चुनाव में तेजस्वी की डूब जाएगी नईया? IRCTC घोटाले में आरोप तय, CM फेस पर मंडराया बड़ा खतरा

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले तेजस्वी यादव के लिए बड़ा झटका, IRCTC होटल घोटाले में आरोप तय, उनके मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पर मंडराया संकट, विपक्ष और जनता में सवाल उठे।

Harsh Srivastava
Published on: 13 Oct 2025 1:29 PM IST (Updated on: 13 Oct 2025 1:39 PM IST)
चुनाव में तेजस्वी की डूब जाएगी नईया? IRCTC घोटाले में आरोप तय, CM फेस पर मंडराया बड़ा खतरा
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IRCTC scam accused Tejaswi Yadav: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता और मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार तेजस्वी यादव की मुश्किलें चरम पर पहुँच गई हैं। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने आज आईआरसीटीसी होटल घोटाले में लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव समेत कई आरोपियों के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं। इस फैसले से तेजस्वी यादव के 'युवा नेता' और 'नौकरी देने वाले' की छवि को बड़ा झटका लगा है, जिसने बिहार के चुनावी समीकरणों को अत्यंत रोचक बना दिया है। यह मामला 2004-09 के दौरान लालू यादव के रेल मंत्री रहते हुए आईआरसीटीसी के दो होटलों (पुरी और रांची के बीएनआर होटल) के रखरखाव के ठेके देने में कथित अनियमितताओं से जुड़ा है। सीबीआई की चार्जशीट के अनुसार, फर्जी टेंडर प्रक्रिया से सुजाता होटल्स को फायदा पहुँचाया गया, और बदले में लालू परिवार को पटना में प्राइम लैंड मिला। तेजस्वी पर भ्रष्टाचार, आपराधिक विश्वासघात और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर आरोप लगे हैं।

क्या 'भ्रष्टाचार के आरोपी' तेजस्वी बनेंगे जनता के आइडियल?

तेजस्वी यादव ने खुद को बिहार के युवाओं का 'आइडियल' बनाने की कोशिश की है। वे खुद को क्रिकेटर से राजनेता, फिटनेस आइकन और 'नौकरी देने वाले' नेता के रूप में पेश करते रहे हैं। 2020 में महागठबंधन की 75 सीटों पर मिली विजय में उनकी भूमिका अहम थी। लेकिन आईआरसीटीसी चार्जशीट ने उनकी इस छवि को गहरा आघात पहुँचाया है। सीबीआई की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि लालू के रेल मंत्री रहते टेंडर प्रक्रिया में हेराफेरी हुई, और तेजस्वी समेत परिवार को 'बेनामी' तरीके से लैंड मिला। हालाँकि, अभी आरोप साबित नहीं हुए हैं, लेकिन आरोप तय होने से जनता का संदेह कब पुख्ता यकीन में बदल जाए, कहा नहीं जा सकता है। 2024 लोकसभा चुनावों में आरजेडी की हार (40 में से सिर्फ 4 सीटें) का एक कारण लालू परिवार की छवि ही थी। एक हालिया सीवोटर सर्वे में 55% युवा (18-35 साल) कहते हैं कि भ्रष्टाचार के आरोपी को मुख्यमंत्री नहीं बनाना चाहिए। तेजस्वी का बचाव है कि यह 'राजनीतिक साजिश' है, लेकिन अगर ट्रायल में सबूत मजबूत साबित हुए, तो उनका 'आइडियल' इमेज चूर-चूर हो जाएगा। याद रहे, 2017 में इसी आईआरसीटीसी केस ने नीतीश कुमार को तेजस्वी से गठबंधन तोड़ने पर मजबूर कर दिया था।

टाइमिंग का खेल: क्या चुनावी माहौल में भुना पाएँगे 'विक्टिम कार्ड'?

चुनावों की तारीखें घोषित हो चुकी हैं और ठीक इसी बीच आरोप तय होने का फैसला आना बीजेपी के लिए 'परफेक्ट टाइमिंग' है। बीजेपी अब इस मुद्दे को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। केंद्र सरकार पर विपक्ष पहले ही सीबीआई और ईडी पर 'चुनावी हथियार' की तरह इस्तेमाल करने का आरोप लगाता रहा है। तेजस्वी इसे 'मोदी सरकार की साजिश' बता रहे हैं, और आरजेडी कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर #JusticeForTejaswi चला रहे हैं। तेजस्वी यह बात जनता के बीच रख सकते हैं कि जब उन्होंने खुद को सीएम कैंडिडेट घोषित किया, तब आरोप तय हो रहे हैं। 2020 में भी सीबीआई ने विधानसभा चुनावों से ठीक पहले चार्जशीट दाखिल की थी, जिससे उन्हें नुकसान हुआ था। 2020 में ईडी की कार्रवाई ने तेजस्वी को नुकसान पहुँचाया था, लेकिन महागठबंधन ने 'विक्टिम कार्ड' खेलकर 110 सीटें जीती थीं। तेजस्वी इसे भुनाने की हर संभव कोशिश करेंगे, लेकिन सफलता 50-50 लग रही है।

कोर वोटर पर नहीं पड़ेगा असर, पर स्विंग वोटर करेगा फैसला

लालू परिवार के लिए जेल-बेल का सिलसिला नया नहीं है, और उनका कोर वोट बैंक (MY+दलित) कभी नहीं डगमगाया। इसका मतलब है कि यादव और मुसलमान मतदाताओं पर चार्जशीट दाखिल होने का कोई असर नहीं पड़ने वाला है। लेकिन हार-जीत का फैसला स्विंग वोटर्स से होता है। चार्जशीट ने तेजस्वी पर 'लालू 2.0' का स्टैंप लगा दिया है, जो युवा वोट (40%) को भटका सकता है। ऐसे लोग जो एक बार तेजस्वी को मौका देने का मन बना रहे थे, उन पर बहुत प्रभाव पड़ने वाला है। ईबीसी और अपर कास्ट इसे 'ड्रामा' मानते हैं। नीतीश कुमार, जो एनडीए के चेहरे हैं, 'विकास vs भ्रष्टाचार' पर फोकस करेंगे।

महागठबंधन में बढ़ेगी कलह?

तेजस्वी पर आरोप तय होने से महागठबंधन के भीतर कलह की आग फिर से सुलग सकती है। तेजस्वी सीएम कैंडिडेट हैं, लेकिन कांग्रेस ने अभी तक खुलकर स्वीकार नहीं किया है। राहुल गांधी जैसे नेता इस सवाल का जवाब देने से बचते रहे हैं। सीट शेयरिंग को लेकर अभी तक लिस्ट जारी न होने से संदेह गहरा रहा है। यह आशंका सही है कि कांग्रेस और अन्य पार्टियाँ तेजस्वी से दूरी बनाने या मोलभाव बढ़ाने के बारे में सोच सकती हैं, जो निश्चित रूप से आरजेडी के लिए बहुत खराब हो सकता है।

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Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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