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Cab-Taxi Fare Hike: सावधान सारे यात्री! अब कैब यात्रा के लिए ज्यादा भुगतान करना पड़ेगा, नए नियमों को पढ़ लें
Cab-Taxi Fare Increase: अगर आप नियमित रूप से कैब से यात्रा करते हैं, तो अब आपको उसके लिए और अधिक भुगतान करना पड़ सकता है।
Cab Taxi Fare Price Hike in India MoRTH Motor Vehicle Aggregator Guidelines 2025
Cab-Taxi Fare Increase: अगर आप नियमित रूप से कैब से यात्रा करते हैं, तो अब आपको उसके लिए और अधिक भुगतान करना पड़ सकता है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस 2025 को संशोधित करते हुए कैब एग्रीगेटर्स जैसे ओला, उबर और रैपिडो को पीक ऑवर्स के दौरान बेस किराए से दो गुना तक शुल्क वसूलने की अनुमति दे दी है। पहले यह सीमा बेस किराए के 1.5 गुना तक थी। यह बदलाव मंगलवार को जारी दिशा-निर्देशों में किया गया।
नए नियमों के अनुसार, एग्रीगेटर गैर-पीक ऑवर्स में छूट भी दे सकेंगे, जहां वे सवारी को आकर्षित करने के लिए बेस किराए के 50% तक कम किराया ले सकते हैं। “बेस किराया” राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित उस दर के अनुसार होगा, जो प्रत्येक वाहन श्रेणी (जैसे हैचबैक, सिडान, एसयूवी आदि) के लिए तय की जाएगी। यह बदलाव एक ओर जहां कीमतों को विनियमित करने की कोशिश है, वहीं दूसरी ओर एग्रीगेटर्स को मांग के अनुसार किराया समायोजित करने की छूट भी देता है।
यात्रियों के लिए इसका क्या मतलब है?
पीक ऑवर्स — जैसे सुबह और शाम के व्यस्त समय या खराब मौसम की स्थिति में — अब कैब किराया 100% तक अधिक हो सकता है, जिससे दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु जैसे महानगरों में नियमित यात्रियों की जेब पर सीधा असर पड़ेगा। उदाहरण के लिए, अगर पहले एक यात्रा का पीक ऑवर्स में किराया ₹200 था (1.5x लिमिट पर), तो अब वही यात्रा ₹266 तक हो सकती है।
हालांकि, दूसरी ओर, गैर-पीक समय — जैसे दोपहर के बीच या देर रात — में किराया बेस फेयर के आधे तक हो सकता है, जिससे कम खर्च में यात्रा करने वाले लोगों को राहत मिल सकती है। इससे एग्रीगेटेड कैब सेवाओं का उपयोग दिन के कम व्यस्त समय में बढ़ सकता है और मांग को संतुलित करने में मदद मिल सकती है।
उद्योग और उपभोक्ताओं की प्रतिक्रिया
इन संशोधित दिशानिर्देशों पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। राइड-हेलिंग कंपनियों ने पीक डिमांड के समय अधिक किराया वसूलने की छूट का स्वागत किया है। उनका कहना है कि इससे ड्राइवरों को व्यस्त समय में काम करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे यात्रियों को इंतजार कम करना पड़ेगा।
ओला के एक प्रवक्ता ने कहा, “यह ड्राइवर और यात्री दोनों के लिए फायदेमंद है। पीक ऑवर्स में अधिक किराया मिलने से ज्यादा ड्राइवर उपलब्ध होंगे और ऑफ-पीक ऑवर्स में रियायती किराया यात्रियों को सेवा लेने के लिए प्रेरित करेगा।”
वहीं, यात्री हित समूहों ने किराया बढ़ोतरी पर चिंता जताई है और राज्य सरकारों से अपील की है कि वे किराया वृद्धि पर निगरानी बनाए रखें, ताकि यात्रियों का शोषण न हो।
राज्य सरकारों की भूमिका और क्रियान्वयन
गाइडलाइंस में कहा गया है कि एग्रीगेटर सेवाओं के लिए बेस किराया संबंधित राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित दरों के अनुरूप होगा, जो वाहन की श्रेणी के आधार पर तय किया जाएगा। राज्यों को नए नियमों को लागू करने के लिए तीन महीने का समय दिया गया है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या पूरे देश में ये नियम समान रूप से लागू होंगे?
कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्य, जहां राइड-हेलिंग सेवाएं पहले से अच्छी तरह स्थापित हैं, जल्दी इन नियमों को अपनाने की संभावना है। जबकि कुछ राज्य प्रशासनिक या राजनीतिक कारणों से इसमें देर कर सकते हैं। राज्यों के बीच किराए में यह अंतर अलग-अलग क्षेत्रों में समान सेवाओं के लिए अलग-अलग दरें पैदा कर सकता है।
परिवहन उद्योग में यह बदलाव क्यों महत्वपूर्ण है?
यह बदलाव ऐसे समय पर आया है जब शहरी परिवहन में तेज़ी से बदलाव हो रहा है। ईंधन की बढ़ती कीमतें, ड्राइवरों की कमी और inDrive तथा Namma Yatri जैसे नए प्रतिस्पर्धियों के आने से यह उद्योग लाभप्रदता और उपभोक्ता संतुष्टि के बीच संतुलन साधने के लिए संघर्ष कर रहा है। नई गाइडलाइंस से एग्रीगेटर्स को भले ही कुछ आर्थिक राहत मिले, लेकिन कीमत को लेकर संवेदनशील ग्राहक इससे नाराज़ भी हो सकते हैं, अगर उन्हें यह मूल्यवृद्धि अनुचित लगे।
यह कदम सरकार की गिग इकॉनॉमी को विनियमित करने की बड़ी योजना का हिस्सा भी है, जो शहरी परिवहन में नवाचार को बढ़ावा देने के साथ-साथ पारदर्शी और निष्पक्ष मूल्य निर्धारण प्रणाली लागू करने की दिशा में काम कर रही है। MoRTH ने कहा है कि ये दिशा-निर्देश एक “न्यायसंगत और पारदर्शी” किराया प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं। हालांकि, इसकी सफलता इस पर निर्भर करेगी कि राज्य सरकारें इन्हें कैसे लागू और प्रवर्तित करती हैं।
आगे क्या?
राज्य सरकारें अक्टूबर 2025 तक इन गाइडलाइंस को अपनाने की तैयारी कर रही हैं। इस बीच यात्री और ड्राइवर दोनों इन बदलावों पर बारीकी से नजर रखेंगे। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि एग्रीगेटर्स संभावित प्रतिक्रिया को संतुलित करने के लिए प्रमोशनल ऑफर लॉन्च कर सकते हैं, ताकि पीक ऑवर्स के बढ़े हुए किरायों की भरपाई की जा सके, और साथ ही गैर-पीक समय में छूट देकर नए उपयोगकर्ताओं को आकर्षित कर सकें।
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