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CEO Leadership Shift: भारत की कंपनियों में बदले नेतृत्व से बढ़ा निवेशकों का भरोसा
CEO Leadership Shift: पिछले 5 वर्षों में 75% कंपनियों ने नए CEO के नेतृत्व में बेहतर रिटर्न दिए, जिससे बाजार में नई सोच और भरोसे को मिला बढ़ावा।
पिछले पांच वर्षों में भारत की कंपनियों में सीईओ (CEO) परिवर्तन एक बड़ा ट्रेंड बनकर उभरा है। नई नेतृत्व टीम के साथ कंपनियों ने न केवल अपना प्रदर्शन सुधारा, बल्कि शेयर बाजार में भी बेहतरीन रिटर्न दिए। बीएसई 500 कंपनियों के डेटा के विश्लेषण से पता चलता है कि जिन 40 कंपनियों में शीर्ष नेतृत्व बदला गया, उनमें से 75% यानी 30 कंपनियों ने नए सीईओ के बाद जबरदस्त शेयरधारक रिटर्न दिए। निवेशक अब नए नेतृत्व की सोच, ऊर्जा और रणनीतिक बदलावों पर भरोसा जता रहे हैं।
कंपनियों को मिला जबरदस्त रिटर्न :
अक्टूबर 2020 में जब संदीप कालरा ने Persistent Systems के सीईओ पद की जिम्मेदारी संभाली, तब से कंपनी के शेयरों में लगभग 855% की जोरदार बढ़त दर्ज की गई। इसके विपरीत, उनके कार्यभार संभालने से पहले के तीन वर्षों में शेयर रिटर्न महज 21% रहा था। Schneider Electric Infrastructure में संजय सुधाकरन के नेतृत्व में 843% रिटर्न आया, जबकि पुराने नेतृत्व में -20% की गिरावट थी।
Angel One में नारायण गंगाधर के आने के बाद 646% की तेजी देखी गई, Himadri Speciality Chemical (503%) और Welspun Corp (341%) जैसी कंपनियां भी नई नेतृत्व के बाद रफ्तार में दिखीं। Zensar Technologies, Aegis Logistics और Fortis Healthcare जैसी कंपनियों में भी रिटर्न 250% से अधिक रहा।
क्यों असर डालता है नया नेतृत्व? :
विशेषज्ञों का मानना है कि नया सीईओ नई सोच और रणनीति लेकर आता है जो कंपनी को नई दिशा देता है। इससे न सिर्फ कर्मचारियों का मनोबल बढ़ता है, बल्कि निवेशकों को भी उम्मीदें दिखती हैं। SBI Securities के सनी अग्रवाल के अनुसार, “नए नेतृत्व के साथ निवेशकों की उम्मीदें जुड़ती हैं कि अब कमाई और ग्रोथ में तेजी आएगी।”
2025 में भी ये ट्रेंड जारी है। Hindustan Unilever में प्रिया नायर, Indian Bank में बिनोद कुमार, PNB में अशोक चंद्रा और LIC में आर. दोरैस्वामी जैसे नामों की नियुक्ति से उम्मीदें फिर से जगी हैं। टाइटन और हुंडई जैसी कंपनियां भी जल्द ही नेतृत्व परिवर्तन देखने वाली हैं।
सभी बदलाव फायदेमंद नहीं :
हालांकि सभी सीईओ बदलाव सकारात्मक परिणाम नहीं लाते। Mastek (14%), KIOCL (9%), SBI Cards (5%) जैसी कंपनियों में नई नियुक्ति के बाद रिटर्न अपेक्षाकृत कम रहे हैं। कुछ कंपनियों में जैसे Adani Total Gas में -50% और Cyient में -12% की गिरावट देखने को मिली।
SAMCO Securities के अपूर्वा शेठ के अनुसार, “यदि नया नेतृत्व कंपनी की संस्कृति से मेल नहीं खाता या स्पष्ट रणनीति नहीं होती, तो इससे संगठन में भ्रम और प्रदर्शन में गिरावट आ सकती है।”
निष्कर्ष :
भारत में नए सीईओ का प्रभाव अब सिर्फ पद परिवर्तन नहीं, बल्कि निवेशकों के लिए एक संकेत बन चुका है कि कंपनी में नई ऊर्जा और संभावनाएं आ रही हैं। हालांकि हर बदलाव फायदे का सौदा नहीं होता, लेकिन सही नेतृत्व कंपनी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है। इसलिए निवेशकों के लिए यह समझना जरूरी है कि नया नेतृत्व केवल चेहरा नहीं, बल्कि कंपनी की दिशा और दशा तय करने वाला होता है।
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