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लालू ने संभाली बिहार चुनाव की कमान, तेजस्वी का मास्टरप्लान तैयार, महागठबंधन से होगा NDA सूपड़ा साफ?
लालू यादव ने बिहार चुनाव 2025 में महागठबंधन की कमान संभाली। तेजस्वी यादव की रणनीति से छोटे दलों को जोड़कर महागठबंधन को मजबूत किया जा रहा है। NDA के सामने यह 'डबल इंजन' प्लान जीत का रास्ता तय कर सकता है।
NDA vs Mahagathbandhan: बिहार में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है! चुनाव आयोग की तारीखों के ऐलान से पहले, बिहार का सियासी पारा चरम पर है। सत्ताधारी एनडीए और विपक्षी महागठबंधन, दोनों ही अपनी-अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने में लगे हैं। इस चुनावी मौसम में सबसे ज्यादा चर्चा का विषय है महागठबंधन का लगातार बढ़ता कुनबा। पिछली बार पांच दलों का महागठबंधन, अब नौ दलों के मजबूत गठबंधन में तब्दील हो चुका है। इसके पीछे तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव की एक सोची-समझी 'डबल इंजन' रणनीति काम कर रही है।
NDA का 'पंजा' vs महागठबंधन का 'नहला'
जहां एनडीए में पार्टियों की संख्या इस बार भी पांच है - बीजेपी, जेडीयू, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (लोकतांत्रिक) और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक मोर्चा। वहीं, महागठबंधन का संख्याबल बढ़कर आठ हो चुका है। इसमें पहले से ही आरजेडी, कांग्रेस और तीन लेफ्ट पार्टियां शामिल थीं। अब मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी), हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) और पशुपति पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी) के आने से महागठबंधन का कुनबा और बढ़ गया है। खबर है कि आईपी गुप्ता की इंडियन इंकलाब पार्टी (आईआईपी) भी जल्द ही इसमें शामिल हो सकती है, जिससे महागठबंधन नौ दलों का हो जाएगा।
लालू यादव की 'वापसी'
पिछले चुनाव में लालू यादव जेल में थे, और तेजस्वी ने अकेले ही मोर्चा संभाला था। लेकिन इस बार, चुनावी मौसम में लालू यादव भी एक्टिव हो चुके हैं। वे अपनी पुरानी शैली में आरजेडी के पुराने नेताओं और कार्यकर्ताओं से मिलने लगे हैं। वैनिटी वैन से यात्रा कर वे कार्यकर्ताओं से संवाद कर रहे हैं और सोशल मीडिया पर नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोल रहे हैं। यह दिखाता है कि लालू अपने 'कोर वोटर्स' को एकजुट करने की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, ताकि आरजेडी का वोटबैंक कमजोर न पड़े।
'कुनबा विस्तार' के पीछे की रणनीति
सवाल यह है कि जब महागठबंधन में पहले से ही सीट शेयरिंग का कोई ठोस फॉर्मूला नहीं बना है, तो तेजस्वी यादव कुनबा क्यों बढ़ा रहे हैं? इसके पीछे की रणनीति 2020 के चुनाव नतीजों में छिपी है। 2020 में महागठबंधन को कई सीटों पर बहुत कम अंतर से हार मिली थी। तेजस्वी का मानना है कि छोटे-छोटे दलों को साथ लाकर वे उन 'क्लोज कॉन्टेस्ट' वाली सीटों पर जीत हासिल कर सकते हैं।
वीआईपी (VIP): मुकेश सहनी की पार्टी को साथ लाकर महागठबंधन की नजर निषाद जाति की 9.65 फीसदी आबादी पर है।
झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM): जेएमएम के जरिए अनुसूचित जनजाति के 1.68 फीसदी वोट बैंक को साधने की कोशिश है।
राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP): पशुपति पारस को साथ लाने से पासवान समाज के 1.7 फीसदी वोटों को जोड़ने का प्लान है।
इस तरह, तेजस्वी छोटे-छोटे वोट ब्लॉक्स को जोड़कर महागठबंधन को मजबूत करने में लगे हैं, जबकि लालू यादव अपने कोर वोटर्स को आरजेडी के पक्ष में एकजुट रखने की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। यह 'डबल इंजन' रणनीति ही महागठबंधन की जीत का रास्ता तय कर सकती है।
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