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Citi India Commercial Banking Shake-up : नेतृत्व में बड़ा बदलाव - भानु वोहरा ने छोड़ी सीटीआई में अहम जिम्मेदारी
CITI India Commercial Banking Shake-up: भानु वोहरा कुछ हफ्ते पहले ही इस्तीफा देकर गार्डनिंग लीव (Gardening Leave) पर चले गए हैं और अब वे अपने अगले कैरियर विकल्पों का अध्ययन कर रहे हैं।
CITI India Commercial Banking Shake-up (Image Credit-Social Media)
Citi India Commercial Banking Shake-up : लगभग २५ वर्षों से सिटिग्रुप (Citigroup Inc.) से जुड़े भानु वोहरा (Bhanu Vohra) ने हाल ही में भारत में वाणिज्यिक बैंकिंग के प्रमुख के रूप से अपना पद छोड़ने का निर्णय लिया है। बैंक से जुड़े अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, वोहरा कुछ हफ्ते पहले ही इस्तीफा देकर गार्डनिंग लीव (Gardening Leave) पर चले गए हैं और अब वे अपने अगले कैरियर विकल्पों का अध्ययन कर रहे हैं। उनके इस अचानक फैसले से बैंक की कार्यप्रणाली और आगामी रणनीतियों पर सवाल खड़े हो गए हैं। सिटिग्रुप जल्द ही उनके उत्तराधिकारी की घोषणा करेगी।
इस लेख में हम जानेंगे: वोहरा ने किन भूमिकाओं में कार्य किया और इसके बाद सिटिग्रुप इंडिया में क्या बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
भानु वोहरा - सिटि का अनुभवी चेहरा
• 25 वर्षों का सफ़र
वोहरा २००० में सिटिग्रुप में शामिल हुए और एक दर्जन से अधिक भूमिकाएँ निभाईं - संचालन, लेन-देन बैंकिंग और ग्लोबल मार्केट्स। इस दौरान उन्होंने बैंक के भारत में वाणिज्यिक बैंकिंग विस्तार को मजबूत बनाया।
• मुख्य जिम्मेदारियाँ
भारत में वह कॉर्पोरेट और व्यापारिक ग्राहकों के साथ बैंकिंग रणनीति, जोखिम प्रबंधन, राजस्व वृद्धि और ग्राहक अनुभव सुधारने के लिए जिम्मेदार थे।
अचानक फैसला - इस्तीफे की संभावित वजहें
• गार्डनिंग लीव का संदर्भ
सूत्र बताते हैं की उन्होंने इस्तीफा दिया और इसमें गार्डनिंग लीव में चले गए हैं। इसका अर्थ है कि वह अभी बैंक से पूरी तरह से जुड़े हैं पर उनकी भूमिका समाप्त हो चुकी है। यह अक्सर जुर्माना या अगली भूमिका की तैयारी के लिए किया जाता है।
• गैर-आधिकारिक कारण
बैंक ने सार्वजनिक रूप से कोई कारण नहीं बताया। पर स्रोतों का कहना है कि उन्होंने नई नौकरी की तलाश शुरू कर दी है और कंपनी भी अपनी अगली रणनीति बनाने में लगी है।
बैंक में बदलाव - असर और अगले कदम
• उत्तराधिकारी की घोषणा
सिटिग्रुप जल्दी ही कोई नया प्रमुख नियुक्त करेगी। यह रोल उस पर निर्भर करेगा कि वह कॉर्पोरेट बैंकिंग रणनीति को जारी रखे, टीम को मजबूत बनाए और डिजिटल व अनऑफलाइन सेवाओं को इंटीग्रेट करे।
• इंडिया में नेतृत्व पुनर्गठन
पिछले कुछ महीनों में सिटिग्रुप इंडिया में बड़े बदलाव हुए हैं।
1. K. बालासुब्रमणियन को एसेन और साउथ एशिया का प्रमुख कॉर्पोरेट बैंकिंग नियुक्त किया गया।
2. आशु खुल्लर अब ग्लोबल एसेट-मैनेजर्स टीम को लंदन से सह-नेतृत्व कर रहे हैं।
ये बदलाव बैंक की क्षेत्रीय रणनीति और वैश्विक विस्तार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।
सिटिग्रुप इंडिया पर प्रभाव
• कॉर्पोरेट ग्राहक और सौदे
नए नेतृत्व के आने से कॉर्पोरेट सहयोग और फंडिंग योजनाओं में बदलाव संभव है। ग्राहक और बाजार क्या प्रतिक्रिया देंगी, यह देखना रोचक रहेगा।
• डिजिटल और तकनीकी निवेश
सिटिग्रुप बैंकिंग में डिजिटल पहल को बढ़ावा दे रही है। नए नेतृत्व इन्हें और प्रमोट कर सकता है - खासकर डेटा-ड्रिवन डिसीजन मेकिंग, एआई और ऑटोमेशन के जरिये।
• टीम संरचना में बदलाव
व्हाइट कॉलार नेता जैसे K. बालासुब्रमणियन और आशु खुल्लर के नए पदाधिकारियों से टीम संरचना में व्यवस्थित बदलाव हो सकते हैं, जिससे नए निर्देशन और संरचनात्मक सुधार संभव हो सकें।
निष्कर्ष
भानु वोहरा का प्रस्थान सिटिग्रुप इंडिया में एक बड़ा बदलाव है। उनकी २५ साल की बैंकिंग यात्रा, संचालन से लेकर ग्लोबल मार्केट्स तक निभाई भूमिकाएं उन्हें बैंक का दृढ़ स्तंभ बनाती थीं। अब जबकि वह बैंक छोड़कर अपने अगले चरण की तैयारी कर रहे हैं, वहीं बैंक के अंदर भी नेतृत्व पुनर्गठन तेजी से हो रहा है।
अगले कुछ महीनों में नए नेताओं की नियुक्ति, रणनीतिक बदलाव, डिजिटल पहल और ग्राहक अनुभव में बदलाव बैंक के दिशा-निर्देश को स्पष्ट करेंगे। उद्योग विशेषज्ञों की नज़र इस बात पर टिकी रहेगी कि क्या नए नेतृत्व के साथ सिटिग्रुप इंडिया अपने कॉर्पोरेट बैंकिंग लक्ष्य पूरे कर पाएगा और क्या वोहरा की जगह कोई और उतना ही सक्षम होगा।
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