रेस का प्लान
जहां कांग्रेस सीएम चेहरे पर लचीलापन नहीं दिखा रही है, वहीं सीट शेयरिंग पर उसने 'बड़ा दिल' दिखाने की बात कही है। कृष्णा अल्लावरू ने कहा कि गठबंधन में नए साथी आएंगे तो सभी को समझौता करना होगा। उन्होंने भरोसा जताया कि 15 सितंबर तक सीट बंटवारे पर अंतिम फैसला हो जाएगा और कांग्रेस को जितनी भी सीटें मिलेंगी, वह उसे स्वीकार कर लेगी। इससे यह संकेत मिलता है कि कांग्रेस सीटों के मामले में आरजेडी पर ज्यादा दबाव नहीं डालेगी, ताकि गठबंधन बचा रहे।
ओवैसी की पार्टी को 'नो एंट्री', लालू के पाले में गेंद
कांग्रेस ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM को महागठबंधन में शामिल करने के मुद्दे पर भी अपनी स्थिति साफ कर दी है। कृष्णा अल्लावरू ने कहा कि इस पर फैसला पूरी तरह से लालू यादव को करना है, और कांग्रेस का इस चर्चा से कोई लेना-देना नहीं है। यह कदम कांग्रेस द्वारा ओवैसी के साथ किसी भी तरह के गठबंधन से दूरी बनाए रखने की कोशिश है, जिससे अल्पसंख्यक वोटों के बंटवारे को लेकर कोई असमंजस न हो।
कांग्रेस की चुनावी रणनीति: 'हर घर यात्रा'
कांग्रेस इस बार बिहार में अपना कोई अलग घोषणापत्र नहीं निकालेगी, बल्कि महागठबंधन का संयुक्त घोषणापत्र जारी किया जाएगा। इसके अलावा, कांग्रेस 'हर घर अधिकार यात्रा' निकालेगी, ताकि लोगों तक मेनिफेस्टो की जानकारी पहुंचाई जा सके। आज कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी की भी बैठक है, जिसमें करीब दो दर्जन सीटों पर उम्मीदवारों के नामों पर विचार किया जाएगा। 2020 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 19 पर जीत हासिल की थी। इस बैठक में इन जीती हुई सीटों पर भी विचार किया जाएगा और अगर सर्वे में फीडबैक खराब हुआ तो मौजूदा विधायकों का टिकट भी कट सकता है। यह दिखाता है कि कांग्रेस इस बार बिहार में पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ने की तैयारी में है, भले ही इसके लिए उसे अपने सबसे बड़े सहयोगी दल से ही टकराव मोल लेना पड़े।
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