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सोना-चांदी ने मचाया हड़कंप! 12 साल में सबसे बड़ी गिरावट, निवेशक खाली कर रहे तिजोरी
सोना और चांदी में 12 साल की सबसे बड़ी गिरावट ने निवेशकों को हक्का-बक्का कर दिया है। रिकॉर्ड ऊंचाइयों के बाद मुनाफावसूली ने बाजार में डर और उथल-पुथल पैदा कर दी।
Gold Market Crash: सोना, जिसे हमेशा से सबसे सुरक्षित और भरोसेमंद निवेश माना जाता है, इस समय जबरदस्त संकट में है। 12 साल की सबसे बड़ी गिरावट ने निवेशकों को हक्का-बक्का कर दिया है। जिन लोगों ने ऊंचे दामों पर सोना खरीदा था, वे अब तेजी से मुनाफा निकाल रहे हैं, जिससे बाजार में डर और घबराहट का माहौल बन गया है। मंगलवार को सोने की कीमतों में करीब 6.3% की भारी गिरावट आई, यह पिछले 12 सालों की सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट है। यह गिरावट सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी देखी जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी डॉलर की मजबूती, सरकारी शटडाउन और लगातार मुनाफावसूली ने मिलकर सोने की इस भारी गिरावट को बढ़ावा दिया है।
क्यों टूटा सोने का बाज़ार?
सोने-चांदी में यह गिरावट अचानक नहीं आई। पिछले कुछ महीनों में सोने की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाइयों पर पहुंच गई थीं। जब कीमतें बहुत ऊपर चली जाती हैं, तो निवेशक मुनाफा काटने लगते हैं, इसे ही Profit-Taking कहा जाता है। यही मुनाफावसूली इतनी बड़ी हो गई कि बाजार ‘क्रैश’ कर गया।
मंगलवार को सोना $4,381 से गिरकर $4,082 प्रति औंस पर पहुंचा और बुधवार को भी यह गिरावट जारी रही। चांदी भी 7% से ज्यादा गिरकर $47.6 के स्तर तक आ गई। भारत में 24 कैरेट सोना ₹3,380 गिरकर ₹1,27,200 प्रति 10 ग्राम पर और चांदी ₹2,000 गिरकर ₹1,62,000 प्रति किलो पर आ गई।
अमेरिकी शटडाउन और डॉलर की मजबूती
अमेरिकी सरकार के शटडाउन ने बाजार में अनिश्चितता को और बढ़ा दिया है। शटडाउन के कारण जरूरी आर्थिक डेटा समय पर जारी नहीं हो पा रहा, जिससे निवेशक अनुमान के आधार पर ही निर्णय ले रहे हैं। जब निवेशकों के पास सही और ताज़ा जानकारी नहीं होती, तो वे सुरक्षित रहने के लिए अपने सोने और अन्य निवेश बेचने लगते हैं, जिससे बिकवाली बढ़ जाती है।
साथ ही, अमेरिकी डॉलर की मजबूती ने भी सोने की कीमतों पर दबाव डाला है। डॉलर इंडेक्स 0.4% बढ़कर 98.91 तक पहुंच गया, जिससे अन्य मुद्राओं में निवेश करने वाले खरीदारों के लिए सोना महंगा हो गया। डॉलर के मजबूत होने से सोने की मांग घटती है और यह कीमतों को और नीचे खींचता है।
ग्लोबल मार्केट्स में असर
सोने की इस गिरावट का असर दुनिया भर के बाजारों में दिखा। एशियाई बाजारों में मिला-जुला रुख रहा , ऑस्ट्रेलिया और हांगकांग के बाजार गिरे, जबकि जापान में स्थिरता रही। अमेरिकी शेयर बाजार (S&P 500) लगभग उसी स्तर पर बंद हुआ, क्योंकि निवेशक कंपनियों के तिमाही नतीजों पर ध्यान दे रहे थे।
सोने की खनन कंपनियों के शेयर भी नीचे गए। VanEck Gold Miners ETF (GDX) 9.4% गिरा और दुनिया की सबसे बड़ी सोना उत्पादक कंपनी Newmont के शेयर 9% तक टूट गए। इससे सोने और इसके शेयरों में निवेश करने वाले निवेशकों को नुकसान हुआ।
क्या सोना अब भी सुरक्षित निवेश है?
कई निवेशक अब यह सवाल पूछ रहे हैं , क्या सोने की चमक खत्म हो गई है? विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिर्फ एक करेक्शन (सुधार) है, न कि गिरावट का स्थायी दौर। सिटी इंडेक्स के विश्लेषक फवाद रजाकजादा के अनुसार, “सोने की रैली असाधारण थी। यह गिरावट सामान्य सुधार है, न कि रुख बदलने का संकेत।”
सोना 2025 में अब तक लगभग 60% तक बढ़ चुका था, जबकि चांदी में 70% तक की वृद्धि देखी गई थी। लगातार नौ सप्ताह तक सोने में तेजी बनी रही थी। इसलिए यह गिरावट बाजार के स्वाभाविक चक्र का हिस्सा मानी जा रही है।
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