Tejashwi Yadav voter ID controversy: तेजस्वी यादव के दो वोटर कार्ड पर मचा सियासी तूफान! क्या चुनावी भविष्य पर लगेगा ब्रेक?

Tejashwi Yadav voter ID controversy: तेजस्वी यादव के दो वोटर आईडी होने के मामले ने बिहार की सियासत में भूचाल ला दिया है। क्या यह तकनीकी गलती है या चुनावी साजिश? क्या इस विवाद से उनका चुनाव लड़ना खतरे में पड़ सकता है? जानिए पूरा मामला।

Harsh Srivastava
Published on: 4 Aug 2025 7:04 PM IST
Tejashwi Yadav voter ID controversy: तेजस्वी यादव के दो वोटर कार्ड पर मचा सियासी तूफान! क्या चुनावी भविष्य पर लगेगा ब्रेक?
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Tejashwi Yadav voter ID controversy: बिहार की राजनीति में इन दिनों जबरदस्त उबाल है। मंचों पर भाषण गरम हैं तो सोशल मीडिया पर बयानबाजी ठंडी नहीं हो रही। लेकिन इसी गर्माए माहौल में अचानक एक ऐसा मामला उभर आया जिसने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया। वो नेता जिनकी गिनती देश के सबसे युवा और तेज़तर्रार नेताओं में होती है तेजस्वी यादव अब खुद सवालों के घेरे में आ गए हैं। वजह? उनके पास दो-दो वोटर आईडी कार्ड होना। अब सवाल ये है क्या ये महज तकनीकी गलती है? या चुनावी धोखाधड़ी की एक बड़ी साजिश? और इससे भी बड़ा सवाल क्या इससे तेजस्वी यादव का चुनाव लड़ना ही खतरे में पड़ सकता है?।

तेजस्वी यादव की दोहरी पहचान?

मामला तब शुरू हुआ जब तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि उनका नाम एक अगस्त 2025 को प्रकाशित वोटर लिस्ट ड्राफ्ट से गायब है। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर खुद एक EPIC नंबर RAB2916120 सबके सामने दिखाया जो कथित तौर पर पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान उनके इस्तेमाल में आया था। लेकिन आयोग ने जब वोटर लिस्ट जारी की तो उसमें तेजस्वी का नाम EPIC नंबर RAB0456228 के साथ दर्ज था यानी एक ही व्यक्ति दो अलग-अलग EPIC नंबर दो पहचान और इसी से उठे बवाल की नींव पड़ गई।

चुनाव आयोग का जवाब और नोटिस

चुनाव आयोग ने तेजस्वी के दावे को नकारते हुए ड्राफ्ट रोल में उनका नाम EPIC नंबर RAB0456228 के साथ दिखाया और साथ ही दूसरा EPIC नंबर बताने को कहा। आयोग ने ये भी दावा किया कि तेजस्वी जिस नंबर की बात कर रहे हैं वो पिछले दस सालों के रिकॉर्ड में मौजूद नहीं है। इसका मतलब ये निकाला जा रहा है कि या तो वो EPIC नंबर फर्जी है या फिर गैरकानूनी तरीके से बना है। इस बीच आयोग ने तेजस्वी को नोटिस भेजकर 48 घंटे में जवाब मांग लिया है। अब आरजेडी नेता को साबित करना होगा कि उनके पास दो वोटर कार्ड क्यों हैं और क्या यह गलती से हुआ या जानबूझकर।

बीजेपी का हमला ‘चुनावी घोटाला’

बीजेपी और जेडीयू ने इस मामले को लपक लिया है। बीजेपी के नेताओं ने तेजस्वी यादव पर ‘चुनावी घोटाले’ का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग से उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। एनडीए नेताओं का कहना है कि अगर किसी आम नागरिक के पास दो वोटर कार्ड हों तो उसे जेल हो सकती है तो फिर तेजस्वी यादव पर भी वही कानून लागू होना चाहिए।

कानून क्या कहता है?

भारत के जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत किसी भी व्यक्ति का नाम एक से अधिक वोटर लिस्ट में होना कानूनन अपराध है। ऐसा करने पर न सिर्फ वोटिंग राइट सस्पेंड हो सकता है बल्कि आरोपी को जुर्माना या जेल तक हो सकती है। धारा 17 और 18 कहती है कि कोई भी व्यक्ति सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र का वोटर हो सकता है। धारा 31 के तहत अगर किसी ने जानबूझकर गलत जानकारी दी है या फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं तो उसे गंभीर अपराध माना जाता है। और अगर यह बात किसी नेता के संदर्भ में साबित होती है तो उसके चुनाव लड़ने की पात्रता पर भी असर पड़ता है।

क्या तेजस्वी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे?

अगर जांच में यह साबित हो गया कि तेजस्वी यादव ने जानबूझकर दो EPIC नंबर रखे या किसी फर्जी दस्तावेज के आधार पर वोटर आईडी कार्ड बनवाया तो उनके चुनाव लड़ने का हक भी छिन सकता है। उनके खिलाफ केस दर्ज हो सकता है और उन्हें अस्थायी रूप से अयोग्य भी घोषित किया जा सकता है।हालांकि अभी तक आयोग ने सिर्फ नोटिस भेजा है। फैसला तेजस्वी के जवाब पर निर्भर करेगा।

क्या सिर्फ तकनीकी गलती है?

कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह महज एक टेक्निकल गलती हो सकती है। कई बार EPIC नंबर अपडेट होते हैं या स्थानांतरण के कारण बदल जाते हैं। लेकिन सवाल यह है कि तेजस्वी ने खुद दावा किया कि उन्होंने लोकसभा चुनाव में RAB2916120 वाले कार्ड से वोट डाला। इसका मतलब उन्होंने उस कार्ड का उपयोग किया है जो आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है। अब यह साबित करना तेजस्वी की ज़िम्मेदारी है कि वह EPIC नंबर कानूनी रूप से जारी हुआ था या नहीं। अगर वह साबित कर दें कि दूसरा वोटर आईडी तकनीकी कारणों से जारी हुआ था और उन्होंने उसका दुरुपयोग नहीं किया तो शायद वे कानूनी कार्रवाई से बच सकते हैं।

सियासी पारा उबाल पर

बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और ऐसे में यह विवाद आरजेडी के लिए बहुत बड़ा झटका साबित हो सकता है। विपक्ष लगातार SIR प्रक्रिया को लेकर सवाल उठा रहा था लेकिन अब खुद उनके नेता ही घेरे में आ गए हैं। एनडीए नेताओं को जैसे एक मौका मिल गया हो। उनके लिए यह मुद्दा सिर्फ चुनावी नहीं बल्कि नैतिक सवाल भी बन गया है कि क्या जो खुद नियमों को तोड़ते हैं वे दूसरों को कानून का पाठ पढ़ा सकते हैं?।

क्या होगा तेजस्वी का जवाब?

अब सबकी निगाहें चुनाव आयोग के नोटिस के जवाब पर हैं। तेजस्वी यादव को अब न सिर्फ कानूनन बल्कि राजनीतिक रूप से भी खुद को निर्दोष साबित करना होगा। अगर उनका जवाब संतोषजनक नहीं रहा तो यह मामला कोर्ट तक जा सकता है और उनकी राजनीतिक भविष्य पर गंभीर असर डाल सकता है। राजनीति में छवि ही सबसे बड़ा पूंजी होती है। और अगर छवि पर दाग लग जाए तो उसे धोना आसान नहीं होता। तेजस्वी के लिए यह समय सिर्फ कानूनी लड़ाई नहीं बल्कि उनकी राजनीतिक विश्वसनीयता की अग्निपरीक्षा भी है।

सियासी आंधी में फंसे तेजस्वी

बिहार की सियासत में तेजस्वी यादव एक मजबूत चेहरा हैं। लेकिन दो वोटर कार्ड का मामला उनके लिए गले की हड्डी बन गया है न निगल पा रहे हैं न उगल। अब देखना है कि तेजस्वी इस विवाद से कैसे निकलते हैं क्या वह खुद को निर्दोष साबित कर पाएंगे या राजनीति की इस बिसात में उनका अगला कदम उन्हें मुश्किलों की ओर ले जाएगा? एक बात तय है बिहार की सियासत में यह मुद्दा अब थमने वाला नहीं है। जब तक सच सामने नहीं आता तब तक हर बयान हर ट्वीट और हर प्रेस कॉन्फ्रेंस सिर्फ एक ही सवाल गूंजेगा, “तेजस्वी के पास दो वोटर कार्ड कैसे आए?”।

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News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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