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'शाह' के बाद अब 'तेजस्वी' ने भी बुलाई बैठक, विधायकों और प्रदेश पदाधिकारियों संग करेंगे चुनावी मंथन
तेजस्वी यादव ने बिहार में चुनावी बैठक बुलाई, अमित शाह एनडीए सीट बंटवारे पर करेंगे फैसला।
Tejashwi Yadav meeting on Bihar Election: बिहार विधानसभा चुनाव की गहमागहमी चरम पर है। जहां एक ओर दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के चाणक्य अमित शाह अपने आवास पर बिहार बीजेपी के दिग्गज नेताओं के साथ बैठक कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पटना में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी विधायकों और प्रदेश पदाधिकारियों की एक बड़ी बैठक बुलाई है। दोनों ही बैठकें दोपहर 2 बजे शुरू होने वाली हैं, जो यह दर्शाता है कि बिहार में चुनावी रण की बिसात पर दोनों दिग्गज एक-दूसरे के सामने आ गए हैं। इस समानांतर बैठकों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, क्योंकि हर कोई जानना चाहता है कि बिहार में अगली सरकार बनाने की रणनीति कौन बेहतर बनाता है।
पटना में तेजस्वी का 'चुनावी मंथन'
तेजस्वी यादव की यह बैठक पटना में हो रही है और इसमें सभी विधायक, एमएलसी और प्रदेश पदाधिकारी शामिल हो रहे हैं। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य आगामी चुनाव के लिए पार्टी की रणनीति को अंतिम रूप देना है। तेजस्वी ने पिछले कुछ दिनों में 'वोटर अधिकार यात्रा' के जरिए बिहार के कई जिलों का दौरा किया है। इस बैठक में वे अपनी यात्रा के दौरान मिली प्रतिक्रियाओं और जमीनी हकीकत पर चर्चा करेंगे। तेजस्वी का ध्यान युवाओं, रोजगार और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर है, और वे अपनी पार्टी के नेताओं को इसी आधार पर चुनाव की तैयारी करने का निर्देश देंगे। यह बैठक राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकती है, क्योंकि वे नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को सत्ता से हटाना चाहते हैं।
दिल्ली में अमित शाह का 'मास्टरस्ट्रोक'
वहीं दूसरी तरफ, दिल्ली में अमित शाह की बैठक बिहार में एनडीए की रणनीति का खाका तैयार करेगी। इस बैठक में प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा, साथ ही केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और नित्यानंद राय भी शामिल होंगे। बैठक का मुख्य एजेंडा एनडीए के भीतर सीट बंटवारे को अंतिम रूप देना है। हाल ही में, चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने 135 सीटों तक की मांग करके बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ा दी थीं। अमित शाह की यह बैठक इन चुनौतियों को हल करने और गठबंधन के सहयोगियों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करेगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी चिराग पासवान और अन्य सहयोगियों को कैसे शांत करती है।
कौन बनेगा बिहार का किंगमेकर?
यह समानांतर बैठकें दिखाती हैं कि बिहार चुनाव में सत्ता का संघर्ष कितना कड़ा है। एक तरफ बीजेपी अपने केंद्रीय नेतृत्व की शक्ति और रणनीति का इस्तेमाल कर रही है, तो दूसरी तरफ आरजेडी अपने जमीनी स्तर के संगठन और युवा नेतृत्व पर भरोसा कर रही है। दोनों ही दल अपनी-अपनी रणनीति को अंतिम रूप दे रहे हैं और कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इन बैठकों के बाद क्या कोई बड़ा ऐलान होता है और बिहार की राजनीतिक दिशा क्या तय होती है।
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