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रिटर्न ही सबकुछ नहीं! जानें कौन से म्यूचुअल फंड रेशियो आपके निवेश को बदल सकते हैं
Mutual Fund Guide: Sharpe, Alpha, Beta और Expense Ratio जैसे रेशियो निवेश में क्यों अहम हैं।
Mutual Fund Complete Guide (Photo - Social Media)
Mutual Fund Complete Guide: भारत में निवेशकों के लिए म्यूचुअल फंड आसान और भरोसेमंद साधन माने जाते हैं। लेकिन सिर्फ़ पिछले रिटर्न देखकर फंड चुनना अधूरी जानकारी पर आधारित निर्णय हो सकता है। समझदार निवेशक हमेशा फंड की असली क्वालिटी जानने के लिए म्यूचुअल फंड रेशियो पर ध्यान देते हैं।
Expense Ratio (TER) - खर्च का मीटर
Expense Ratio या Total Expense Ratio वह शुल्क है, जिसे AMC (Asset Management Company) आपके निवेश से काटती है। इसे आप गाड़ी चलाते समय आने वाले ईंधन और टोल टैक्स की तरह समझ सकते हैं।
उदाहरण के तौर पर, यदि आपका निवेश ₹1,00,000 है और TER 1.5% है तो सालाना ₹1,500 AMC को जाएगा। लेकिन यदि यही TER 0.8% है तो केवल ₹800 ही कटेगा। लंबे समय में यही फर्क आपके पोर्टफोलियो की ग्रोथ तय करता है। इसलिए निवेशक को हमेशा कम TER वाले फंड चुनने चाहिए।
Sharpe Ratio - जोखिम के बदले रिटर्न
Sharpe Ratio यह दर्शाता है कि फंड ने लिए गए जोखिम की प्रत्येक यूनिट पर कितना अतिरिक्त लाभ दिया है।
मान लीजिए Fund A ने 12% रिटर्न और 10% रिस्क लिया, तो Sharpe Ratio = 1.2। वहीं Fund B ने 14% रिटर्न दिया लेकिन 18% रिस्क लिया, तो Sharpe Ratio = 0.77।
स्पष्ट है कि Sharpe Ratio जितना ज्यादा होगा, उतना बेहतर माना जाएगा, क्योंकि यह दिखाता है कि निवेशक को जोखिम की तुलना में कितनी कुशलता से लाभ मिल रहा है।
Alpha - फंड मैनेजर की स्किल
Alpha यह बताता है कि किसी फंड ने अपने बेंचमार्क इंडेक्स (जैसे Nifty 50 या Sensex) की तुलना में कैसा प्रदर्शन किया। उदाहरण के लिए, यदि Nifty 50 ने 10% रिटर्न दिया और आपके फंड ने 13% रिटर्न कमाया, तो Alpha = +3। इसका अर्थ है कि फंड मैनेजर ने अतिरिक्त मूल्य जोड़ा। वहीं यदि Alpha –2 है तो फंड बेंचमार्क से पीछे रहा। इसलिए, पॉजिटिव Alpha हमेशा मैनेजर की बेहतर रणनीति और निवेशकों के लिए अतिरिक्त लाभ का संकेत देता है।
Beta - Shock Absorber झटकों को झेलने की क्षमता
Beta यह मापता है कि किसी फंड का उतार-चढ़ाव (volatility) बाजार के उतार-चढ़ाव से कितना मेल खाता है। अगर Beta = 1 है, तो फंड बिल्कुल मार्केट की तरह ही चलेगा। वहीं Beta = 1.2 होने पर फंड मार्केट से ज्यादा volatile होगा यानी ज्यादा तेज़ी और गिरावट दिखाएगा। अगर Beta = 0.8 है तो फंड मार्केट की तुलना में ज्यादा स्थिर माना जाएगा। निवेशक गाइड यह है कि जिन लोगों को स्थिरता और कम जोखिम चाहिए, वे कम Beta वाले फंड चुनें, जबकि ज्यादा रिटर्न और उतार-चढ़ाव झेलने की क्षमता रखने वाले निवेशक हाई Beta वाले फंड में निवेश कर सकते हैं।
Standard Deviation (SD) - सफर कितना उथल-पुथल वाला
Standard Deviation यह दर्शाता है कि फंड के रिटर्न अपने औसत से कितना ऊपर-नीचे जाते हैं।
मान लीजिए Fund X का औसत रिटर्न 12% है और SD = 5% है। इसका मतलब है कि फंड का रिटर्न आम तौर पर 7% से 17% के बीच रह सकता है। दूसरी ओर, Fund Y का SD = 12% है, तो उसका रिटर्न 0% से 24% के बीच झूल सकता है। यह है कि कम SD वाला फंड अधिक स्थिर और भरोसेमंद माना जाता है।
R-Squared (R²) - इंडेक्स की नकल
R² यह बताता है कि कोई फंड अपने बेंचमार्क इंडेक्स को कितना करीब से फॉलो करता है। अगर R² = 95% है, तो इसका मतलब है कि फंड लगभग इंडेक्स जैसा ही प्रदर्शन कर रहा है। वहीं R² = 60% होने पर फंड इंडेक्स से अलग रणनीति अपनाता है और अपने दम पर चल रहा है। ध्यान देने वाली बात यह है कि Index Funds और ETFs में R² बहुत ज्यादा होता है क्योंकि वे सीधे इंडेक्स को कॉपी करते हैं, जबकि Active Funds में यह कम हो सकता है क्योंकि वहां फंड मैनेजर अलग निवेश रणनीति अपनाते हैं।
निवेशकों के लिए गाइडलाइन
म्यूचुअल फंड चुनते समय केवल रिटर्न ही न देखें, बल्कि इन संकेतकों को ध्यान में रखें:
• Expense Ratio - कम हो तो अच्छा
• Sharpe Ratio - ज्यादा होना बेहतर
• Alpha - पॉजिटिव होना चाहिए
• Beta - आपके रिस्क प्रोफाइल पर निर्भर
• Standard Deviation - कम होना स्थिरता का संकेत
यह केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। निवेश से पहले अपनी रिसर्च करें या वित्तीय सलाहकार से सलाह लें।
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