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Tejashwi Yadav Mahagathbandhan meeting: तेजस्वी के नेतृत्व में महागठबंधन की बैठक! हो सकते है बड़े फैसले, नीतीश कुमार ने भी खेला मास्टरस्ट्रोक
Tejashwi Yadav Mahagathbandhan meeting: तेजस्वी यादव के आवास पर महागठबंधन की अहम बैठक से बिहार की राजनीति में हलचल तेज, तो वहीं नीतीश कुमार ने आशा कार्यकर्ताओं की प्रोत्साहन राशि बढ़ाकर महिला वोटरों को साधने की बड़ी चाल चली।
Tejashwi Yadav Mahagathbandhan meeting: अगर आप बिहार की राजनीति में जरा भी दिलचस्पी रखते हैं तो तैयार हो जाइए क्योंकि चुनावी बिसात पर अब तक की सबसे बड़ी चालें चली जा रही हैं एक तरफ महागठबंधन ने अपनी सबसे अहम बैठक बुला ली है, वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ऐसा 'मास्टरस्ट्रोक' खेला है जिससे लाखों महिलाओं के वोट पक्के हो सकते हैं। लेकिन क्या ये सब इतना आसान होगा? जानिए बिहार की राजनीति के सबसे बड़े 'सीक्रेट' जो आज सामने आए हैं।
तेजस्वी के घर 'महाबैठक', चुनाव से पहले महासंग्राम की तैयारी
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल बज चुका है, और सियासी पारा इतना चढ़ गया है कि नेताओं की धड़कनें तेज हो गई हैं। सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीति को धार देने में जुट गए हैं। इसी कड़ी में आज महागठबंधन ने एक बेहद ही महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया है। यह बैठक राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सबसे बड़े चेहरे, तेजस्वी यादव के पटना स्थित सरकारी आवास 1 पोलो रोड पर दोपहर 1 बजे से शुरू हो चुकी है।
इस बैठक को सिर्फ एक सामान्य मीटिंग समझना भारी भूल होगी। यह महागठबंधन के लिए चुनाव से पहले की सबसे बड़ी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। इसमें न सिर्फ सीटों के बंटवारे, बल्कि चुनावी एजेंडा, गठबंधन के बड़े चेहरों और विरोधी खेमे को घेरने की रणनीति पर भी मंथन होगा। सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि इस 'महाबैठक' से क्या कोई बड़ा ऐलान सामने आता है, जो बिहार की चुनावी तस्वीर को पूरी तरह बदल दे।
नीतीश का 'लेडीज फर्स्ट' दांव, क्या महिलाएं बदलेंगी चुनाव का रुख?
ठीक उसी समय, जब महागठबंधन की बैठक चल रही थी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी चुनावी मोर्चे पर एक बड़ा धमाका कर दिया। उन्होंने आशा कार्यकर्ताओं की प्रोत्साहन राशि को 1,000 रुपये से बढ़ाकर सीधा 3,000 रुपये प्रति माह करने का ऐलान कर दिया है। यह फैसला सिर्फ एक सरकारी घोषणा नहीं है, बल्कि इसे चुनाव से ठीक पहले सरकार की एक सोची-समझी जनसंपर्क नीति के तौर पर देखा जा रहा है।
नीतीश कुमार हमेशा से महिला वोटरों को साधने में माहिर रहे हैं। आशा कार्यकर्ताएं ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ मानी जाती हैं और उनकी संख्या लाखों में है। ऐसे में उनकी प्रोत्साहन राशि में तीन गुना बढ़ोतरी करना सीधा-सीधा महिला वोट बैंक को अपनी तरफ खींचने की कोशिश है। क्या नीतीश का यह 'लेडीज फर्स्ट' दांव काम कर पाएगा और महिला वोटर उनके पक्ष में एकतरफा वोट करेंगे? यह आने वाला चुनाव ही बताएगा, लेकिन इतना तय है कि इस घोषणा ने चुनावी माहौल को और गरमा दिया है।
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